वन महकमें में करोड़ों के फंड पर अफसरों की नजर

वन महकमें

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी /बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के वन महकमे में कुछ अफसरों की नजर हमेशा ही योजनाओं पर खर्च होने वाली राशि पर लगी रहती है। दरअसल यह राशि करोड़ों में होती है। जिसे अफसर अपनी मनमर्जी से खर्च कर भ्रष्टाचार करने में लग जाते हैं। अब ऐसा ही मामला पालनपुर कूनो का सामने आया है। यहां बड़े स्तर पर अफ्रीकन चीते लाने की तैयारियां चल रही हैं। इसके लिए करीब पांच वर्ग किलोमीटर के एरिया में पोल गाड़कर फेंसिंग करके बाड़ा बनाया जाना है। इसके लिए छह करोड़ की राशि खर्च करना प्रस्तावित किया गया है। इस करोड़ों के फंड की बंदरबांट के लिए अफसरों की गिद्ध दृष्टि पड़ गई है। यही वजह है कि अपनी चहेती कंपनी को फेंसिंग का ठेका दिलाने के लिए अफसरों में जोर आजमाइश चल रही है। खास बात है कि पहला टेंडर निरस्त किया जा चुका है, वहीं अब दूसरे टेंडर के लिए शर्तें बदल दी गई है। पहला टेंडर निरस्त होने के बाद विभाग ने जो दूसरा टेंडर जारी किया है उसके लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 23 जून तय है। दिलचस्प है कि दूसरे टेंडर में दो ऐसी शर्तें जोड़ दी गई हैं जिसकी पूर्ति किया जाना आसान नहीं है। दूसरे टेंडर में टाइमलाइन रियलिस्टिक नहीं है। टेंडर की शर्त के मुताबिक 75 दिन के अंदर एंक्लोजर का काम पूर्ण किया जाना है। यदि उक्त समयावधि में काम पूर्ण नहीं हो पाता है तो दिनों के हिसाब से ब्याज वसूला जाएगा। इसके तहत पहले सात दिन में दो प्रतिशत दूसरे सात दिन में चार प्रतिशत और अगले आठ दिन में छह प्रतिशत की दर से ब्याज वसूलने का प्रावधान किया गया है। वहीं इस काम से जुड़े एक कारोबारी का कहना है कि लगभग 20 से 25 दिन तो सिर्फ रॉ-मटेरियल के प्रोडक्शन में ही लग जाएंगे। फिर बारिश के सीजन में करीब पांच हजार खंभों को गाड़ कर उस पर 12 वर्ग किलोमीटर फेंसिंग ले जाने का काम डेढ़ महीने में पूरा कर पाना मुश्किल है। टेंडर की दूसरी शर्त भी ऐसी रखी है जो कि मध्यम वर्गीय कारोबारी के लिए मुश्किल का काम है। यह शर्त है प्रोजेक्ट कास्ट की 10 प्रतिशत राशि जमा करना। जो कि 55 से 60 लाख के करीब होती है। उल्लेखनीय है कि गुजरात के एशियन लायन लाने में असफल रहे के बाद प्रदेश सरकार अब पालपुर कूनो में अफ्रीकन से चलाने की जा रही है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर अफ्रीकन चलाने का एक्शन प्लान दिया है सीएम का फरमान पूरा करने के लिए वन विभाग ने टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी से सात करोड़ रूपया की उधारी लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं अफ्रीकन चीता लाने के लिए कोनों में 5 वर्ग किलोमीटर का एंक्लोजर बनाने के लिए दूसरी बार टेंडर किया गया है इसमें 5000 विशेष प्रकार के पोल कार्य कर हनी कॉम फैंस से घेराबंदी की जाएगी।

सिंगल बिड होने की वजह से निरस्त हुआ टेंडर
सूत्रों की माने तो चीतों के लिए बनने वाले बाड़े की फेंसिंग में वन्य प्राणी शाखा का कोई भी अफसर गुणवत्ता में किसी प्रकार का समझौता करने के पक्ष में नहीं है। फेंसिंग के लिए पहली बार बुलाई गई निविदा में केबीआर ट्रेडर, एमके ट्रेडर्स, एसएम ट्रिनिटी, वाइल्ड लाइफ एंड फॉरेस्ट्री सर्विसेज सीताराम और विपटेक नामक फर्म ने हिस्सा लिया था। इनमें से टेक्निकल कमेटी के सदस्यों की टीम डॉ वायपी झाला, मुख्य वन संरक्षक लाइन प्रोजेक्ट डीपीएस निनामा ने फील्ड टेस्टिंग में एमके ट्रेडर्स डब्ल्यूएफएस और विपटेक का चयन किया था। फाइनेंशियल बिड के लिए बीडब्ल्यूएफएस सिंगल चयन हुआ। फाइनेंशियल बिड के नियम के अनुसार डब्ल्यूएसएफ का सिंगल बिड होने की वजह से टेंडर निरस्त कर दिया गया।

कमीशनखोरी का खेल बना विवाद की वजह
दरअसल वन महकमे में 15 से 20 परसेंट की राशि कमीशन के नाम पर आपस में बांटी जा रही है। इसमें विभाग में चैन लिंक फेसिंग और वायरबेड खरीदी को लेकर अधिकारियों तथा सत्तारूढ़ दल के नेताओं के बीच कमीशनखोरी का खेल चल रहा है। इसमें आपस में विवाद भी है। दरअसल विभाग में लंबे समय से जुड़े सामग्री प्रदायकर्ता एजेंसी सत्ताधारी दल से जुड़े नेताओं के जरिए छह करोड़ का ठेका हासिल करना चाहते हैं। यही नहीं अफसरों पर इसके लिए राजनैतिक दबाव भी बनाया जा रहा है। यहां तक कि उन्हें पद से हटाने की भी धमकी दी जा रही है। खास बात है कि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के एक अधिकारी भी इसमें शामिल है।

विशेषज्ञों की कमेटी कर रही निगरानी
बहरहाल पालपुर कूनो में साउथ अफ्रीका से चीता लाने का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़ा हुआ है। इसलिए वन विभाग का कोई भी अफसर गुणवत्ता से समझौता करने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि कूनो के विशेषज्ञों की कमेटी हर काम की निगरानी कर रही है।

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