
- राजस्थान, केरल की तरह मप्र की जनता को नहीं मिली राहत
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्रालय ने राजस्थान, केरल एवं अन्य राज्यों की परिवहन ई-कार्ड व्यवस्था हवाला देकर पिछले साल 1 अक्टूबर 2024 से लाइसेंस एवं पंजीयन कार्ड की छपाई बंद कर दी थी। एक अधिसूचना जारी कर लाइसेंस और वाहन पंजीयन के ई-कार्ड को वैधानिक मान्यता दे दी गई थी। प्रदेश में परिवहन ई-कार्ड की यह व्यवस्था पूरी तरह से सफल रही है। परिवहन आयुक्त कार्यालय एक भी मामला ऐसा नहीं बता पाया, जिसमें लाइसेंस एवं पंजीयन के ई-कार्ड की वजह से किसी ने शिकायत दर्ज कराई हो। इसके बावजूद भी परिवहन आयुक्त लाइसेंस एवं पंजीयन कार्ड छपाई की प्रक्रिया फिर शुरू करना चाहते हैं। खास बात यह है कि 1 अक्टूबर 2024 के बाद मप्र में जितने भी गए लाइसेंस और वाहनों के पंजीयन किए गए हैं, उनमें से किसी को कार्ड जारी नहीं किए गए। हालांकि परिवहन विभाग ने हर कार्ड के लिए लोगों से 200 रुपए के हिसाब से फीस लेना जारी रखी है। विभाग के अनुसार प्रदेश में हर महीने औसत 3 लाख लाइसेंस एवं वाहन पंजीयन होते हैं। 200 रुपए प्रति कार्ड के हिसाब से परिवहन विभाग हर महीने आम लोगों से 6 करोड़ रुपए वसूलता है। भुगतान ऑनलाइन व्यवस्था होने की वजह से आम लोगों को सभी करों सहित 274 रुपए का भुगतान करना होता है। यह बात अलग है कि ई-कार्ड वाले दूसरे राज्य राजस्थान, केरल ने कार्ड छपाई बंद करने पर जनता को राहत दी है। परिवहन विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी के अनुसार पिछले साल कार्ड छपाई बंद करने का फैसला मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की सहमति से लिया था। तब मुख्यमंत्री को यह बताया था कि मप्र में ई-कार्ड व्यवस्था सफल रही तो दूसरे राज्यों की तरह मप्र की जनता को कार्ड फीस से राहत दी जाएगी।
कार्ड छपाई शुरू कराना चाहते हैं अधिकारी
बताया गया कि परिवहन आयुक्त कार्यालय फिर से लाइसेंस एवं पंजीयन कार्ड की छपाई शुरू करना चाहता है। इसके लिए आयुक्त ने एक प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसके लिए बाकायदा 30 करोड़ का बजट रखा गया है। विधानसभा में भी कार्ड को लेकर सवाल उठ चुके हैं। विधायकों की आपत्त थी कि बिना कार्ड के व्यवस्था चल रही है तो फीस क्यों ली जा रही है। फीस ली गई तो फिर कार्ड क्यों नहीं दिए गए। जिसमें परिवहन आयुक्त कार्यालय की ओर से कहा गया कि जल्द कार्ड छापकर दिए जाएंगे।
खुद की जेब भरने जनता के जेब कर रहे खाली
दरअसल, परिवहन विभाग आम लोगों से हर महीने लाइसेंस और पंजीयन कार्ड के नाम पर 6 करोड़ रुपए वसूल रहा है। मुख्यमंत्री की मंशानुरूप जनता को कार्ड फीस की राशि को लेकर राहत देनी थी। परिवहन आयुक्त कार्यालय राजस्व वसूली का ग्राफ कम न हो, इसलिए 6 करोड़ महीने की कमाई को बंद नहीं करना चाहता है। यदि जनता को राहत दी तो फिर मासिक राजस्व संग्रह का ग्राफ कम दिखेगा। तब परिवहन आयुक्त को शासन के समक्ष जवाब देना पड़ेगा।
