मप्र में अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार नए रोजगार के खुलने लगे दरवाजे

 रोजगार

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना काल में मंद पड़ी प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक बाद फिर से गति पकड़ चुकी है, जिसकी वजह से अब धीरे-धीरे प्रदेश में नए रोजगार के दरवाजे खुलना शुरू हो गए हैं। इसकी वजह से एक बार फिर से प्रदेश में नए सिरे से आर्थिक विकास की संभावनाएं प्रबल होना शुरू हो गई हैं। इसकी वजह है प्रदेश में निवेशकों के अनुकूल बनाई गई सरकार की नीति। इसकी वजह से ही प्रदेश में बीते लंबे समय से औद्योगिक विकास तेज हो रहा था, लेकिन कोरोना की पहली लहर ने तो मानों इस क्षेत्र को पूरी तरह से तहस नहस ही कर दिया था, लेकिन उसके बाद हालात बदल ही रहे थे कि कोरोना की दूसरी लहर आ गई। हालांकि पहली लहर में लगे झटके के बाद दूसरी लहर आने पर इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए जिससे कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था सुचारु रुप से चलती रहे। इस वजह से प्रदेश में कोरोना काल के बीच भी औद्योगिक विकास की नई राह निकली। इसकी वजह से ही न केवल प्रदेश में अधिक निवेश आया बल्कि नए रोजगार में भी वृद्धि हुई। इसकी वजह से अब प्रदेश में तीन हजार नए उद्योग खुलने जा रहे हैं। इसकी वजह से कोरोना काल में मिला 15 हजार लोगों को नए रोजगार के बाद अब रोजगार के भी नए अवसर खूब मिलने की उम्मीद लगाई जा रही है।
यह है संभावना
आगामी दिनों में प्रदेश में करीब 3000 नए उद्योग शुरू करने की तैयारी की जा रही है। प्रदेश सरकार भी अब चाहती है कि प्रदेश में नए उद्योग खुलने की पुरानी स्थिति को हर हाल में जल्द पा लिया जाए। प्रदेश में दो साल पहले 18-19 में 2. 98 लाख उद्योग पंजीकृत हुए, 2019-20 में 2.88 उद्योग पंजीकृत हुए।  20-21 का आंकलन अभी जारी नहीं हुआ है। इस बीच कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में उद्योग बंद भी हुए हैं। अच्छी बात यह है कि बीते अप्रैल माह में 1903 नई इकाइयोंं का शुभारंभ किया गया है। इनमें से करीब 770 शुरू हो चुकी हैं। इसी तरह वर्ष 2019-20 में एमएसएमई में 19242 करोड़ का पूंजी निवेश हुआ, लेकिन कोरोना काल के 2020-21 में इसमें करीब 80 फीसदी तक की कमी आयी। हालांकि अब अप्रैल में नई इकाइयों के खुलने से फिर स्थिति तेजी से बदल रही है। इसकी वजह से 1160.90 करोड़ का निवेश आया है।
उद्योगों ने संभाली अर्थव्यवस्था
मध्यप्रदेश में कोरोना संकट की वजह से बेपटरी हो चुका औद्योगिक क्षेत्र धीरे-धीरे विकास के नए रास्ते पर चलने गला है। यही वजह है कि कोरोना के समय बेपटरी हुआ और उद्योग सेक्टर अब धीरे-धीरे पटरी पर दौड़ने लगा है। सरकार द्वारा दी गई राहत की वजह से आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन से जुड़े करीब साढ़े पांच सौ उद्योग आपात स्थिति में भी चलते रहे। कोरोना के बीच सरकार ने भी उद्योगों के महत्व को देखते हुए उन्हें चलाए रखने में मदद की। यह मदद सकारात्मक कदमों व लॉकडाउन और उसके बाद संचालन में छूट को लेकर दी गई। यही वजह है कि राज्य का उद्योग सेक्टर अब धीरे-धीरे पटरी पर दौड़ना शुरू कर रहा है। फिलहाल प्रदेश में 22 हजार से ज्यादा उद्योग चल रहे हैं।
इंवेटस्टर्स समिट का मिला फायदा  
प्रदेश के औद्योगिक विकास में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का बड़ा फायदा मिला है। प्रदेश में जितनी भी समिट हुई हैं अगर उनका निवेश के रुप में औसत निकाला जाए तो हर समिट करीब औसतन दो लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ। प्रदेश में अब तक आधा दर्जन राज्य स्तरीय इंवेस्टर समिट हुई। इनका आयोजन भाजपा की शिव सरकार के समय किया गया था। इसके अलावा दो साल पहले नाथ सरकार के समय मैग्नीफिसेंट एमपी के नाम से भी एक समिट आयोजित की गई थी। ग्लोबल इंवेस्टर समिट के कांसेप्ट को शिव सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में लाई थी। इसके लिए विदेशों में भी मध्यप्रदेश मूल के लोगों का फ्रेंड्स आॅफ एमपी गु्रप का भी गठन किया गया था। जिसकी वजह से  निवेश में फायदा हुआ। इसी तरह से पहली बार प्रदेश में करीब चालीस हजार हैक्टेयर का लैंड बैंक भी बनाया गया है। इसके जरिए क्लस्टर आधारित निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन्हीं क्लस्टर में समिट के तहत भी सर्वाधिक निवेश आया। इसी तरह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत सिंगल विंडो प्रणाली भी लागू की गई। इसके बाद अब डीम्ड परमिशन का कांसेप्ट लाया गया है। इसके तहत निर्धारित समयावधि में ऑटोमेटिक सभी मंजूरियां मिलने का रास्ता खुल गया।
लक्ष्य पाना है मुश्किल
वर्ष 2011-12 में मध्यप्रदेश के सकल मूल्यवर्धन में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान 27.9 प्रतिशत था। 2018-19 में ये 25.73 फीसदी हो गया। फिर 2019-20 में 25.68 फीसदी हुआ। मार्च 2020 से कोरोना काल शुरू हुआ तो हालात बिगड़ते चले गए, लेकिन सरकार का अब पूरा प्रयास है कि इस अगले साल तक हर हाल में 27 फीसदी कके आंकड़े तक पहुंचा जाए।
इस तरह का प्रयोग
कोरोना काल में प्रदेश में 32 आजीविका रूरल मार्ट शुरू किए गए हैं, जबकि अभी 44 रूरल मार्ट और शुरू करने की योजना है। इन मार्ट में एक ही स्थान पर समस्त आजीविका उत्पादों को सुपर स्टोर की तरह विक्रय के लिए उपयोग किया जाता है। यह ग्रामीण विकास के तहत आजीविका समूह के स्टोर है।

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