
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में लगातार अवैध शराब के बढ़ते मामलों और उसके पीने से होने वाली मौतों पर लगाम कसने के लिए अफसरों ने सरकार से मिलकर नायाब तरीका नई दुकानें खोलने के रूप में खोजा है। इसके लिए अब मौजूदा शराब दुकानों के अधीन उप दुकानें खोलने की कवायद शुरू कर दी गई है।
इसकी शुरुआत उन जिलों से करने की है, जहां पर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सर्वाधिक अवैध शराब बिक्री के मामले सामने आते हैं। इसके लिए हाल ही में विभागीय मंत्री जगदीश देवड़ा की अफसरों के साथ बैठक भी हो चुकी है। इस मामले में अफसरों व सरकार के बीच सहमति बनने की वजह से अब इस के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगना बाकी है। इसके बाद प्रदेश के कई जिलों में हर पांच किलोमीटर के दायरे में आसानी से शराब मिलना शुरू हो जाएगी। प्रस्ताव के तहत पांच किमी के अंतर पर अगर पहले से कोई दूसरी शराब की दुकान नहीं है या वो क्षेत्र जो दुकान विहीन हैं, उन जगहों पर उपदुकान खोलने की तैयारी की जा रही है। प्रस्ताव के तहत इस तरह की उपदुकानें खोलने के लिए ठेकेदारों से तय की गई लाइसेंस फीस ली जाएगी। यह रास्ता इसलिए खोजा गया है जिससे कि नई दुकानों के खोलने का आरोप भी नहीं लगेगा और काम भी हो जाएगा। बताया जा रहा है कि इसके लिए आबकारी विभाग द्वारा विस्तृत अध्ययन करके नई संशोधित नीति पर काम किया जा रहा है।
दरअसल एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में फिलहाल करीब एक हजार करोड़ का अवैध शराब का कारोबार किया जाता है। उल्लेखनीय है कि इस तरह की तैयारी कांग्रेस सरकार में भी की गई थी, लेकिन उस समय विपक्ष में रहते भाजपा द्वारा इसका पुरजोर विरोध किया गया था। अब भाजपा सरकार भी नाथ सरकार के समय तैयार किए गए इस तरह के प्रस्ताव पर तेजी से अमल की ओर बढ़ रही है। इस योजना पर अमल के पीछे अफसरों का तर्क है कि जिन इलाकों में दुकानों की संख्या बेहद कम और अधिक दूरी पर हैं उन इलाकों में अवैध शराब का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही सरकार स्तर पर गरीबों द्वारा पी जाने वाली देशी शराब की कीमतों को भी कम करने की तैयारी की जा रही है। गौरतलब है कि अभी प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक महंगी दर पर शराब मिलती है। इसकी वजह है प्रदेश में इस पर सर्वाधिक कर लिया जाना।
एक दशक से नहीं हुई दुकानों में वृद्धि
मप्र ऐसा राज्य है , जहां पर बीते एक दशक में शराब की दुकानों की संख्या में वृद्धि नहीं की गई है। प्रदेश में अंतिम बार 2010-11 में वृद्धि की गई थी। यह बात अलग है कि इस बीच कुछ दुकानों को जरूर नर्मदा के किनारे से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया गया था। दुकानों में कोई वृद्धि नहीं होने के बाद भी प्रदेश में इससे मिलने वाले राजस्व में दस गुना तक की वृद्धि हुई है। इस साल इससे करीब 10 हजार करोड़ राजस्व मिलने का अनुमान लगाया गया है। वर्तमान में प्रदेश में देशी शराब की 2544 और विदेशी शराब की 1067 दुकानें हैं। इन दुकानों की संख्या महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की तुलना में कम है। राजस्थान में देशी शराब की 1400 और विदेशी शराब की एक हजार और अपोजिट शराब की दुकानों की संख्या 5200 जबकि महाराष्ट्र में देशी शराब की 4 हजार, विदेशी शराब की 1685 और बीयर की दुकानों की संख्या 6000 है। अपोजिट दुकान उसे कहा जाता है जहां पर देसी विदेशी शराब एक ही दुकान पर मिलती है।
नहीं किया गया आबकारी नीति में बदलाव
वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति में बदलाव किया जाना था, लेकिन कोरोना की स्थिति की वजह से बनी परिस्थितियों को देखते हुए इसमें कोई बदलाव सरकार द्वारा नहीं किया गया, लिहाजा शराब के ठेके उसी नीति के तहत ही दिए गए हैं, जिसे कांग्रेस की नाथ सरकार में लागू किया गया था। हालांकि अब जिस तरह से कवायद की जा रही है उससे माना जा रहा है कि अब प्रदेश की नई आबकारी नीति जल्द ही सामने आ सकती है। खास बात यह है कि इन नई नीति में महुआ की हेरिटेज शराब के लिए भी प्रावधान किए जा सकते हैं।