
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। वरिष्ठ अफसरों की लापरवाही प्रदेश में बीते पांच सालों के दौरान नियुक्त हुए अफसरों व कर्मचारियों को भारी पड़ रही है। इस लापरवाही की वजह से सरकारी दफ्तरों में नव नियुक्त अधिकारी कर्मचारी प्रोबेशन पीरियड समाप्त होने के बाद भी स्थाई नहीं हो पा रहे हैं। यह वे अफसर है जो खुद की पदोन्निति से लेकर अन्य तरह की सरकारी सुविधाओं को पाने के लिए सबसे आगे खड़े रहते हैं, लेकिन जूनियरों की बात आती है तो पूरी तरह से लापरवाह हो जाते हैं।
हद तो यह हो गई है कि इसके लिए आदिमजाति कल्याण विभाग को तो अब सीआर लिखने वाले अफसरों को तो बाकायदा पत्र लिखकर जिला संयोजकों और क्षेत्र संयोजकों की सीआर लिखने को कहना पड़ रहा है। इस पत्र में विभाग द्वारा लिखा गया है कि उनकी सीआर लिखकर नहीं भेजने की वजह से उन्हें स्थायी तौर पर नियुक्ति नहीं दी जा पा रही है। इसकी वजह से वे तय अवधि के बाद भी प्रोबेशनर के रूप में काम करने को मजबूर बने हुए हैं। इनमें वे अफसर भी शामिल हैं जिन्हें सरकारी नौकरी में आए हुए तीन से पांच साल हो चुके हैं। हाल ही में आदिम जाति कल्याण विभाग ने इस मामले में आयुक्त जनजातीय कार्य, आयुक्त अनुसूचित जाति विकास तथा इंदौर,उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल के संभागीय उपायुक्तों को पत्र लिखकर तेरह अफसरों के गोपनीय प्रतिवेदन तत्काल उपलब्ध कराने को कहा है। दरअसल प्रदेश के विभिन्न जिलों में पदस्थ नवनियुक्त जिला संयोजक और क्षेत्र संयोजकों के वर्ष 2017 से लेकर अभी तक की अवधि के गोपनीय प्रतिवेदन विभाग को मिलना तो दूर तैयार ही नहीं किए गए हैं। इस वजह से अब भी इन अधिकारियों का अभी भी प्रोबेशन पीरियड जारी है।
इन अफसरों को इंतजार है सीआर का
इस विभाग के जिन अफसरों को अपनी सीआर का इंतजार है उनमें जिला संयोजक राकेश कुमार राठौर और रेखा पांचाल की वर्ष 2017 से 2019 तक की तीन साल की सीआर नहीं है। जिला संयोजक सरिता नायक, क्षेत्र संयोजक सुरभित अग्रवाल और पारुल व्यास की भी वर्ष 2018 से 2021 के बीच की तीन-तीन साल की सीआर नहीं है। इसके अलावा जिला संयोजक निशा मेहरा, आशा चौहान, मुकेश पालीवाल, विवेक नागवंशी, शिखा सोनी, राजेन्द्र जाटव और क्षेत्र संयोजक प्रियंका राय के भी गोपनीय प्रतिवेदन अब तक विभाग को नहीं मिले हैं।