फर्जीवाड़ा रोकने अब पोषण आहार बांटने की व्यवस्था समूहों को दी

 पोषण आहार

आंगनवाड़ी केंद्रों पर पर्याप्त, गर्म खाना समय पर पहुंच रहा है कि नहीं विभाग द्वारा इसकी सतत् निगरानी की जाएगी…

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। 
महिला एवं बाल विकास विकास विभाग ने प्रदेश की आंगनबाड़ियों में पोषण आहार में हो रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए कदम उठाया है। इसके तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में परोसे जाने वाले पोषण आहार की व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है। दरअसल अब इस काम की जिम्मेदारी शहरी और ग्रामीण आजीविका मिशन व तेजस्विनी समूह को दी गई है।
 विभाग ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए है और अगले महीने से यह काम शुरू कर देंगे। बता दें कि अभी तक स्थानीय स्तर पर बनने वाले समूह यह जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी लगभग 97 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में सूखा और गरम पोषण आहार बच्चों को दिया जाता है। सूखा पोषण आहार एमपी एग्रो के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचता है वहीं गर्म खाना स्थानीय स्तर पर तैयार कर बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दिया जाता है।
पंजीकृत समूहों को ही मिलेगा काम
दरअसल अभी तक कलेक्टर की अनुशंसा से स्थानीय स्तर पर समूहों को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। विभाग ने तय कर दिया है कि अब सिर्फ शहरी और ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत पंजीकृत या तेजस्विनी समूह ही यह काम कर पाएंगे। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वर्तमान में जो समूह काम कर रहे हैं उनके द्वारा गड़बड़ियां की जा रही है, उन्हें रोकने के लिए विभाग ने यह कवायद की है।
केंद्रों का समूह बनाकर किया जाएगा वितरण
महिला एवं बाल विकास विभाग ने नई व्यवस्था के तहत जो खाका तैयार किया है उसके अनुसार एक स्व-सहायता समूह दस आंगनबाड़ी केंद्रों के समूह को गर्म खाना उपलब्ध कराएगा। इसके लिए आंगनवाड़ी केंद्रों के समूह बनाए जाएंगे और फिर बाकायदा निविदा बुलाकर उन्हें काम सौंपा जाएगा। यही नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए कि गर्म खाना आ रहा है यह नहीं, वह पर्याप्त मात्रा में है या नहीं इसकी निगरानी का काम पर्यवेक्षकों को दिया जाएगा।
सरकार के पोषण आहार उत्पादन कारखानों पर फैसला अगले हफ्ते
उल्लेखनीय है कि दो साल पहले सरकार ने सात पोषण आहार कारखाने बनवाए हैं, जो फिलहाल एमपी एग्रो संचालक कर रहा है। इन कारखानों को अब महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपने का फैसला अगले हफ्ते हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का यह प्रस्ताव कैबिनेट के लिए भेज दिया गया है और अगले हफ्ते होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लग सकती है। बता दें कि पोषण आहार व्यवस्था में ठेकेदारों की दखलंदाजी खत्म करने के लिए वर्ष 2017 में शिवराज सरकार ने महिला स्व सहायता समूह से पोषण आहार तैयार कराने का फैसला लिया था। इसके लिए वर्ष 2018 में होशंगाबाद, धार, देवास, सागर, शिवपुरी, मंडला और रीवा में पोषण आहार उत्पादन के लिए सरकारी कारखाना खोलने का निर्णय लिया था। यह कारखाने 2020 में बनकर तैयार हुए। इससे पहले ही कांग्रेस सरकार इन कारखानों को संचालित करने की जिम्मेदारी एमपी एग्रो को दे चुकी थी।

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