एक साल बाद भी नहीं पहुंच सकी गौशालाओं में बिजली

 बिजली

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सैकड़ों गौशालाओं की स्थिति आज भी ऐसी है कि कहीं बिजली नहीं है तो कई अन्य सुविधाओं के अभाव में यह चल रहीं हैं। हालांकि विद्युतीकरण के लिए पशुपालन विभाग द्वारा आरकेवीवाई योजना के तहत बिजली का काम नवीन एवं नवीकरणीय विभाग को दिया गया था लेकिन एक साल की लंबी अवधि गुजर जाने के बाद भी विभाग इस काम को पूरा नहीं करा पाया है। वहीं हाल ही में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक में निर्णय लिया गया है कि अब नवकरणीय की जगह ऊर्जा विभाग यह काम करेगा।
दरअसल समय पर विद्युतीकरण नहीं होने पर पशुपालन विभाग में सौर ऊर्जा के स्थान पर विद्युत विभाग को काम देने का प्रस्ताव प्रशासन को दिया था सीएस द्वारा निर्णय लिया गया कि 550 गौशालाओं में सौर ऊर्जा से विद्युत उपकरण के स्थान पर 430 गौशालाओं में पारंपरिक ऊर्जा से विद्युत वितरण कराया जाए इसके लिए राशि भी ऊर्जा विभाग को हस्तांतरित की जाए जिससे समय पर काम पूरा हो सके।
हर ग्राम पंचायत में एक गौशाला बनाने का लिया था निर्णय
उल्लेखनीय है कि पिछली कमलनाथ सरकार ने हर ग्राम पंचायत में एक गौशाला बनाने का निर्णय लिया था। इस योजना के तहत प्रथम चरण में एक हजार चार ग्राम पंचायतों में गौशाला बनाने के लिए मंजूरी मिली। मनरेगा के अंतर्गत पूर्ण कराई गई इन गौशालाओं में बिजली नहीं होने की समस्या बनी हुई। वहीं पानी के लिए प्रत्येक गौशाला को 1.66 लाख की राशि दी गई है। सूत्रों की मानें तो गौशालाओं के संचालन का काम स्व सहायता समूह व अन्य संस्थाओं को सौंपा जा रहा है। इसके लिए बाकायदा पंचायतों के माध्यम से अनुबंध किए गए हैं। बता दें कि मनरेगा द्वारा बनाई गई गौशालाओं में बिजली और पानी की व्यवस्था गौ संवर्धन बोर्ड करता है।
बनी है असमंजस की स्थिति
बहरहाल अब भी ग्राम पंचायतों में गौशालाओं के निर्माण को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दरअसल पंचायत दर्पण पोर्टल में जहां 690 गौशालाएं दर्ज हैं, वहीं मनरेगा के रिकॉर्ड में 1152 गौशालाएं हैं। पशुपालन विभाग में 1004 गौशालाएं स्वीकृत हैं, जबकि 973 गौशालाओं का ही निर्माण कार्य ही पूरा हुआ है।
बिजली पहुंचने में इस तरह की हैं दिक्कतें
रीवा जिले की शती सेंगर ग्राम पंचायत में तकटिबं तेरह सौ एकड़ में गौशाला का निर्माण कराया गया है। गौशाला से बिजली का खंबा करीब एक हजार मीटर की दूरी पर है। इसके लिए तार बिछाने के लिए खर्च साढ़े चार लाख रुपए आएगा। इसी तरह देवास जिले के बरदू ग्राम में गौशाला से ट्रांसफार्मर की दूरी बारह सौ मीटर है। यहां पर करीब पौने पांच लाख का खर्च आएगा। बड़े खर्च को बचाने के लिए सौर ऊर्जा से बिजली पहुंचाने का निर्णय लिया गया था। यही वजह है कि पशुपालन विभाग ने आरकेवीवाई योजना से विद्युतीकरण का काम नवीन एवं नवकरणीय विभाग को दिया था लेकिन यह विभाग एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी काम पूरा नहीं कर पाया है।

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