
- प्रशासन, पुलिस और खनिज अमले की मिलीभगत से हो रहा खेल
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। रेत माफिया व प्रशासन के बीच बेहद मजबूत गठजोड़ होने की वजह से तीन माह के प्रतिबंध के बाद भी 24 घंटे रेत का खुलेआम खनन और परिवहन जारी है। अगर बात सिर्फ होशंगाबाद जिले की की जाए तो इस जिले के लगभग सभी रेत के घाटों पर पूरे समय दर्जनों डंपरों को भरता हुआ देखा जा सकता है। खास बात यह है कि यह सब आम आदमी को दिखता है, लेकिन जिम्मेदार अफसरों को क्यों नहीं दिखता है।
दिलचस्प है कि इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल का आदेश भी बेअसर साबित हो रहा है। दरअसल इस जिले के विभिन्न इलाकों से होकर बहने वाली नर्मदा नदी में गूजरबाड़ा, बांद्राभान, धानाबड़, मरोड़ा और बाबई के अलावा करीब एक दर्जन ऐसे घाट हैं जहां पर हथियारबंद और रसूखदार माफिया द्वारा जमकर अवैध रुप से रेत का खनन करवाया जा रहा है। इन माफियाओं के सामने जिला प्रशासन भी पूरी तरह से नतमस्तक बना रहता है। इसकी वजह है इनका सत्ता में बो रसूख जिसकी भनक से अफसर भी हलाकान रहते हैं। इन माफिया को पूरी तरह से राजनैतिक संरक्षण तो मिलता ही है साथ ही पुलिस का भी पूरा सहयोग बतौर चढ़ावा मिलने की वजह से बना रहता है। यही वजह है कि नर्मदा नदी को खुलकर 24 घंटे बेखौफ होकर छलनी करने का काम किया जाता है। खास बात यह है कि इस मामले में सरकार और उसके मुखिया द्वारा बड़े-बड़े दावे तो किए जाते हैं, लेकिन उन पर अमल कभी नहीं किया जाता है। यही वजह है कि अफसर भी इस मामले में आंखे बंद कर दोनों हाथों से मलाई खाते रहते हैं। इस अवैध रेत खनन और परिवहन की खबरें आए दिन मीडिया में सुर्खियां तो बनती ही है साथ ही सोशल मीडिया पर भी उसकी खबरें और वीडियो भी जमकर वायरल होते रहते हैं, लेकिन इस मामले में न तो सरकार की नींद खुलती है और न ही प्रशासन की। ऐसा ही एक वीडियो बीते रोज से जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें नदी के अंदर से एक साथ कई डंपरों में रेत भरी जा रही है। यह वीडियो बांद्राभान रेत खदान का बताया जा रहा है। इसमें डंपरों के आसपास कई लोगों को देखा जा सकता है। कहा जा रहा है कि यह सभी लोग डंपरों के स्टाफ के अलावा रेत माफिया के लोग हैं। यह सभी हथियारों से लैस बताए जाते हैं।
खुलेआम मशीनों से खींच रहे हैं रेत
इस जिले में सर्वाधिक रेत का खनन नर्मदा और तवा नदी से किया जाता है। यह दोनों ही नदी बड़ी होने के साथ ही अपने दामन में रेत का बड़ा भंडार हमेशा थामे रखती हैं। यही वजह है कि यह दोनों ही नदियां हर समय रेत माफिया के निशाने पर रहती हैं। कम समय में अधिक से अधिक रेत का खनन करने के लिए यह माफिया यहां पर बड़ी -बड़ी मशीनों का उपयोग करते हैं। यही नहीं होशंगाबाद और सीहोर के बीच पड़ने वाले जोशीपुर और जरार्पुरा का इलाका अवैध कारोबारियों की सबसे पंसदीदा जगह है। यहां से हर रोज सैकड़ों वाहनों का प्रयोग अवैध रेत का कारोबार किया जाता है। खास बात यह है कि इस इलाके में होशंगाबाद और सीहोर का इलाका होने की वजह से दोनों ही जिलों का प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता है।
तीन माह बंद रहती है खदानें
बारिश का मौसम आते ही सभी तरह की रेत खदानें तीन माह के लिए पूरी तरह से बंद कर दी जाती हैं। इसके लिए एनजीटी के स्पष्ट आदेश भी हैं। दिखावे के लिए प्रशासन खदानें बंद करने के लिखित आदेश भी जारी करता है, लेकिन खदानों में खनन का काम बेखौफ जारी रहता है। इस मामले में बीते चार दिन पहले एक जुलाई से 30 सितंबर तक रेत खदानें बंद करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन रेत का अवैध खनन और परिवहन खुलकर जारी है। दरअसल यह वो समय होता है जब मछलियां और अन्य तरह के जलीय जीव प्रजनन तो करते ही हैं और पानी का बहाव तेज होने के साथ अधिक होने की वजह से दुर्घटनाओं का भी खतरा बना रहता है।
प्रशासन के पास नहीं है कोई तैयारी
दशकों से जारी इस रेत के अवैध कारोबार को रोकने के लिए न तो सरकार और न ही प्रशासन अब तक कोई ठोस योजना बना सका है। यही नहीं स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन के पास इसके लिए कोई योजना नहीं है। दिखावे के लिए जरुर कुछ जगहों पर घाट पर जाने वाले रास्तों को जरुर एक दो जगहों पर खुदवा दिया गया है। इसके बाद भी खदानों पर वाहनों की आवाजाही बनी हुई है।