
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में निवेशकों को लुभाने के लिए बनाई गई नीति के परिणाम अब तेजी से आना शुरू हो गए हैं। इसकी वजह से अब पिछड़े माने जाने वाले इलाकों में भी निवेश आने का रास्ता खुल गया है। इसकी बानगी बन रहा है विंध्य का इलाका, जहां पर अब इंडस्ट्रियल हब बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। हाल ही में एमपीआईडीसी को करीब 2150 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश करने का प्रस्ताव आया है।
इस निवेश के पहले चरण में ही 10 हजार लोगों को रोजगार मिलने का भी रास्ता खुल जाएगा। अधिकारियों का दावा है कि इस इलाके में दो बड़ी औद्योगिक इकाइयों पर उद्यमी जल्द 2150 करोड़ रुपए निवेश करने जा रहे हैं। विंध्य वह इलाका है जहां पर करीब दो दशक बाद दो बड़ी औद्योगिक इकाइयां स्थापित होने जा रही हैं। निवेशकों द्वारा निवेश के लिए मध्य प्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीआईडीसी) कार्यालय में आवेदन दिया जा चुका है। इसमें से एक निवेश सीमेंट निर्माण के क्षेत्र में आ रहा है। इसके लिए एमपीआईडीसी द्वारा कंपनी के लिए जमीन आवंटन की प्रक्रिया फाइनल कर दी गई है। सब कुछ योजना के तहत हुआ तो जल्द ही कंपनी द्वारा दो हजार करोड़ का निवेश शुरू कर दिया जाएगा। दूसरा प्रस्ताव सिंगरौली जिले के बरगवां में कोयला कंपनी द्वारा 10 एकड़ जमीन आवंटन के लिए आवेदन दिया गया है। यहा पर कोयला से संबंधित इकाई की स्थापना की जानी है। इस कंपनी द्वारा लगभग 1500 करोड़ का निवेश किया जाना है।
रीवा जिले में बनेंगे दो नए औद्योगिक क्षेत्र
रीवा के गुढ़ इलाके में शीघ्र ही 108 हेक्टेयर एरिया में 24 करोड़ की लागत से औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने की योजना है। इस इलाके में सड़क , बिजली और पानी का अस्सी फीसदी काम पूरा हो गया है। यहां पर गुढ़ में सात उद्यमियों को प्लाट आवंटित भी किया जा चुका है। इसी तरह से मऊगंज में 175 हेक्टेयर एरिया में भूमि अधिग्रहीत कर विकसित किए जाने की भी कवायद की जा रही है।
34 हेक्टेयर का औद्योगिक क्षेत्र में फंसा पेंच
सतना जिले के मैहर में 34 हेक्टेयर एरिया में बनाए जाने वाले औद्योगिक क्षेत्र को विकसित कर जमीन का आवंटन किए जाने के बाद भी 21 प्लाट ऐसे हैं , जिन पर स्थानीय लोग कब्जा किए हुए हैं। इसकी वजह से जमीन का आंवटन होने के बाद भी औद्योगिक इकाइयां स्थापित नहीं हो रही हैं। अब विवाद के चलते यह मामला मामला कोर्ट पहुंच गया है।