
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। नगरीय निकाय व पंचायत के चुनाव टलने के बाद अब सरकार सहकारिता चुनाव की तैयारी में है। मानसून के बाद इसकी कवायद शुरू हो जाएगी। भारतीय जनता पार्टी के नेता भी सहकारिता चुनाव जल्द कराना चाहते हैं। सत्ता व संगठन के सामने उन्होंने इसको लेकर चर्चा भी की है। सहकारिता की रीढ़ मानी जाने वाली प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) का कार्यकाल समाप्त हुए भी तीन साल से ज्यादा हो चुके हैं और उनकी कमान प्रशासकों के हाथ में है। इसके साथ ही लगभग सभी सहकारी संघों में चुना हुआ बोर्ड नहीं है। प्रदेश में 4524 पैक्स और 38 जिला सहकारी बैंक हैं। पैक्स और 36 जिला सहकारी बैंकों में प्रशासक बैठे हुए हैं। इनके चुनाव नहीं होने से अपेक्स बैंक में भी बोर्ड नहीं है। यहां तो वर्ष 2015 से प्रशासक काम संभाल रहे हैं।
मई-जून तक टल चुके हैं नगरीय निकायों के चुनाव: सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने भी साफ किया है कि संस्थाओं के चुनाव जल्द कराए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार भाजपा के सांसदों व विधायकों ने भी सहकारिता चुनाव के लिए सरकार पर दबाव बनाया है। दरअसल, सहकारिता अधिनियम में पिछले दिनों परिवर्तन किया गया है। अब सहकारी संस्थाओं में सांसद व विधायक भी अध्यक्ष बन सकते हैं। पहले यदि कोई सहकारी संस्था का अध्यक्ष सांसद या विधायक बनता था, तो उसे एक पद छोड़ना होता था। निकाय चुनाव अगले साल मई-जून तक के लिए टल चुके हैं। इससे पहले सहकारिता के चुनाव कराने की कोशिश है। पैक्स से लेकर अपेक्स बैंक और अन्य सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराने में कम से कम सात-आठ महीने लगेंगे। संस्थाओं की मतदाता सूची तैयार करने के लिए कहा गया है। सूची बनने के बाद चुनाव की तारीख घोषित की जाएगी। उम्मीद है कि सहकारिता विभाग 15 सितंबर के बाद कभी भी इस दिशा में कदम आगे बढ़ाएगा।