जैविक खेती की योजना में लगा 100 करोड़ का बट्टा

जैविक खेती
  • विधानसभा कमेटी की जांच चली डेढ़ साल में अढ़ाई कोस, अब फिर 19 जुलाई को होगी बैठक
    भोपाल/राजीव चतुर्वेदी
    /
    शिवराज सरकार, भाजपा संगठन और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) अपना पूरा फोकस प्रदेश के आदिवासियों पर कर रहे हैं। कह रहे हैं कि तमाम विकास योजनाओं और कार्यक्रमों के जरिए आदिवासियों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए सारे प्रयास किए जाएंगे। लेकिन शिवराज सरकार के ही एक नौकरशाह ने तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय प्रदेश के आदिवासी किसानों के उत्थान के लिए बनी जैविक खेती की योजना में सौ करोड़ रुपए का बट्टा लगा दिया।
    आरोप हैं कि इस नौकरशाह ने योजना का स्वरुप एवं मकसद बदल डाला और कागजों पर ही सौ करोड़ की योजना का क्रियान्वयन कर डाला।  आदिवासियों के नाम पर हुआ यह घोटाला जब विधानसभा में उछला, तो तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने इस घोटाले की जांच के लिए विधायकों की जांच कमेटी बैठा दी। कमेटी को बने डेढ़ साल होने को है, लेकिन अब तक यह पता नहीं चला है कि इस बड़े घोटाले की जांच कहां तक पहुंची है और इसमें क्या हो रहा है, इसको लेकर विधानसभा समिति की बैठक फिर 19 जुलाई को होने वाली है। माना जा रहा है कि इस बैठक में आदिम जाति कल्याण विभाग के जिम्मेदार अफसरान से जवाब-तलब के साथ घोटाले की जांच रिपोर्ट तलब की जा सकती है। दर असल वर्ष 2016 -17 और 2018 -19 में भारत सरकार किसान कल्याण विभाग द्वारा आदिम जाति कल्याण विभाग को  मप्र के आदिवासियों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के मकसद से विशेष योजना के अंतर्गत 90 करोड़ रुपए और अति पिछड़े आदिवासी जैसे बैगा, सहारिया व भारिया के लिए 20 करोड़ रुपए की राशि जैविक खेती योजना के लिए दी गई थी। भारत सरकार ने यह राशि बायो कंपोस्ट यूनिट निर्माण और दूसरा बायोलॉजिकल नाइट्रोजन हार्वेस्ट प्लांटिंग सेस्बनिया रोस्ट्राटा बीज के लिए स्वीकृत की थी। इसके साथ भारत सरकार ने 73 करोड़ सेस्बनिया रोस्ट्राटा बीज सप्लाई के लिए और 37 करोड़ बायो कंपोस्ट यूनिट निर्माण के लिए दिए थे ।
    काम के नाम पर जमीन पर सिर्फ दिखावा हुआ
    योजना के मुताबिक आदिम जाति कल्याण विभाग ने 20 जिलों के आदिवासी और विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, सहरिया व भारिया किसानों को कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा के उत्पादन में सहयोग और प्रोसेसिंग, पैकेजिंग व मार्केटिंग के लिए सौ करोड़ रुपए कृषि विभाग को वर्ष 2017-18 में दिए थे।  विभाग का मकसद साफ था कि जैविक खेती करने वाले आदिवासी किसानों को उन्नत किस्म की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाना था। ताकि उनके लिए खेती लाभ का धंधा बन सके। लेकिन कृषि विभाग के परियोजना संचालक (आत्मा) ने प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और हर जिले के ब्रांडनेम उत्पाद के क्षेत्र में कोई काम नहीं किया और न ही राशि खर्च की। जिन 14 जिले में यह सौ करोड़ रुपए आदिवासी किसानों पर खर्च होना दिखाया गया, सच तो यह कि उनमें जमीन पर कोई ठोस काम ही नहीं हुआ। इसमें अधिकांश किसानों को न तो खाद मिली और न ही कोई अन्य सामग्री। जिन्हें खाद मिली थी तो उसमें राख, मिट्टी और तरल पदार्थ के नाम पर पानी टिका दिया गया।
    नौकरशाहों ने बदल दिया योजना का स्वरूप
    मप्र के नौकरशाहों ने भारत सरकार की आदिवासी कल्याण की इस योजना के स्वरूप को ही बदल डाला। इसमें वरिष्ठ नौकरशाह अशोक शाह (तत्कालीन प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग) की अहम भूमिका रही। भारत सरकार की स्वीकृत योजना के मूल स्वरूप में बदलाव करने से पहले नौकरशाह अशोक शाह ने केंद्र से भी अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं समझी। योजना के क्रियान्वयन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई। इस गड़बड़ी में एमपी एग्रो के अधिकारियों की भी लिप्तता भी सामने आई है।
    विधानसभा में खूब गर्माया था यह मामला
    हम बता दें कि विधानसभा में फुंदेलाल सिंह मार्को ने ध्यानाकर्षण के जरिए इस मुद्दे को उठाते हुए आरोप लगाया कि राशि की आदिवासी किसानों की सौ करोड़ रुपए की राशि में बंदरबांट की गई। कागजों में लीपापोती कर आदिवासियों के नाम पर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया।  तत्कालीन आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने पूरी योजना को कागजी करार दिया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए तब कृषि विभाग ने सात विधायक और कृषि व आदिम जाति कल्याण के अधिकारियों की कमेटी बनाकर जांच कराने के आदेश दिए थे। कमेटी की बैठक भी हो गई किंतु अभी तक रिपोर्ट विधानसभा को नहीं सौंपी गई।
    इन जिलों में लागू होना थी योजना
    आदिवासी किसानों के उत्थान की यह योजना-मंडला, बालाघाट, डिंडौरी, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, ग्वालियर, दतिया, श्योपुर, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर और  छिंदवाड़ा जिले में लागू होना थी।
    बैठक में ये विधायक शामिल होंगे
    19 जुलाई को होने वाली विधानसभा समिति की इस बैठक में विधानसभा में इस घोटाले को उठाने वाले कांग्रेस विधायक फूंदे लाल मार्को, नीलांशु चतुर्वेदी, योगेंद्र सिंह बाबा, प्रताप सिंह ग्रेवाल, सुनील सर्राफ, विजय राघवेंद्र सिंह और संजय उईके शामिल होंगे।

Related Articles