
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। उपचुनाव की तैयारियों से पहले भाजपा संगठन व सत्ता को मिले फीडबैक ने उनकी चिंताए बढ़ा दी हैं। सत्ता व संगठन के बीच मैदानी प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक में जो फीडबैक दिया गया है उसके मुताबिक बढ़ती महंगाई व भ्रष्टाचार की वजह से आमजनता और सत्ता में भागीदारी न मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की चुनौति बताई गई है। बैठक में तय किया गया है कि उपचुनाव की तारीखों की घोषणा हो इसके पहले
कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर कर ली जाए।
यह काम पार्टी के बड़े नेताओं को सौंपने का भी फैसला किया गया है। इसके तहत यह नेता संबंधित क्षेत्रों में जाकर वहां के कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाकात कर उनकी बात सुनकार नाराजगी दूर करने का प्रयास करेंगे। दरअसल जल्द ही प्रदेश में एक लोकसभा व तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है।
दमोह में मिली पार्टी को करारी हार के बाद से भाजपा इस बार उपचुनावी तैयारियों में अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है। माना जा रहा है कि इन उपचुनाव के परिणामों का असर प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव पर असरकार रह सकते हैं। यह बैठक इन चारों उपचुनाव की तैयारियों और वहां पार्टी को लेकर मौजूद माहौल के अलावा प्रत्याशियों को लेकर फीडबैक लेने के लिए बुलाई गई थी। बैठक में प्रभारी मंत्रियों, संगठन के पदाधिकारियों के अलावा स्थानीय प्रमुख नेताओं को भी बुलाया गया था। इस फीडबैक के बाद तय किया गया है कि पार्टी जनता की नाराजगी को दूर करने से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने के लिए कदम उठाएगी। इसके बाद कार्यकर्ताओं को आमजन की नाराजगी दूर करने का जिम्मा सौंपा जाएगा। चारों सीटों पर होने जा रहे उप चुनावों की रणनीति बनाने को लेकर सीएम हाउस में हुई यह बैठक करीब दो घंटे तक चली। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री सुहास भगत, सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा भी मौजूद रहे।
इस दौरान चुनाव प्रभारियों द्वारा कार्यकर्ता के असंतुष्ट होने का मुद्दा उठाया गया। उनके द्वारा यहां तक कहा गया कि अगर कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर नहीं की गई तो चुनाव में पार्टी को मुश्किलों को सामना करना पड़ सकता है। इस मामले में तय किया गया है कि इसके लिए बड़े नेता कार्यकर्ताओं को भेजकर उनकी नाराजगी दूर की जाए। गौरतलब है कि प्रदेश में पार्टी की करीब सत्रह सालों से सरकार होने के बाद भी कार्यकर्ताओं को अब तक सत्ता में भागीदारी नहीं मिल सकी है। यही नहीं कार्यकर्ताओं के पारिवारिक व व्यक्तिगत काम भी नहीं हो रहे हैं। हद तो यह है कि सरकार द्वारा राजनैतिक नियुक्ति वाले पदों को भरने में भी इस दौरान रुचि नहीं ली गई है। इसके उलट कांग्रेस की करीब 15 माह की सरकार में कार्यकर्ताओं की विभिन्न विभागों की समितियों में न केवल नियुक्तियां कर दी गई थीं, बल्कि कार्यकर्ताओं की पसंद ना पसंद को ध्यान में रखकर अफसरों व कर्मचारियों तक की तैनाती कर दी गई थी, जिसकी वजह से उनकी पूछ परख बढ़ गई थी।
यह भी मिला फीडबैक
बैठक में बताया गया कि महंगाई से लेकर बहुत सारे मुद्दों पर जनता में नाराजगी बनी हुई है। इस नाराजगी को दूर करने का जिम्मा कार्यकर्ताओं को सौंपी जाएगी। यह भी तय किया कि चारों सीटों पर होने वाले उप चुनावों से पहले इलाके की समस्याओं का सर्वे किया जाए। समस्याओं से सरकार और संगठन को अवगत कराया जाए। कोशिश यह की जाए कि चुनाव से पहले उन समस्याओं का समाधान कर दिया जाए। इसके साथ ही यह भी राय बनी की चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हर क्षेत्र में दौरे कराए जाएं। क्षेत्र के विकास को लेकर सीएम कुछ बड़े ऐलान भी कर सकते हैं। इस दौरान तय किया गया कि संगठन का मुख्य काम जनता की नब्ज टटोलने और घर-घर जनता के बीच पहुंचने का रहेगा।
इन सीटों पर होना है चुनाव
प्रदेश की जिन चार सीटों पर उपचुनाव होना हैं उनमें खंडवा लोकसभा सीट भी शामिल है। यह सीट भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान की मौत की वजह से रिक्त हुई है। इसी तरह से रैगांव सीट भी भाजपा विधायक की मृत्यु की वजह से हुई है, जबकि पृथ्वीपुर और जोबट विधानसभा की सीट कांग्रेस विधायकों की मृत्यु की वजह से रिक्त हुई हैं। इनमें से खंडवा व पृथ्वीपुर सीट तो अभी से भाजपा के लिए मुश्किल वाली मानी जा रही हैं। आम विधानसभा चुनाव में तो भाजपा पृथ्वीपुर में तीसरे स्थान पर रही थी। इस सीट पर भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती ऐसे प्रत्याशी की तलाश की बनी हुई है, जो कांग्रेस प्रत्याशी को चुनौती देने में सक्षम हो।