
भोपाल/ प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र भाजपा में इन दिनों सियासी पारा चढ़ता हुआ दिख रहा है। इसकी वजह पार्टी के आला नेताओं के बीच मेल मिलाप के साथ ही बंद कमरों में देर तक होने वाली मंत्रणा है। इसके केन्द्र बिन्दु में पार्टी के दो दिग्गज नेता है, जिनमें राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल। अचानक इन नेताओं की सक्रियता के अब मायने तलाशे जा रहे हैं। फिलहाल यह दोनों ही नेता अब दिल्ली में सक्रिय बताए जा रहे हैं।
अब सभी की निगाहें मप्र के बाद दिल्ली पर लग गई हैं। राजनैतिक वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी हवा उत्तराखंड से शुरू होकर उप्र में टिकी हुई है। उप्र में योगी की कार्यशैली को लेकर सत्ता, संगठन और कार्यकर्ताओं में बेहद आक्रोश है। अगर मप्र में परिवर्तन की हवा चली तो उप्र के बाद ही मप्र में इस तरह का कदम उठाया जाएगा। दरअसल लंबे समय बाद विजयवर्गीय मप्र में सक्रिय हुए हैं।
वे जिस तेजी से सक्रिय हुए उसकी वजह से उनके विरोधियों के कान खड़े हो गए हैं। वे भोपाल आए तो संगठन के नेताओं के साथ ही नरोत्तम मिश्रा के घर पर बंद कमरे में मंत्रणा करते नजर आए। यही नहीं तीन दिनों तक भोपाल में रहने के दौरान उनकी जिन लोगों से मेल मुलाकात हुई है, उसको लेकर कई तरह के कयासों का दौर चल रहा है। इसी तरह से बीते एक सप्ताह में जिस तरह से प्रहलाद पटेल के दिल्ली स्थित आवास पर प्रदेश के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा हुआ है, वह भी राजनैतिक हलचल की एक बड़ी वजह है। दरअसल भाजपा संगठन में दमोह उपचुनाव में तमाम प्रयासों के बाद मिली करारी पराजय के बाद से सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसकी शुरूआत चुनाव परिणाम आते ही हो गई थी। खास बात यह है कि इन दोनों ही बड़े नेताओं के साथ ही इस बीच प्रदेश सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश के तीन दिवसीय दौरे ने भी राजनैतिक हलचल बढ़ाने में योगदान दिया है। हो सकता है कि यह महज इत्तेफाक हो कि उनका दौरा ऐसे समय हुआ है जब विजयवर्गीय भी भोपाल दौरे पर आए हैं, लेकिन मौजूदा हालात के चलते इसके मायने तो तलाशे ही जाएंगे। तमाम नेताओं, पत्रकारों और सत्ता में बैठे लोगों से मेल-मुलाकात के बाद जिस तरह से विजयवर्गीय ने संघ के दिग्गज नेता सुरेश सोनी से जाकर मुलाकात की है, वह भी चौंकाने वाला घटनाक्रम है। वे लंबे समय तक संघ की ओर से भाजपा के समन्वय का काम देखते रहे हैं। तीन दिन भोपाल में सक्रिय रहने के बाद अब विजयवर्गीय दिल्ली जाकर सक्रिय हो गए हैं। वहां पहुंचते ही वे केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल से मिलने उनके आवास पर गए। वहां दोनों के बीच डिनर डिप्लोमेसी होने की चर्चा जोरों पर है। दरअसल विजयवर्गीय इन तीन दिनों में जिन नेताओं से मिले हैं, उन्हें सरकार व संगठन में प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह के विरोधी के रुप में माना जाता है।
इस बीच कहा जा रहा है कि आज उनकी मुलाकात केन्द्र के कई बड़े नेताओं से भी संभावित है। दरअसल विजयवर्गीय बंगाल चुनाव के बाद से वहां के प्रभारी महासचिव के दायित्व से मुक्त हो चुके हैं। कहा जा रहा है कि उनके द्वारा अपने स्तर पर प्रदेश की सत्ता व संगठन को लेकर फीडबैक लिया गया है। उधर जिस तरह से प्रहलाद पटेल के घर पार्टी के दिग्गज नेता पहुंचकर मेल-मुलाकात कर रहे हैं, उससे भी कई तरह के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि यह नेता उनसे दमोह चुनाव की हार के बाद जयंत मलैया और उनके बेटे सहित मंडल अध्यक्षों पर की गई कार्रवाई को लेकर मिले थे। दरअसल संगठन अब मलैया पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं कर पार्टी में शुरू हुए अंसतोष का थामना चाहता है। फिलहाल यह तो भविष्य के गर्भ में है कि इन मेल-मुलाकतों में कौन सी खिचड़ी पकाई जा रही है, लेकिन प्रदेश भाजपा व सत्ता के गलियारों में कई तरह के कयास जरुर लगने लगे हैं।
शिव प्रकाश का फीडबैक दिखाएगा असर
इस बीच शिव प्रकाश ने भोपाल में रहकर जिस तरह से सत्ता व संगठन के साथ ही विधायकों व अन्य लोगों से मेल-मुलाकात कर फीडबैक लिया है, उससे यह तो तय है कि भले ही अभी कुछ असर न दिखे लेकिन देर सबेर उसका व्यापक असर सत्ता व संगठन पर जरुर दिखना तय है। दरअसल भाजपा के गढ़ दमोह के उपचुनाव में मिली करारी हार से जिस तरह से पार्टी की फजीहत हुई है, उसकी वजह से अब केन्द्रीय संगठन ने अभी से प्रदेश के हालातों पर कड़ी नजर रखना शुरू कर दिया है। इसकी वजह है मप्र में अब कुछ माह बाद ही एक लोकसभा और तीन विधानसभा के उपचुनाव के अलावा नगरीय निकायों, पंचायतों व कृषि मंडियों के चुनाव भी होना है। इनमें से उपचुनावों व नगरीय निकाय चुनावों को आम लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों को लेकर अभी से लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है।
परिदृश्य से गायब हैं श्रीमंत
खास बात यह है कि इस पूरे परिदृश्य से प्रदेश के एक बड़े नेता श्रीमंत पूरी तरह से गायब हैं। उनकी किसी न तो किसी बड़े नेता से मेल-मुलाकात की खबर आ रही है और न ही उनकी किसी तरह की सक्रियता ही दिख रही है। कहा जा रहा है कि वे इन दिनों दिल्ली में ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल का इंतजार कर रहे हैं।