
- वरिष्ठ अफसरों के आदेशों को भी दरकिनार कर देते हैं अधिकारी…
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। वैसे तो प्रदेश का वन महकमा अपने कारनामों की वजह से हमेशा ही सुर्खियों में बना रहता है लेकिन अब तो हद ही हो गई। दरअसल इस बार सुर्खियां बनने की वजह महकमे के अंतर्गत लघु वनोपज व विंध्य हर्बल में कर्मचारियों और अधिकारियों की अपने वरिष्ठ अफसरों से सैटिंग है। बता दें कि वन महकमे की मुखिया द्वारा आदेश जारी किया गया कि सरकारी कामकाज को पारदर्शिता और निष्पक्षता से संचालित करने के लिए एक ही जगह पर तीन वर्षों से ज्यादा समय से पदस्थ कर्मचारियों को मौजूदा पदस्थापना से हटाकर अन्यत्र पदस्थ किया जाए। हालांकि इस आदेश के बावजूद भी लघु वनोपज संघ से लेकर विंध्य हर्बल तक में बीते 12-15 सालों से पदस्थ कई कर्मचारी अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं। सूत्रों की माने तो कई सालों से एक ही स्थान पर जमे रहने के कारण इन अधिकारी, कर्मचारियों के वरिष्ठ अफसरों से संबंध बन जाते हैं। जिनसे ये सेटिंग कर लेते हैं और अन्यत्र कहीं भी जाने की बजाय वहीं जमे रहते हैं। यही वजह है कि विभाग में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी पनपती रहती है।
कोलार में विंध्य हर्बल की दो फर्मो से जड़ी बूटियों से लेकर प्लास्टिक की टंकी, पाइप और निर्माण सामग्री तक की सप्लाई होती है। इसके बारे में शिकायतें विभागीय मंत्री से लेकर लघु वनोपज संघ तक में भी हुई हैं। ऐसी कई शिकायतों का खुलासा हुआ है कि यह फर्मे दो मौजूदा कर्मचारियों की है। इसमें एक पूर्व सीईओ की भी पार्टनरशिप है। इनमें से कई के खिलाफ कमीशनखोरी, फर्जी बिलिंग, घटिया और सड़ी हुई जड़ी बूटियों की खरीदी में करोड़ों रुपए के गोलमाल की जांच सालों से लंबित है। इसके बावजूद इनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर विंध्य हर्बल के सीईओ इन कर्मचारियों के तबादले का प्रस्ताव तक मुख्यालय नहीं भेजते हैं। वहीं पीसीसीएफ एवं वन बल प्रमुख रमेश कुमार गुप्ता का कहना है कि विंध्य हर्बल और कर्मचारियों के बारे में जिम्मेदारी प्रबंध संचालक की है। उल्लेखनीय है कि 29 जुलाई 2021 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने सभी वनसंरक्षकों एवं वनमंडलाधिकारियों को आदेश जारी कर के स्थानांतरण नीति 2021 का हवाला देते हुए कहा था कि तीन साल से अधिक समय से एक ही जगह पर पदस्थापना वाले कर्मचारियों को अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने का प्रस्ताव वन विभाग मुख्यालय भेजा जाए। जिससे स्थानांतरण नीति का पालन हो सके। इसके बावजूद भी न तो लघु वनोपज संघ और न ही विंध्य हर्बल की ओर से सालों से जमे कर्मचारियों के तबादले का प्रस्ताव अब तक नहीं भेजा गया।
ये जमे हैं सालों से एक ही जगह
विंध्य हर्बल में वनपाल प्रशांत लखेरा, सतीश पटेल, श्रीधर वर्मा (डिप्टी रेंजर) गोपाल शरण तिवारी, सविता धुर्वे, केवीएस परिहार रूपसिंह राजपूत व रविंद्र पाल शामिल हैं तो वहीं स्टाफ में नंदलाल कुशवाहा, कैलाश रघुवंशी, कौशलेश मिश्रा आदि पिछले दस से भी अधिक सालों से एक ही जगह पर ऐसे जमे हुए हैं कि कोई इनका तबादला कर ही नहीं सकता।