जयस ने बढ़ाया भाजपा-कांग्रेस का टेंशन, कांग्रेस को अधिक खतरा

भाजपा-कांग्रेस

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। बीते विधानसभा की तरह ही इस बार भी भाजपा व कांग्रेस के लिए जयस मुसीबत बन कर खड़ी होती जा रही है। दरअसल जयस ने अपने प्रभाव वाली दो उपचुनाव वाली सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। यह दोनों ही सीटें मालवा अंचल से आती हैं। इनमें से एक खंडवा लोकसभा तो दूसरी जोबट विधानसभा की सीट है। यह दोनों उन चार सीटों में शामिल हैं, जिन पर जल्द ही उपचुनाव होना है। जयस की चुनाव लड़ने की घोषणा से भाजपा व कांग्रेस दोनों की मुसीबत बढ़ गई है। हालांकि इसमें सर्वाधिक नुकसान कांग्रेस को होने की संभावना है। इस घोषणा के बाद से भाजपा व कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों में नए सिरे से चिंतन मनन का दौर शुरू हो गया है। दरअसल खंडवा और जोबट वह सीटें हैं, जिन पर आदिवासी मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है। यही वर्ग यहां पर हार-जीत का फैसला भी करता है। जयस यानि की जय आदिवासी युवा संगठन ने इन दोनों ही सीटों पर न केवल चुनाव लड़ने की तैयारी के तहत तेजी से अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, बल्कि जोबट विधानसभा सीट के लिए अपना प्रत्याशी तक तय कर दिया है। यह सीट पहले कांग्रेस के कब्जे में थी, लेकिन कोरोना काल में कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया की मौत हो जाने की वजह से यह सीट रिक्त हो चुकी है। गौरतलब है कि इस आदिवासी संगठन के संस्थापक सदस्य डॉ. हीरालाल अलावा इस समय कांग्रेस के विधायक हैं। वे विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे और उसी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। अलावा के कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की वजह से ही मालवा अंचल की आदिवासी बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली थी, जिसकी वजह से कई भाजपा दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा था।
कांग्रेस की बढ़ सकती है अधिक मुश्किल
दमोह सीट पर उपचुनाव में मिली बड़ी जीत से कांग्रेस भारी उत्साह में है। कांग्रेस इस बार अपनी जोबट और पृथ्वीपुर सीट को तो हर हाल में जीतना ही चाहती है साथ ही उसकी नजर खंडवा लोकसभा व रैंगाव विधानसभा सीट पर भी है। जयस के चुनाव लड़ने की घोषणा की वजह से कांग्रेस के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई है। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि खंडवा और जोबट सहित चारों उपचुनाव पर उसकी जीत होगी। उनका दावा है कि आदिवासी कांग्रेस के साथ हैं। कोरोना और महंगाई के कारण लोग बेहद मुश्किल में हैं। इसकी वजह से मतदाता कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने का मन बना चुके हैं। खास बात यह है कि जयस द्वारा बनाए जा रहे नए हालातों की वजह से संभावना बन रही है कि कांग्रेस खंडवा से किसी आदिवासी युवा चेहरे पर दांव लगा दे। इस संभावना के चलते कांग्रेस की ओर से टिकट के सबसे बड़े दावेदार अरुण यादव के सामने एक और मुश्किल नजर आने लगी है।
भाजपा को लेकर बढ़ गई नाराजगी
जयस द्वारा हाल ही में महू में बड़ा प्रदर्शन किया गया था, जिसमें शामिल होने की वजह से आदिवासी वर्ग में मजबूत पकड़ रखने वाले पटवारी नीतेश अलावा को निलंबित किया जा चुका है। इस कार्रवाई से इलाके का आदिवासी समुदाय नाराज है। बताया जा रहा है कि अब जयस उन्हें ही जोबट सीट से चुनाव में उतारने की तैयारी कर रहा है। इस मामले में कांग्रेस विधायक और जयस के संस्थापक हीरालाल अलावा का कहना है खंडवा और जोबट उपचुनाव में अगर कांग्रेस किसी आदिवासी युवा को मौका देती है तो मिलकर चुनाव लड़ने की गुंजाइश बन सकती है।
प्रदेश में 22% है आबादी
मध्यप्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक आदिवासियों की आबादी 22 फीसदी के करीब है। इनकी यह आबादी प्रदेश में 95 विधानसभा की सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहती है। फिलहाल जिन चार सीटों पर उपचुनाव होना हैं उनमें खंडवा लोकसभा के अलावा जोबट विधानसभा सीट इनके प्रभाव वाले इलाकों में आती है। इनमें खंडवा लोकसभा के तहत 8 विधानसभा की सीटें हैं, जिनमें से 4 सीटें आरक्षित हैं। इस सीट के तहत 6 लाख से ज्यादा आदिवासी मतदाता आते हैं। यह मतदाता जिस तरफ हो जाते हैं उसी तरफ का पलड़ा भारी हो जाता है।
बीजेपी भी कर रही जीत का दावा
खंडवा लोकसभा सीट बीजेपी के नंदकुमार सिंह चौहान और जोबट विधानसभा सीट कांग्रेस की विधायक कलावती भूरिया की कोरोना के कारण निधन से रिक्त हुई है। बीजेपी इन दोनों सीटों पर जीत के लिए अपनी रणनीति बनाने में लगी हुई है। इन दोनों ही सीटों को लेकर हाल ही में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में भी चर्चा की जा चुकी है। भाजपा फिलहाल जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश में लगी हुई है। जयस के चुनाव लड़ने की घोषणा से कांग्रेस के अलावा भाजपा के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है। इस मामले में बीजेपी का कहना है कि जयस कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। भाजपा का अपना वोट बैंक है, इसलिए जयस से भाजपा पर कोई अंतर पड़ने वाला नहीं है। वैसे भी हम विकास के मुद्दे पर ही चुनाव में उतरेंगे।
शेरा के बाद जयस की चुनौती
कांग्रेस के निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा की पत्नी की दावेदारी को लेकर अभी अरुण यादव के टिकट का संशय समाप्त भी नहीं हुआ था कि अब उनके सामने जयस ने बखेड़ा खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के सामने बड़ा संकट यह है कि अगर वह अपने कद्दवार नेता का टिकट काटती है तो पार्टी में केवल असंतोष बढ़ेगा बल्कि कार्यकर्ताओं व जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं जाएगा और अगर जयस उम्मीदवार को समर्थन नहीं देता या फिर किसी युवा आदिवासी को नहीं उतारता है तो आदिवासी वोट बैंक खिसकने का खतरा बना हुआ है। फिलहाल कांग्रेस के सामने एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई की स्थिति बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस विधायक झूमा सोलंकी पहले ही खंडवा से किसी आदिवासी को टिकट देने की मांग कर चुकी है।
शेरा के दावे में कितना दम
दिल्ली से अब तक तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज है। कांग्रेस की तरफ से टिकट को लेकर घमासान तेज हो गया है। एक तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव दावेदारी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा अपनी पत्नी के लिए टिकिट की मांग कर रहे हैं। इस बीच सुरेंद्र सिंह शेरा ने बड़ा दावा किया है कि खंडवा से अरुण यादव को टिकिट नहीं मिलेगा।

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