
- शराब परिवहन की जीपीएस से होगी निगरानी, दी जाएगी रसीद
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में लगातार नकली शराब पीने की वजह से हो रही मौतों के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सख्ती करने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। उनके फिर से एक्शन में आ जाने से माना जा रहा है कि अब शराब माफिया की खैर नहीं रहेगी। सरकार यह सख्ती कानून को और अधिक सख्त और प्रभावशाली बनाकर करने जा रही है।
इसके लिए मसौदा तैयार कर लिया गया है, जिसे आज कैबिनेट में मंजूरी दी जाएगी। इस मसौदे में शराब परिवहन की जीपीएस से निगरानी करने से लेकर शराब बिक्री तक की रसीद देने का प्रावधान किया गया है। मौजूदा कानून में संशोधन कर अवैध शराब का कारोबार करने पर कठोर सजा का प्रावधान भी किया जा रहा है। इसके तहत नकली शराब से मौत पर आजीवन कारावास का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा शराब निर्माताओं द्वारा अवैध रुप से डिस्टलरी से निकाली जाने वाली शराब पर लगाम लगाने के लिए भी कड़े प्रावधान किए गए हैं, जिसमें उसे बंद करने तक का उल्लेख किया गया है। यह बात अलग है कि अब भी आबकारी विभाग के अफसर की निगरानी में यह डिस्टलरियां रहती हैं, लेकिन उनकी मिली भगत से शराब की अवैध निकासी जारी रहती है। इस संबंध में 9 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा के मॉनसून सत्र में सरकार विधेयक ला रही हैं। दरअसल पिछले दिनों मंदसौर में जहरीली शराब पीने से हुई 8 मौतों के बाद शिव सरकार ने अवैध शराब के कारोबार पर सख्त पाबंदी लगाने की पूरी तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री ने बीते रोज उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में कानून व्यवस्था की समीक्षा की। बैठक में सीएम ने प्रदेश में पड़ोसी राज्यों से लाई जा रही अवैध शराब को लेकर जमकर नाराजगी जताई। उन्होंने इसे रोकने के लिए शक्ति के साथ हर संभव प्रयास करने और संबंधित राज्यों से बातचीत करने को कहा। सीएम ने कहा कि जहरीली शराब से लोगों की जान जाना अत्यंत गंभीर अपराध है।
कानून में संशोधन कर अवैध शराब के कारोबार में लगे व्यक्तियों के लिए कठोरतम दंड का प्रावधान किया जाएगा। अवैध शराब के कारोबार में संलग्न व्यक्तियों पर तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए। इसमें देरी बर्दाश्त नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध शराब के कारोबार की जड़ों तक पहुंचने के लिए विशेष टीम गठित कर जांच का अभियान चलाया जाए। उन्होंने प्रदेश से शराब माफिया को पूरी तरह से समाप्त करने के भी निर्देश दिए हैं। चौहान ने कहा कि अगर प्रदेश की कोई भी डिस्टलरी ओपी अल्कोहल के अवैध परिवहन में लिप्त पाई जाती है तो उसे तत्काल बंद कर दिया जाए।
एसआईटी ने सौंपी रिपोर्ट
मंदसौर जिले में नकली शराब से 8 लोगों की हुई मौतों के बाद गठित की गई एसआईटी के अध्यक्ष एसीएस होम डॉक्टर राजेश राजौरा ने अपनी 25 पेज की रिपोर्ट मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को सौंप दी है , जिसमें नकली शराब की बिक्री और आवाजाही रोकने के लिए सख्त प्रावधान करने की सिफारिश की गई है। इनमें आबकारी की धारा 49 (ए) में सजा व जुर्माना बढ़ाने के साथ ही जहरीली शराब बेचने पर उम्र कैद व जुर्माने का प्रावधान किए जाने के अलावा नकली शराब से मौत पर बेचने वालों को मृत्युदंड का सजा का प्रावधान करने की सिफारिश की गई है।
इसके साथ ही आबकारी व पुलिस विभाग के उप निरीक्षक से बड़े अधिकारियों को एक जिले में अधिकतम 5 साल से अधिक समय तक नहीं रखने की भी अनुशंसा की गई है। इसके पीछे की वजह बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ही जिले में रहने की वजह से उनके शराब विक्रय करने वालों से संबंध खास बन जाते हैं। कई बार तो पुलिस व आबकारी विभाग के अफसर अपने रिश्तेदारों को शराब ठेकों में हिस्सेदार तक बना देते हैं। इसकी वजह से अवैध शराब की बिक्री और बढ़ जाती है।
क्यूआरकोड और ट्रैक एंड ट्रेस की व्यवस्था होगी
इस दौरान बताया गया कि शराब की बोतलों पर लगने वाले होलोग्राम की कॉपी नहीं हो और इसका दुरुपयोग ना हो इसके लिए सिक्योरिटी प्रिंटिंग कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया से क्यूआरकोड और ट्रैक एंड ट्रेस की व्यवस्था के साथ होलोग्राम बनवाए जाएंगे। इसमें 20 से 25 सिक्योरिटी फीचर्स होंगे। इसके अलावा डिस्टलरी से निकलने वाले ओपी अल्कोहल के टैंकरों का शत-प्रतिशत आवागमन ई-लॉक सिस्टम के साथ करने की भी तैयारी की जा रही है। इस दौरान गृह मंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने बार में भी अवैध और अमानक शराब की चेकिंग की व्यवस्था की जरूरत बताई।
अवैध शराब बेचने पर उम्रकैद और 50 लाख का जुर्माना
अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसमें खास यह है कि अवैध शराब के कारोबार में लगे लोगों के लिए बतौर सजा उम्रकैद और अधिकतम 50 लाख रु. तक का जुर्माना करने का प्रावधान भी किया जा रहा है। फिलहाल मौजूदा आबकारी एक्ट में अवैध शराब के मामलों में अधिकतम 5 से 10 साल तक की सजा और 50 हजार से 2 लाख रुपए तक की सजा का ही प्रावधान है। यही नहीं मौजूदा प्रावधानों के तहत अगर आबकारी एक्ट की धारा 34(1) में पहली बार अवैध शराब का प्रकरण दर्ज होता है तो 500 रु. तक का जुर्माना और 1 साल के कारावास की ही सजा दी जा सकती है। इसी तरह से दूसरी बार 34(1) में अवैध शराब के मामले में गिरफ्तारी होती है तो 2 माह से दो साल तक की सजा और 10 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान है , जबकि आबकारी एक्ट में 34(2) में प्रकरण दर्ज होने पर 1 साल से 3 साल तक की सजा और 25 हजार रुपए तक की सजा ही दी जा सकती है। इसी एक्ट में दूसरी बार शराब का अवैध परिवहन करते पकड़े जाने पर 5 से 10 साल तक की सजा और 2 लाख रुपए तक के जुर्माने का ही प्रावधान है।
यह भी की गई अनुशंसाएं
– पुलिस व आबकारी अफसर नियमित रूप से शराब दुकानों की चेकिंग करें
– शराब की बिक्री की भी रसीद दी जाए ताकि यह पता चल सके कि उसे कहां से खरीदा गया है।
– शराब परिवहन करने वाले वाहनों पर जीपीएस लगाकर पूरी व्यवस्था ऑनलाइन की जाए।
– जनसंख्या के हिसाब से शराब दुकानों की संख्या में वृद्धि की जाए।
– शराब की बोतलों में उपयोग किए जाने वाले लेवलों में भी बदलाव हो।