
- किरायेदारी अधिनियम और अवैध कॉलोनी एक्ट संशोधन भी लटके
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में फायर सेफ्टी एक्ट 6 साल बाद भी अधर में लटका हुआ है। साल 2019 में केंद्र ने एक्ट का एक मॉडल ड्राफ्ट बनाकर राज्यों को भेजा था। तब से मप्र सरकार का ड्राफ्ट प्रक्रिया में उलझा रहा। हालांकि खबर आई थी की नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने एक्ट के ड्राफ्ट पर सभी जरूरी अनुमतियां ले ली हैं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कैबिनेट से सहमति लेकर इस पेश करने की तैयारी थी, लेकिन मामला एक बार फिर अटग गया। इसी तरह सरकार के तमाम दावों के बावजूद अवैध कॉलोनियों के नियंत्रण से जुड़े नगरपालिका अधिनियम संशोधन का ड्राफ्ट अटका हुआ है। ड्राफ्ट का विधि विभाग से परिमार्जन नहीं हो सका है। किरायेदारी अधिनियम संशोधन की भी यही स्थिति है।
तमाम दावों के बावजुद मप्र का फायर सेफ्टी एक्ट और संशोधित किरायेदारी एक्ट राज्य सरकार इस वर्ष भी नहीं ला पाई। दोनों ही एक्ट के प्रारूप (ड्राफ्ट) को लेकर प्रशासनिक सहमतियां नहीं बन पाईं, जिसके चलते इसे नगरीय विकास एवं आवास विभाग को लौटा दिया गया। बीते कई हफ्तों से विभागीय स्तर पर इन बिलों को विधानसभा में लाने की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन इसमें मुख्य सचिव अनुराग जैन और फिर मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की आपत्ति के बाद लौटाया गया है। बता दें, वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने फायर सेफ्टी एक्ट का प्रारूप बनाकर सभी राज्यों से साझा किया था और उसी तर्ज पर राज्यों में फायर सेफ्टी एक्ट बनाकर लागू करने के निर्देश दिए थे। इस पूरे एक्ट को लागू करने के लिए स्टाफ की नियुक्ति, इंफ्रास्ट्रक्चर और वेतन आदि के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 400 करोड़ रुपये का प्रविधान है। जिसमें से 300 करोड़ रुपये भारत सरकार और 100 करोड़ रुपये राज्य सरकार द्वारा खर्च किए जाएंगे। हालांकि वर्ष 2022 में फायर एनओसी देने के नए नियम बनाए गए थे, लेकिन इनका पालन भी ठीक तरह से नहीं हो पा रहा है।
हर साल हो रही घटना-दुर्घटना
प्रदेश में फायर सेफ्टी एक्ट लागू नहीं हो पा रहा है, वहीं दूसरी तरफ आग से होने वाले घटनाएं और दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। वल्लभ भवन मंत्रालय, सतपुड़ा भवन और विंध्याचल भवन के अलावा मध्य प्रदेश के छह बड़े अस्पतालों में भी आग लग चुकी है। इनमें बच्चे, वृद्ध सहित 25 से अधिक मरीज अपनी जान गंवा चुके हैं। दिसंबर, 2020 में शिवपुरी जिला अस्पताल में आग लगने से एक मरीज की मौत हो गई थी। नवंबर, 2021 में भोपाल के कमला नेहरू चिल्ड्रन अस्पताल में आठ से अधिक बच्चे, झुलसकर मारे गए थे। जून, 2021 में खरगोन जिला अस्पताल के आइसीयू में आग लगी थी। मई 2021 में अशोकनगर जिला अस्पताल में आग लगी थी। जनवरी, 2022 में इंदौर के मेदांता अस्पताल के आइसीयू में आग लगी थी, हालांकि कोई जनहानि नहीं हुई। अगस्त, 2022 में जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में भीषण आग से 10 लोगों की मौत हो गई थी।
संशोधित किरायेदारी एक्ट का भी इंतजार
वहीं प्रदेश में वर्ष 2010 के बाद से संशोधन की राह देख रहा किराएदारी एक्ट भी नहीं आ पाया है। मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में मप्र सरकार ने नया संशोधित किराएदारी एक्ट का प्रारूप बनाया है। इसे शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की व्यावसायिक और आवासीय संपत्तियों पर भी लागू करने की तैयारी है। प्रस्तावित संशोधित एक्ट के अनुसार, किरायेदार को अनुबंध में निर्धारित अवधि के बाद मकान खाली करना अनिवार्य होगा। अनुबंध समाप्त होने पर भी यदि किरायेदार मकान खाली नहीं करता, तो उसे पहले दो माह तक दोगुना और उसके बाद चार गुना किराया देना होगा। अनुबंध के बिना उप-किराएदार नहीं रख सकेगा।
