
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है, जहां पर तबादलों व पदस्थापनाओं में ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ वाली कहावत पूरी तरह से चरितार्थ होती है। हालत यह है कि वन विभाग में अपनों को उपकृत करने के लिए नियमों व कानून को पूरी तरह से धता बताते हुए भारतीय वन सेवा के अफसरों की जगह राज्य वन सेवा के अफसरों को पदस्थ कर दिया गया।
यही नहीं केन्द्र से अनुमति मिलने के बाद तीन माह के लिए राज्य सरकार को कैडर वाले पदों पर गैर कैडर के अफसरों को पदस्थ करने का अधिकार है, लेकिन पदस्थापना के तीन माह बाद भी केन्द्र से अनुमति न मिलने के बाद भी इस तरह के आदेशों में संशोधन नहीं किया जा रहा है। खास बात यह है कि प्रदेश के वन विभाग में ऐसा कोई एक मामला नहीं है बल्कि इस तरह के कई मामले अब तक सामने आ चुके हैं। जिन अफसरों की पदस्थापनाएं इस तरह से की गई हैं, उन्हें राजनैतिक रसूख के चलते विभागीय मंत्री का करीबी माना जाता है।
महकमे में चर्चा है कि मैनेजमेंट कोटे से इस तरह की पदस्थापनाएं की गई है। इनमें सहायक वन संरक्षक हेमंत कुमार रायकवार को प्रभारी वन मंडल अधिकारी उत्पादन, सहायक वन संरक्षक ध्यान सिंह निगवाल को बड़वाह से स्थानांतरित कर प्रभारी डीएफओ उत्पादन बालाघाट उत्तर, गरीबदास बरबड़े को एसडीओ रायसेन से हटाकर प्रभारी डीएफओ उत्पादन डिंडोरी के पद पर पदस्थ किया गया है। खास बात यह है कि यह सभी पद कैडर आईएफएस के लिए आरक्षित है। इसी प्रकार सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में संयुक्त निदेशक के पद पर वन संरक्षक स्तर के अधिकारी को पदस्थ किया जा सकता है। बावजूद इसके सुशील कुमार प्रजापति को एसडीओ नौरादेही सेंचुरी से हटाकर संयुक्त निदेशक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में पदस्थ किया गया है। खास बात यह है कि इस मामले में विभाग के मुखिया भी पूरी तरह से आंखे बंद किए हुए हैं।
पूर्व में करना पड़ा था आदेश संशोधित
वन महकमे में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है बल्कि इसके पहले भी कैडर पदों पर नॉन कैडर अफसर की पदस्थापना की जा चुकी है। उस समय तत्कालीन राज्य वन सेवा के अधिकारी प्रकाश वर्मा को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में संयुक्त निदेशक पदस्थ किया गया था, लेकिन उन्हें तीन माह बाद ही हटा दिया गया था। वर्मा की पदस्थापना पर भारत सरकार से सहमति नहीं मिली थी।
यह हैं नियम
भारतीय वन सेवा ( कैडर ) नियम 1966 के नियमों के अनुसार अधिकारियों की कमी हो तो राज्य शासन केवल 3 महीने के लिए कैडर पदों पर गैर कैडर के उन अफसरों की पदस्थापना कर सकती है जिनका नाम चयन सूची में शामिल हो। नियम के अनुसार पदस्थापना के 3 माह के भीतर भारत सरकार से अनुमति आवश्यक होती है। 30 जून 2021 को 3 महीने का समय भी बीत गया किंतु अधिकारियों की पदस्थापना में कोई संशोधन नहीं किया गया। दिलचस्प पहलू यह है कि जिन गैर कैडर के अधिकारियों की पदस्थापना की गई है, वह सिलेक्ट सूची में शामिल भी नहीं थे।