प्रोजेक्ट्स में देरी हुई तो निर्माण इंजीनियरों पर गिरेगी गाज

नर्मदा विकास प्राधिकरण

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। नर्मदा विकास प्राधिकरण की समीक्षा बैठक में अधूरे पड़े कामों को लेकर चिंता जताई गई है। यही नहीं अब सरकारी काम में लेटलतीफी को लेकर मैदानी अफसरों और निर्माण इंजीनियरों को सख्त हिदायत दी गई है। यानी प्रोजेक्ट से जुड़े हुए इंजीनियरों पर अब गाज गिरेगी। उनकी सैलरी और इंक्रीमेंट भी रोका जाएगा। विगत दिनों नर्मदा विकास प्राधिकरण की बैठक के दौरान मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने प्रोजेक्ट में लेटलतीफी को देखते हुए अधिकारियों से जवाब तलब किया है। जिसके बाद  विभाग के अपर प्रमुख सचिव को सफाई देनी पड़ी है।
यही वजह है कि अब अपर प्रमुख सचिव आईसीपी केसरी ने मैदानी अमले को हिदायत दी है कि यदि काम में लेटलतीफी पाई गई तो सैलरी भी काटी जा सकती है। उन्होंने अफसरों की जिम्मेदारी तय करते हुए कहा कि निर्माण कार्यों में अनावश्यक विलंब हुआ और निर्माण एजेंसियों द्वारा कार्य रोका गया तो इसके लिए संबंधित इंजीनियर्स जिम्मेदार होंगे। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि यदि निर्माण कार्य रुका तो अधिकारियों की वेतन वृद्धियां भी रुक सकती हैं। इस  बैठक में मुख्य अभियंता, अधीक्षण यंत्री और कार्यपालन यंत्री मौजूद रहे।
किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने की है योजना
सूत्रों की माने तो समीक्षा बैठक खासतौर पर बरगी व्यपर्तन योजना पर चर्चा की गई। तीन जिलों के किसानों के खेतों तक सिंचाई का पानी पहुंचाने की तैयारी की जा रही है लेकिन 14 साल की लंबी अवधि गुजर जाने के बाद भी इमलिया पहाड़ी की टनल का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। हालांकि मुख्यमंत्री ने डेडलाइन तय करते हुए प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के लिए निर्देश दिए थे। बैठक में अफसरों ने बताया कि खनन के दौरान मिट्टी का स्वरूप बदलने के कारण परेशानी आ रही है। आधा काम हो चुका है, सिर्फ रिंग लगाना बाकी है उसे भी पूरा जल्द पूरा कर लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस योजना से जबलपुर, कटनी और सतना के लाखों किसानों को फायदा होगा।
कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी
सरकारी योजनाओं को पूरा करने का वादा कर देरी करने पर कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी चल रही है। इस पर मुख्यमंत्री को फैसला लेना है। करीब 15 से ज्यादा एजेंसियों की जानकारी देने के लिए अफसरों से सूची तैयार करने को कहा गया है। बता दें कि आईवीआरसीएल कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने का निर्णय लिया जा चुका है  वहीं अभी नर्मदा कंट्रोल बोर्ड की बैठक में अंतिम मुहर लगना बाकी है। दो साल से परियोजना का काम बंद पड़ा है। नौ साल में छह बार एक्सटेंशन मिलने के बाद भी काम अधूरा है। मुख्य नहर के अलावा 227 किलोमीटर नहरों का निर्माण होना भी अभी बाकी है। फरवरी 2009 में शुरू हुई परियोजना अभी तक अधूरी है। गांव में नहरों का निर्माण अधूरा है। यही वजह है कि प्रोजेक्ट की समीक्षा बैठक के दौरान कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने का फैसला लिया गया है।

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