
- सीएम सचिवालय के निर्देश भी उड़ा देती हवा में ….
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में अफसरशाही बेलगाम और मनमाने तरीके से काम करने में इतनी माहिर हो चुकी है कि अब तो हमारे विधायकों को भी तवज्जो भी नहीं देती हैं। हालत यह है कि न तो उनके पत्रों के उत्तर दिए जाते हैं और न ही उनके कामों को ही महत्व दिया जाता है। ऐसे में प्रदेश के आमजन की हालत क्या है समझी जा सकती है। सरकार भी इस अफसरशाही पर लगाम लगाने की जगह उन्हें प्राश्रय देती नजर आती है, जिसकी वजह से उसके हौंसले दिन व दिन बुलंद होते जा रहे हैं। इसी वजह से सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष के विधायक तक आला अफसरों की कार्यप्रणाली से हलाकान बने हुए हैं। इन माननीयों को भी इसकी वजह से आम आदमी की तरह क्षेत्र की समस्याओं को हल कराने के लिए दफ्तरों व अफसरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। प्रदेश में यह हाल तब हैं जबकि दो दशक से लगातार सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विधायकों के पत्रों के उत्तर एक तय समय सीमा में देने के निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके बाद भी अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। खासतौर पर इस तरह के निर्देशों का पालन करने में कलेक्टर सर्वाधिक लापरवाह बने हुए हैं। हद तो यह है कि अफसर मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी पत्रों पर भी कार्रवाई करने में रुचि नहीं लेते हैं। इसका बड़ा उदाहरण है दमोह जिले के जबेरा के भाजपा विधायक धर्मेन्द्र सिंह लोधी। वे अपने इलाके में हैंडपंप खनन के लिए दो साल से लगातार परेशान हैं इसके बाद भी उन्हें कोई सफलता नहीं मिल पा रही है। वे इस मामले में अब तक 63 पत्र लिख कर अफसरों को बता चुके हैं कि उनके इलाके में गर्मियों के समय पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाता है, लेकिन अफसर उनकी बात मानने की जगह हर बार यह लिख देते हैं कि गर्मी में पेयजल संकट जैसी कोई भी स्थिति नहीं रहती है। इसके साथ ही विभाग यह भी तर्क देता है कि जबेरा और तेंदूखेड़ा ब्लाकों के 340 ग्रामों में समूह नलजल प्रदाय योजनाओं का काम चल रहा है और इन इलाकों में 19 हैंडपंप स्थापित कर दिए गए हैं, जबकि लोधी हर हाल में चाहते हैं कि पेयजल समस्या से निदान के लिए एक सैकड़ा हैंडपंप लगाए जाएं। उनका कहना है कि वे इस मामले में सीएम तक को कई पत्र लिख चुके हैं।
एक पखवाड़े में सौ मीटर की दूरी तय कर सका पत्र
प्रदेश के आला अफसर किस तरह से काम करते है इससे ही समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी होने वाले पत्रों पर भी वे गौर करना उचित नहीं मानते हैं। इसका उदाहरण है बरगी के कांग्रेस विधायक संजय यादव का 5 जनवरी को मुख्यमंत्री को दिया गया वह पत्र, जिस पर सीएम ने कुछ कामों की मंजूरी दी थी। उसी दिन ही इस पत्र को सीएम कार्यालय में उप सचिव महीप तेजस्वी ने अपर मुख्य सचिव जल संसाधन को भेज दिया। इसके साथ ही एक पत्र भी लिखा, जिसमें कहा गया कि विधायक संजय यादव द्वारा सीएम को दिया गया पत्र संलग्न है। उसमें डनके द्वारा लिखा गया कि नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही 15 दिनों के भीतर कर उससे संबंधित को भी अवगत कराएं। खास बात यह है कि इस पर एक पखवाड़े में कार्रवाई होना तो दूर यह पत्र ही वल्लभ भवन दो से वल्लभ भवन तीन (नर्मदा घाटी विकास विभाग) तक 15 दिन में पहुंच सका।
इन विधायकों को उत्तर तक नहीं मिला
कटनी जिले के विधायक विजयराघवेन्द्र सिंह बीते ढाई साल से लगातार जिले के विभिन्न कार्यालयों को काम को लेकर पत्र लिख रहे हैं। उनके उत्तर नहीं मिलने पर वे मुख्यमंत्री को भी पत्र लिख चुके हैं इसके बाद भी उनके द्वारा बताए गए काम तो पूरे होना ठीक है, पत्रों के जवाब ही नहीं दिए जा रहे हैं। अब तो वे खुद स्वीकार करने लगे हैं कि वे अफसरों की कार्यप्रणाली से बेहद परेशान हो चुके हैं। लगभग यही हाल कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल का भी है। उनका कहना है कि जीएडी के स्पष्ट निर्देश हैं कि विधायकों के पत्रों का समय पर निराकरण करें। इसके बाद भी उनके द्वारा जिला से लेकर विभाग प्रमुख तक कई पत्र लिखे लेकिन अब तक उनको जवाब ही नहीं मिला है।