एफआईआर दर्ज होते ही बढ़ जाएंगी रेड्डी की मुश्किलें

एफआईआर

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। आला अफसरों द्वारा मिलकर किए गए जल संसाधन विभाग के 877 करोड़ रुपए के अग्रिम भुगतान का मामला अब उनके लिए गले की फांस बन गया है। इस मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही जांच अब अंतिम दौर में पहुंच गई, जिसकी वजह से जल्द ही इस मामले में एफआईआर दर्ज होना तय है। इसके साथ ही पूर्व सीएस रह चुके गोपाल रेड्डी की मुश्किलें भी बढ़ना तय है।
इस मामले में विभाग के कई आला अफसर तो पहले से ही जांच के दायरे में बने हुए हैं। उन  पर तो एफआईआर होना पहले से ही तय मानी जा रही है। दरअसल इन अफसरों ने मिलकर बगैर काम कराए ही सात कंपनियों को बतौर भुगतान 877 करोड़ रुपए दे दिए थे। हालत यह है कि जिन परियोजनाओं के सात टेंडर्स लेने वाली कंपनियों को भुगतान किया गया है उनमें से तीन में तो अभी तक काम ही शुरू नहीं हुआ जबकि उन्हें करीब 500 करोड़ का भुगतान सामग्री खरीदी के रुप में दिया जा चुका है। इसमें भी खास बात यह है कि भुगतान की गई राशि मूल्य की सामग्री भी अब तक नहीं आयी है।
हद तो यह हो गई कि जिन परियोजनाओं में राशि का भुगतान किया गया है उनमें से कई के लिए तो अभी तक भू अर्जन का काम ही पूरा नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से काम शुरू होना ही संभव नहीं है। इसके बाद भी उन्हें राशि का भुगतान कर दिया गया। दरअसल यह मामला जल संसाधन विभाग के तीन हजार 333 करोड़ रुपए के टेंडर घोटाले से जुड़ा है, जिसकी जांच राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) द्वारा की जा रही है।
इस तरह से किया गया घोटाला
सात सिंचाई परियोजनाओं के लिए जल संसाधन विभाग ने अगस्त 2018 से फरवरी 2019 के बीच टेंडर मंजूर किए थे। इसके तहत बांध और हाईप्रेशर पाइप नहर का निर्माण किया जाना था। इनकी कुल लागत 3333 करोड़ रुपए बताई गई थी। खास बात यह है कि काम शुरू ही नहीं हुआ और विभाग ने मिली भगत कर इन कंपनियों को 877 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान भी कर दिया था। इसके लिए टेंडर्स में से 6 परियोजनाओं में पेमेंटस  ऑफ कंपोनेंट्स  ऑफ प्रेशर पाइप सेल वी डन आफ्टर कम्पिलिटेड फाउंडेशन की शर्त रखी गयी थी। एक प्रोजेक्ट में प्रेशर पाइप के कंपोनेंट्स के भुगतान में डैम क्रस्ट की शर्त थी। मई 2020 में इन सातों परियोजनाओं में इस शर्त को विलोपित कर दिया गया। जिसकी वजह से एडवांस भुगतान की राह खुल गई। इस आदेश के कारण इन टेंडर्स को लेने वाली कंपनियों को काम करने के पूर्व ही एडवांस भुगतान कर दिया गया। खास बात यह है कि एम गोपाल रेड्डी के कार्यकाल में हुआ यह घोटाला दिसंबर में पकड़ में आया था। इसके पकड़ में आने के बाद टेंडर्स के अनुबंध हो जाने के बाद शर्तें बदलने के आदेश को निरस्त किया गया है। नियमानुसार किसी भी प्रकार के टेंडर्स के एलॉट होने के बाद शर्तों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। टेंडर्स के एलॉट होने के बाद टेंडर शर्तों के परिवर्तन को अनियमितता माना जाता है। इन टेंडर्स में तो शर्त विलोपित कर सीधा लाभ टेंडर लेने वाली कंपनियों को पहुंचाया गया है। इनमें से चार कंपनियों ने तो काम किया, लेकिन तीन कंपनियों ने काम ही शुरू नहीं किया था। इस मामले का खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी थी। इस मामले ने अब तक ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। इस दौरान जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता (ईएनसी) राजीव कुमार सुकलीकर और तत्कालीन अपर मुख्य सचिव रेड्डी के निज सहायक महेश कुमार से पूछताछ भी की जा चुकी है।
मांगे दस्तावेज
इस घोटाले की जांच के लिए ईओडब्ल्यू ने अग्रिम भुगतान से संबंधित सभी दस्तावेज मांगे हैं। कहा जा रहा है कि दस्तावेज मिलने के बाद ईओडब्ल्यू इससे जुड़े कुछ और अफसरों को पूछताछ के लिए तलब कर सकता है। इस मामले में पूर्व मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध मानी जा रही है, जिसकी वजह से उनसे भी पूछताछ होना संभव है। रेड्डी रिटायर होने के बाद प्रदेश छोड़ गए हैं। फिलहाल इस मामले में अब तक की जांच में विभाग के पूर्व प्रमुख अभियंता राजीव सुकलीकर को इस मामले में आरोपी बनाने की तैयारी कर ली गई है।
किस फर्म को कितना किया भुगतान
हनोता बांध- फलोदी कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रा प्रालि को 584.67 करोड़ की अनुबंधित राशि के बदले 27.23 करोड़ रुपए का भुगतान। नहर व बांध का काम शून्य प्रतिशत था।
बंडा बांध- फलोदी कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रा प्रालि को 1296.71 करोड़ की अनुबंधित राशि के बदले 224.01 करोड़ का भुगतान। नहर व बांध का काम शून्य प्रतिशत था।
गोंड बांध- मंटेना कंस्ट्रक्शन प्रालि एवं मेसर्स पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को 745 करोड़ रुपए की अनुबंधित राशि के बदले 243.95 करोड़ रुपए का भुगतान। बांध व नहर का काम शून्य प्रतिशत था।
निरगुढ़ बांध- एसएन पांडेय कंस्ट्रक्शन प्रालि एवं रेडब्रिज इंफ्रा प्रालि को 69.66 करोड़ रुपए की अनुबंधित राशि के बदले 30.39 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। बांध का काम 60 व नहर का काम पांच प्रतिशत हुआ।
घोघरी बांध- करण डेवलपमेंट सर्विसेज प्रालि ग्वालियर को 241 करोड़ रुपए की अनुबंधित राशि के बदले 158.43 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। बांध का काम 90 और नहर का काम 50 प्रतिशत हुआ।
वर्धा बांध- करण डेवलपमेंट सर्विसेज प्रालि ग्वालियर को 119.21 करोड़ रुपए की अनुबंधित राशि के बदले 41.42 करोड़ रुपए का भुगतान। बांध का काम 80 व नहर का काम 10 प्रतिशत हुआ।
सीतानगर बांध- एलसीजी प्रोजेक्ट्स प्रालि गुजरात को 277.18 करोड़ रुपए की अनुबंधित राशि के बदले 152.24 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। बांध और नहर का काम 50-50 प्रतिशत हुआ।

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