
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में इस समय विभाग और वरिष्ठतम आईएएस अफसर प्रशासनिक अराजकता का शिकार हो रहे हैं। इसकी वजह से कई अफसरों के पास बेहद महत्वपूर्ण विभागों के दो -दो प्रभार हैं तो कोई खाली हाथ बैठकर वेतन लेने को मजबूर है। इनमें भी खास बात यह है कि कई जगह तो जूनियर अफसरों को वरिष्ठ अफसरों का जगहों का प्रभार प्रदान कर काम कराया जा रहा है। इसकी बानगी वह तीन प्रमुख संस्थान हैं, जिनका प्रभार अतिरिक्त रुप से देकर चलाया जा रहा है। इनमें माध्यमिक शिक्षा मंडल, प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड से लेकर राजस्व मंडल शामिल हैं।
इनके अध्यक्षों तक के पास दो-दो प्रभार बने हुए है। इनमें इसी माह सेवानिवृत्त होने जा रहे कृषि उत्पादन आयुक्त केके सिंह के पास प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के अध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार है। इसी तरह से विवाद के चलते हटाए गए माध्यमिक शिक्षा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष राधेश्याम जुलानिया के पास इन दिनों कोई काम नहीं हैं। वे बगैर काम के लंबे समय से वेतन ले रहे हैं। उनको हटाए जाने के बाद सरकार ने इस पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी विभाग की ही प्रमुख सचिव और 1994 बैच की आईएएस रश्मि अरुण शमी को सौंप रखी है। इसी तरह से मुख्य सचिव से वरिष्ठ अफसर को राजस्व मंडल के अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर उन्हें मंत्रालय से बाहर पदस्थ किए जाने की परंपरा है। इस परंपरा को भी तोड़ दिया गया है। इस पद का काम सरकार द्वारा 1990 बैच के आईएएस अश्विनी राय को सौंप रखी है। उन्हें भी सरकार द्वारा मत्स्य कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी दे रखी है। इसी तरह से महानिदेशक प्रशासन अकादमी का पद वैसे तो मुख्य सचिव से वरिष्ठ अफसर का पद है, लेकिन इस पद पर भी सामान्य प्रशासन विभाग प्रमुख सचिव दीप्ती गौड़ मुकर्जी को अतिरिक्त रुप से दे रखी है। यही हाल टीआरआई का भी है। यहां की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह के पास है।
तबादला सूची का बना हुआ है इंतजार
सरकार द्वारा जारी की जाने वाली सूची का इंतजार लंबे समय से बना हुआ है। इसको लेकर कई बार मंथन भी हो चुका है। इसके बाद तैयार की गई सूची में मंत्रालय में वरिष्ठ अफसरों और कुछ कलेक्टर, कमिश्नर सहित विभागाध्यक्षों के नाम बताए जाते हैं। माना जा रहा है कि यह सूची इसी हफ्ते में जारी की जा सकती है। सूत्रों की माने तो इसमें कुछ विभागों के प्रमुख सचिवों के अलावा आधा दर्जन से अधिक कलेक्टरों के नाम भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि पंद्रह अगस्त के आयोजन व प्रदेश में बनी बाढ़ की स्थिति की वजह से इस सूची को रोक दिया गया था।