
नयी दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम। विश्व क्रिकेट में भारतीय टीम को एक खास मुकाम दिलाने वाले भारतीय क्रिकेटर दादा यानी सौरव गांगुली का आज जन्मदिन है….. यूं तो उन्हें कोलकाता के लोग प्यार से दादा कहकर बुलाते थे लेकिन जब इंग्लैंड में इस दादा ने अपनी शर्ट उतारकर दादागिरी दिखाई तो पूरी दुनिया दादा की दीवानी हो गयी। ऐसे एक दो नहीं तमाम किस्से सौरव गांगुली की जिंदगी से जुड़े हैं आईए उन्हीं में से कुछ किस्सों से आज इस खास मौके पर आपको रूबरू करवाते हैं। क्रिकेट के दादा सौरव गांगुली हमेशा ही अपनी दादागिरी के लिए मशहूर रहे हैं. मैच के दौरान सामने वाली टीम को अपना दम दिखाना हो या फिर अम्पायर से दादागिरी की बात हो. एक बार तो हरभजन सिंह को टीम में शामिल करने के लिए उन्होंने सेलेक्टर्स के सामने ही दादागिरी दिखा दी थी।ये बात साल 2001 की है, जब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का चयन किया जा रहा था. उस वक्त सौरव गांगुली इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान थे, उन्होंने चयनकर्ताओं से हरभजन सिंह को टीम में रखने की अपील की, हालांकि सेलेक्टर्स उस वक्त भज्जी को उतना पसंद नहीं करते थे. लेकिन, दादा अपनी बातों पर अड़े रहे।इसी बीच दादा ने अपनी दादागिरी दिखा दी और उन्होंने साफ-साफ ये बोल दिया कि जब तक टीम में नहीं हरभजन को नहीं लिया जाएगा, मैं इस कमरे से बाहर नहीं जाऊंगा. सौरव की इस दादागिरी के आगे सेलेक्टर्स को झुकना पड़ गया। आखिरकार उन्होंने सभी को अपनी बात मानने पर मजबूर ही कर दिया।क्रिकेट के दादा की इस दादागिरी का अंजाम वाकई बेहद दिलचस्प हुआ. ये किस्सा गजब का है, क्योंकि हरभजन सिंह ने इस मैच के मैन ऑफ द मैच का खिलाफ हासिल कर लिया।भज्जी ने टेस्ट मैच के पहली इनिंग में एक हैट्रिक लेकर 7 विकेट चटकाए, जबकि दूसरी इनिंग में उन्होंने 6 विकेट लेकर मैच में कुल 13 विकेट अपने नाम कर लिए. आखिरकार दादा ने अपनी इस दादागिरी से चयनकर्ताओं को ये समझा दिया कि दादागिरी का लोहा मनवाने में उनका कोई जवाब नहीं है।सौरव गांगुली क्रिकेट को लेकर काफी सीरियस थे. इसीलिए वो मैदान पर बिल्कुल गंभीर अंदाज में नजर आते थे. गांगुली को मैदान पर काफी अधिक गुस्सा आता था. ऐसे कई मौके देखे गए, जब दादा मैच के बीच ही आग-बबूले हो जाते थे।