मप्र में हो सकता है रबी फसलों का बंपर उत्पादन

रबी फसलों
  • अनुकूल मौसम से रबी फसलें लहलहाई

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।
    खेती-किसानी पर मौसम का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इस साल मौसम रबी फसल के अनुकूल होने से उत्पादन बढऩे की उम्मीद हैं। गेहूं का उत्पादन प्रति हेक्टयर 10 तो चना का उत्पादन 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ सकता है। उत्पादन अच्छा होने से न केवल बाजार में रौनक लौटेगी, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ेगी। दरअसल, इस साल अच्छी बारिश होने से रबी फसल का रकबा तो बढ़ा ही है साथ ही ठंडक भी अनुकूल पड़ रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि मौसम अनुकूल होने से उत्पादन भी बढ़ेगा। गौरतलब है कि मप्र पिछले कई सालों से अनाज उत्पादन में रिकॉर्ड बना रहा है। इस बार मौसम अनुकूल होने के कारण किसानों को और अधिक अनाज उत्पादन की उम्मीद है। ठंड के मौसम ने रबी फसलों का बढिय़ा साथ दिया है। किसानों का चेहरा अच्छे उत्पादन की आशा में खिला हुआ है। अब उसे जनवरी में मावड़े की आस जरूर है, लेकिन अभी तक फसलों की वृद्धि से माना जा रहा है कि उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। सेवानिवृत कृषि विज्ञानी डा. एमडी व्यास का कहना है कि इस वर्ष का मौसम निश्चित रूप से फसलों के लिए बेहतर है। न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य या उसके आसपास है। किसी भी फसल में कीट नहीं लगे हैं न ही लगने का खतरा लग रहा है। समय पर फसलों की बोवनी हो गई है, जिससे उनमें दाने भी अच्छे आएंगे। आगे कोई प्रतिकूल परिस्थिति नहीं आई तो उत्पादन 10 से 15 प्रतिशत तक अधिक रहने की आशा है।
    ओला-पाला की संभावना नहीं
    मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली तो आने वाले समय में प्रदेश में कहीं ओला-पाला की संभावना नहीं है। मौसम खुला है, यानी बादल नहीं हैं जिससे फसलों में कीट भी नहीं लगे हैं। मटर, चना, सरसो, मसूर आदि फसलों में कीड़े लगने का डर सबसे अधिक रहता है, पर राहत है कि इस वर्ष अभी तक यह फसलें बची हुई हैं। कीट नहीं लगने से – किसानों को इस बात की राहत है कि उन्हें कीटनाशकों के छिडक़ाव पर खर्च नहीं करना पड़ेगा। एक बड़ा लाभ यह भी कि खाद्यान्न पर भी कीटनाशकों का दुष्प्रभाव नहीं होगा, जो कई खतरनाक बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। सेवानिवृत मौसम विज्ञानी जीडी मिश्रा का कहना है कि अच्छा है इस वर्ष कोहरा कम हैं, जिससे रात का तापमान ज्यादा नहीं गिरेगा और फसल में पाला लगने की आशंका नहीं रहेगी।
    रिकार्ड उत्पादन की आस
     प्रदेश में गेहूं का उत्पादन लगभग 350 लाख टन के आसपास रहता है। सीहोर जिले के किसान केदार सिरोही का कहना है कि रबी की बोवनी लगभग पूरी हो गई है। इस वर्ष करीब 70 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेंहू की बोवनी हुई है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, दिन और रात का तापमान सामान्य चल रहा है जो गेहूं की फसल के लिए अनुकूल है। उत्तर पूर्वी मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, छत्तरपुर, टीकमगढ़, रीवा, सीधी में कोहरा पड़ रहा है, पर दोपहर 12 बजे तक छूट जा रहा है, जिससे फसल की वृद्धि वहां भी प्रभावित नहीं है। गेहूं की बाल में दाने अच्छे आएंगे। पिछले वर्ष बारिश के चलते मटर की फसल खराब हुई थी, इस वर्ष की मेट्र की फसल अच्छी है। कीट भी नहीं लगे है। चना के लिए बारिश की आवश्यकता भी कम होती है। अधिकतर जिलों में चना की फसल अच्छी है। जनवरी अंत तक इसमें फूल लगने लगेंगे। अभी तक के मौसम और पूर्वानुमान को देखते हुए कृषि विज्ञानियों का कहना है कि चना की फसल की वृद्धि अच्छी रहेगी।

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