
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। नगर निगम भोपाल में जो हो वह कम है। यह राजधानी का वह संस्थान बन चुका है जहां पर अफसर नियम कायदों की जगह अपनी मनमानी से फैसले करते हैं और अपने हिसाब से काम करते हैं। यही वजह है कि नगर निगम के पांच दर्जन ऐसे अफसर हैं जो बीते सात सालों के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजनों के नाम पर 54 लाख रुपए ले चुके हैं, लेकिन उसका हिसाब किताब देने को तैयार नहीं हैं। खास बात यह है कि हर साल बजट लाने वाला निगम भी उनसे इन सालों में हिसाब किताब लेने की जहमत नहीं उठा सका है।
दरअसल यह राशि ऐसे समय अफसरों को एडवांस दी गई जब नगर निगम का खाजाना पूरी तरह से खाली बना हुआ है जिसकी वजह से उसे विकास कामों तक को न केबल बंद करना पड़ा है बल्कि कर्मचारियों को वेतन देने के भी लाले पड़े हुए हैं। अब जाकर नगर निगम की वित्त शाखा को इस हिसाब किताब की याद आयी है। इसके चलते इन सभी को नोटिस देकर हिसाब मांगा गया है। इस नोटिस में कहा गया है कि अगर हिसाब नहीं दिया गया तो उनकी वेतन से दी गई राशि को काट लिया जाएगा। यह हिसाब किताब तीन दिन में देने को कहा गया है।
इस नोटिस के बाद से राशि लेने अफसरों द्वारा अब पुरानी फाइलें खंगाली जा रही हैं , जिससे कि हिसाब किताब बनाकर दिया जा सके। खास बात यह है कि इस तरह की राशि देकर हिसाब न देने वाले अफसरों की संख्या सर्वाधिक जोनल अफसरों की है। नगर निगम के 19 जोन में से 12 जोन के अफसरों द्वारा यह राशि ली गई है। इसी तरह से एक दर्जन एएचओ भी इसी तरह की राशि ले कर हिसाब देना भूल चुके हैं।
8 अफसरों ने ली 32 लाख की राशि
खास बात यह है कि इस तरह की सर्वाधिक राशि लेने वाले आठ अफसरों के नाम है। इन आठ अफसरों ने मिलकर दो साल में ही बतौर एंडवांस 32 लाख रुपए लिए , लेकिन उसका हिसाब अब तक निगम को नहीं दिया है। अब इन सभी के खिलाफ इसकी रिकवरी निकाली गई है। इन अफसरों में जोन अफसरों के साथ ही एएचओ शामिल हैं।