
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भले ही विधानसभा के आम चुनाव होने में अभी दो साल का समय है, लेकिन कांग्रेस ने अभी से चुनावी किला फतह करने के लिए गुपचुप रूप से तैयारी शुरू कर दी है। यानि जिस तरह की तैयारी भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने की है लगभग उसी पैटर्न पर कमलनाथ भी संगठन में जमावट कर रहे हैं। इसके लिए पार्टी के रणनीतिकारों ने निचले स्तर के संगठन को मजबूत करने और निष्क्रिय नेताओं को हटाने की योजना बनाई है। फिलहाल पार्टी का पूरा ध्यान तीन विधानसभा और एक लोकसभा के उपचुनाव पर है।
इस बीच संगठन स्तर पर किए जाने वाले व्यापक फेरबदल में जिलाध्यक्षों से लेकर मंडलम और सेक्टर स्तर पर नए चेहरों को कमान देने की भी तैयारी की जा रही है। फेरबदल के पहले प्रदेश संगठन मंडलम और सेक्टर अध्यक्षों के कामकाज की समीक्षा कर रहा है। इस बदलाव के लिए पूर्व में पार्टी के राष्ट्रीय सचिव प्रदेश के निचले स्तर तक दौरा कर कार्यकर्ताओं से फीडबैक ले चुके हैं। माना जा रहा है कि बदलाव में इस रिपोर्ट का अहम रोल रहने वाला है। बदलाव में इन संगठनात्मक पदों पर युवा और सक्रिय रहने वाले कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके साथ ही पार्टी उन जिलों के अध्यक्षों को भी बदलने की तैयारी कर चुकी है, जो या तो निष्क्रिय हैं या फिर लंबे समय से इन पदों पर काबिज बने हुए हैं। दरअसल पार्टी को अगले विधानसभा चुनाव में अच्छे परिणामों की उम्मीद लगी हुई है। इसकी वजह है बीते आम विधानसभा चुनाव के बाद उपचुनावों में मिली जीत। यही वजह है कि अब निचले स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं। दरअसल तीन साल पहले तत्कालीन प्रदेश प्रभारी महासचिव मोहन प्रकाश ने संगठन की मैदानी ताकत बढ़ाने के लिए भाजपा की तर्ज पर मंडलम और सेक्टर बनाने का फार्मूला तैयार कर प्रदेश में लागू कराया था। प्रदेश में कांग्रेस के अभी लगभग 800 मंडलम और 500 से ज्यादा सेक्टर हैं। इनमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को पदाधिकारी बनाया गया था। उसके बाद से ही इनके पदाधिकारियों के दायित्वों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसकी वजह से एक ही पद पर कई-कई कार्यकर्ता बीते तीन सालों से कार्यरत हैं। करीब डेढ़ साल पहले अचानक हुए बड़े घटनाक्रम के चलते श्रीमंत और उनके समर्थकों द्वारा पार्टी छोड़ दिए जाने की वजह से खासतौर पर ग्वालियर -चंबल इलाके में जिलाध्यक्षों से लेकर मंडलम स्तर के सभी पद रिक्त हो गए थे, जिसमें से जिलों के अध्यक्ष तो बना दिए गए थे, लेकिन अन्य तमाम पद अब भी रिक्त पड़े हुए हैं। इन पदों को भरा जाना है। इस बीच सरकार जाने की वजह से भी बड़ी संख्या में मंडलम और सेक्टर की टीम निष्क्रिय हो चुकी है। यही वजह है कि अब संगठन में मैदानी स्तर पर मोर्चा संभालने वाली इन टीमों में बदलाव करने की तैयारी कर ली गई है। इस बदलाव के लिए और पार्टी का मैदानी स्तर पर आंकलन करने के लिए ही बीते कुछ समय से प्रदेश के प्रभारी राष्ट्रीय सचिव मैदानी टीम की परफॉर्मेंस परखने के लिए जिले स्तर तक के दौरे कर रहे हैं। इस दौरान उनके द्वारा जिलों के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं से चर्चा कर न केवल मौखिक रूप से फीडबैक लिया जा रहा है, बल्कि उनसे बीते सालों में किए गए आंदोलनों तक का ब्यौरा भी लिया जा रहा है। इसके आधार पर ब्लॉक दर ब्लॉक की अलग से रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
प्रदेश स्तर पर भी बदलाव की कवायद
लंबे समय से प्रदेश स्तर पर भी बदलाव का इंतजार कार्यकर्ताओं को बना हुआ है। इसमें अध्यक्ष से लेकर पूरी प्रदेश कार्यकारिणी तक शामिल है। माना जा रहा है कि अध्यक्ष भले ही न बदलें, लेकिन प्रदेश पदाधिकारियों में बदलाव होना तय है। यह बदलाव प्रदेश में दो साल बाद होने वाले चुनावों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। फिलहाल बीते तीन सालों से प्रदेश की कमान कमलनाथ के हाथों में है। वे अभी नेता प्रतिपक्ष भी हैं। इसके पहले जब वे मुख्यमंत्री बने थे, तब माना जा रहा था कि वे प्रदेशाध्यक्ष का पद छोड़ देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हाल ही में जिस तरह से पार्टी के वरिष्ठ नेता और कमलनाथ के बेहद करीबी पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के संगठन में बदलाव को लेकर बयान आए हैं, उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही पीसीसी से लेकर मैदानी स्तर तक बड़ा बदलाव होना तय है।
युवाओं को मिलेगा मौका
प्रदेश में संगठन को मजबूत करने के दौरान उन युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी जो ऊर्जावान होने के साथ ही लगातार सक्रिय रहते हैं। इसके अलावा माना जा रहा है कि अब संगठन में प्रदेश स्तर पर होने वाले बदलावों में कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष की परंपरा को समाप्त कर दिया जाएगा। इसके साथ ही पार्टी के कई मोर्चा व प्रकोष्ठों में भी नियुक्तियां की जानी हैं।
हटाए जाने वालों को मिलेगी नई जिम्मेदारी
राष्ट्रीय स्तर से किए जाने वाल इन बदलावों के लिए प्रदेश के प्रभारी चारों राष्ट्रीय सचिव अपने-अपने प्रभार के संभागों के दौरे कर पूरी मैदानी जानकारी ली जा रही है। उनका कहना है कि हमारा उद्देश्य संगठन को मजबूत करने के साथ ही उसका विस्तार करना है। यही वजह है कि पार्टी ने फैसला किया है कि जो निष्क्रिय हैं या फिर अक्षम पदाधिकारी हैं, उनकी जगह नए कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा। पुराने कार्यकर्ताओं को भी कोई न कोई काम देकर उनका उपयोग किया जाएगा।