पदों के खाली होने से कार्यालयों के कामकाज पर पड़ रहा असर

  • सरकारी विभागों में ग्रेड 1 और ग्रेड 2 के आधे से अधिक पद खाली

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में अफसरों के पदों के खाली होने से कामकाज पर बुरा असर पड़ रहा है, क्योंकि हजारों पद भरे नहीं गए हैं, जिससे बचे हुए कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है और जनता को समय पर सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। खासकर सरकारी विभागों में ग्रेड 1 और ग्रेड 2 के आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं। ऐसे में वरिष्ठ स्तर के पदों के खाली होने से कार्यालयों के कामकाज पर असर पड़ रहा है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि शीर्ष स्तर पर बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों की पदोन्नति शुरू होने के बाद स्थिति में सुधार होने के आसार हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश में वरिष्ठ स्तर के स्वीकृत पदों में से करीब 85 हजार पद रिक्त हैं। यह कुल स्वीकृत पदों के करीब 42 प्रतिशत हैं। ग्रेड 1 और ग्रेड 2 के कुल 1.48 लाख पद स्वीकृत हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार ग्रेड 1 के 8410 पद रिक्त हैं, जबकि ग्रेड 2 के 76 हजार 639 पद रिक्त हैं। मप्र में वरिष्ठ स्तर के रिक्त पद अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। ग्रेड 1 और ग्रेड 2 राजपत्रित अधिकारी हैं। ग्रेड 1 के अधिकारियों में संयुक्त कलेक्टर और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट रैंक के अधिकारी शामिल हैं, जबकि ग्रेड 2 के अधिकारियों में डिप्टी कलेक्टर और समकक्ष रैंक के अधिकारी शामिल हैं। ग्रेड 1 और ग्रेड 2 के अधिकारियों में आईएएस अधिकारी शामिल नहीं हैं। आईएएस अधिकारी भारत सरकार के नियमों के अधीन हैं।
पदोन्नति प्रक्रिया रुकने से बिगड़ा गणित
दरअसल, वर्ष 2016 से प्रदेश में पदोन्नति प्रक्रिया रुकी होने के कारण सरकार ने अस्थाई व्यवस्था के तहत कनिष्ठ अधिकारियों को वरिष्ठ पदों का अतिरिक्त प्रभार दिया, लेकिन अधिकारी कनिष्ठ पदों पर भी बने रहे। इसका अर्थ यह है कि किसी कर्मचारी को वरिष्ठ पद का प्रभार दिए जाने पर भी उसका मूल पद रिक्त नहीं माना जाता। इससे नई भर्तियों के लिए अवसर नहीं बन पाए। पदोन्नति के पात्र कर्मचारियों की संख्या 4 लाख से ज्यादा है। पदोन्नति के बाद 2 लाख नए रिक्त पद अपेक्षित हैं। पिछले साढ़े नौ साल में एक लाख से ज्यादा कर्मचारी बिना पदोन्नति के रिटायर्ड हो गए। पदोन्नति पर रोक लगी होने से अधिकारी-कर्मचारियों की नाराजगी और उनमें व्याप्त निराशा को देखते हुए पदोन्नति का रास्ता खोलने के लिए डॉ. मोहन यादव कैबिनेट ने गत 17 जून को मप्र लोक सेवा प्रमोशन नियम-2025 को मंजूरी दी थी। सरकार ने पदोन्नति के नए नियमों के संबंध में 19 जून को गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया था।
नए पदोन्नति नियम कोर्ट में फंसे
प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों की सालों से रुकी पदोन्नति को शुरू करने के लिए सरकार ने नए नियम बनाए हैं। लेकिन वह भी अदालत में फंस गया है। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने 26 जून को सभी विभागों को 31 जुलाई से पहले डीपीसी की पहली बैठक बुलाने के निर्देश दिए थे। इस बीच पदोन्नति के नए नियमों के विरोध में कुछ कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने 7 जुलाई को कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई तक पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। तभी से सभी 54 विभागों में पदोन्नति की प्रक्रिया पर रोक लगी है। इसके बाद हाईकोर्ट में इस मामले में 10 से ज्यादा बार सुनवाई हो चुकी है। अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी। अधिकारियों का कहना है कि पदोन्नति प्रक्रिया पुन: शुरू होने या स्थगित रहने की स्थिति में कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं करने के लिए सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकेगा, क्योंकि सरकार ने नए पदोन्नति नियम बना लिए हैं और यदि कोर्ट अनुमति देता है, तो वह कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए तैयार है। प्रदेश में कुल सरकारी कर्मचारियों की संख्या करीब 7.50 लाख है।

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