नाथ सरकार की वजह से घाटे में पहुंचा केन्द्रीय उपक्रम

 कमलनाथ

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में रही कमलनाथ सरकार की वजह से रेलवे का एक केन्द्रीय उपक्रम फायदे की जगह घाटे में पहुंच चुका है। असल में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार के समय बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन यात्रा के लिए आईआरसीटीसी से किराए पर समय-समय पर कई ट्रेनें ली गई थीं। इन ट्रेनों का नाथ सरकार ने भुगतान नहीं किया। इसके बाद प्रदेश में सरकार बदल गई। नई सरकार ने भी नाथ सरकार की इस उधारी का चुकारा नहीं किया। इसकी वजह से फायदे में चल रहे आईआरसीटीसी घाटे में चला गया। इस वजह से अब इस उपक्रम द्वारा तय किया गया है कि जब तक मप्र सरकार अब उसकी सेवाएं लेने के एवज में अग्रिम राशि का भुगतान नहीं करेगी, जब तक यह उपक्रम अपनी सेवाएं नहीं देगा। नाथ सरकार द्वारा राशि का भुगतान न करने का खामियाजा अब शिव सरकार को उठाना पड़ रहा है। दरअसल मप्र के बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन कराने के लिए तत्कालीन शिव सरकार द्वारा आठ साल पहले मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा को शुरू किया गया था। अपनी करीब डेढ़ साल की सरकार में कमलनाथ सरकार द्वारा इस योजना के तहत कुछ गिनी -चुनी जगहों के लिए ही ट्रेने चलाकर बुजुर्गों को भेजा गया। इसके लिए आईआरसीटीसी से ट्रेनें किराए पर ली गई थीं। इनके किराए का भुगतान न हीं किए जाने की वजह से यह उपक्रम घाटे में चला गया है। उधर शिव सरकार बनने के बाद बीते डेढ़ साल में लगातार कोरोना के संक्रमण की स्थिति बनी हुई है , जिसकी वजह से अब तक इस सरकार में इस योजना पर काम ही शुरू नहीं हो पाया है। कोरोना के चलते माना जा रहा है कि इस साल इस योजना पर अमल हो पाना बेहद मुश्किल है। इसकी वजह से इस साल इस योजना  के दायरे में आने वाले 22 लाख बुजुर्गों को इस बार भी फायदा मिलना मुश्किल है। इसकी वजह है इस गंभीर महामारी के चलते बजट में प्रावधान किए जाने के बाद भी अब तक सरकार द्वारा इसको लेकर कोई फैसला नहीं किया जाना। दरअसल कोरोना के चलते अब सरकार की प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं। उधर लोगों का कहना है कि प्रदेश में साठ साल और उससे अधिक आयु के लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है, जिसकी वजह से योजना को शुरू किया जा सकता है। फिलहाल अब तक सरकार द्वारा आईआरसीटीसी के पास कोई डिमांड नहीं की गई है। यही नहीं अब तक इस मामले में जिलों को भी कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। इसकी वजह से ही माना जा रहा है कि फिलहाल इस योजना पर अमल होना मुश्किल है।
कई राज्य अपना चुके हैं यह योजना
मप्र की यह योजना शुरू होने के बाद ही बेहद चर्चा में आ गई थी। इस योजना को कई राज्यों ने अपने यहां भी शुरू किया है। बीते साल कोरोना महामारी आने के बाद लगभग सभी राज्यों ने इस योजना पर ब्रेक लगा दिया है। इस योजना के तहत शुरू में 29 तीर्थ स्थलों को शामिल किया गया था, बाद में कमलनाथ सरकार ने इसमें आठ नए तीर्थों को शामिल किया था। इसमें सभी धर्म के तीर्थ स्थल शामिल हैं। खास बात यह है कि यह योजना प्रदेश सरकार की सबसे लोकप्रिय योजनाओं में से एक है।

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