यह कर्ज नहीं, निवेश है

जगदीश देवड़ा
  • मप्र पर बढ़ते कर्ज को लेकर सियासी घमासान, मंत्री  देवड़ा बोले

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार के 2 साल पूरे होने पर उप मुख्यमंंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने उपलब्धियां गिनाने के दौरान मीडिया के सवाल के जवाब में उन्होंने कर्जा लेने को निवेश बताया। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने सरकार द्वारा बार-बार लिए जा रहे कर्ज के सवाल पर कहा है कि कर्जा लेने में कोई बुराई नहीं है। मैं तो यह कहता हूं कि यह कर्जा नहीं, यह निवेश है। उन्होंने कहा कि एक नया पैसा भी कहीं दूसरी जगह खर्च नहीं करते, केवल डेवलपमेंट में खर्च करते हैं। 17 दिसंबर को मप्र विधानसभा के 70 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बुलाए गए बिशेष सत्र में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सरकार ने पिछले दो सालों में 14-15 प्रतिशत की विकास दर हासिल की है। मुख्यमंत्री ने राज्य पर बढ़ रहे कर्ज को लेकर कहा कि कर्ज की बड़ा हिस्सा पिछली सरकारों ने लिया था।
दरअसल, मप्र सरकार द्वारा बार-बार लिए जा रहे कर्ज पर राजनीतिक घमासान हो रहा है। कांग्रेस सरकार पर आरोपों की बौछार कर रही है। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार लिए जा रहे कर्ज को उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने निवेश की संज्ञा दी।  मीडिया के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इस साल 4 लाख करोड़ का बजट लाया गया था। आगामी समय में इसे और भी बढ़ाएंगे। कर्जा नियम और प्रक्रिया से लिया जाता है। भारत सरकार की इसमें परमिशन होती है और सरकार कर्जे की राशि सिर्फ पूंजीगत कार्यों में ही खर्च करती है। कर्ज को कभी भी राजस्व मद में खर्च नहीं किया जाता है सिर्फ डेवलपमेंट में ही खर्च किया जाता है। कर्जा लेने में कोई बुराई नहीं है. मैं तो यह कहता हूं की कर्जा नहीं, यह निवेश है।
मप्र के ऊपर कुल 4.65 लाख करोड़ कर्ज
 वित्त विभाग के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा स्थिति में मप्र के ऊपर कुल कर्जा 4.65 लाख करोड़ है, जो वित्त वर्ष 2025-26 के कुल बजट 4.21 लाख करोड़ से 34 हजार करोड़ ज्यादा है। चालू वित्त वर्ष में ही सरकार ने करीब 49 हजार 600 करोड़ रुपए का कर्जा उठाया है। यानी मौजूदा सरकार को जरूरतें पूरा करने के लिए औसतन 125 करोड़ रुपए का कर्जा रोजाना लेना पड़ रहा है। वित्त विभाग का कहना है कि सरकार पूंजीगत व्यय के लिए कर्ज लेती है। राज्य की प्रगति के लिए यह जरूरी है। हर बार कर्ज लेने से पहले सरकार अधिसूचना जारी करती है कि पूंजीगत व्यय के लिए कर्ज लिया जाएगा। यह बात अलग है कि वित्त विभाग ने अभी तक अपनी संपत्ति की कोई कीमत नहीं बताई है। सामान्यत: ऐसा माना जाता है कि सरकारी एसेट्स का मूल्य राज्य की बकाया देनदारियों से – कई गुना ज्यादा है। इसलिए मप्र सरकार को कर्ज लेने में किसी तरह की अड़चन नहीं है। अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग मनीष रस्तोगी का कहना है कि प्रदेश के विकास के लिए यह जरूरी है। दुनिया में विकसित भी कर्ज ले रहे हैं। कर्ज की राशि को यूं ही खर्च नहीं किया जा रहा है। मप्र में सरकार के एसेट्स (स्थाई संपति) खड़े हो रहे हैं। मौजूदा विकास कार्यों को निरंतर जारी रखने के लिए कर्ज लेना भी जरूरी है। यदि कर्ज लेना बंद कर दिया तो फिर विकास कार्य रुक जाएंगे।
मप्र ले रहा रोजाना औसतन 125 करोड़ का कर्ज
रोज औसतन 125 करोड़ का कर्ज लेना इस बात का संकेत है कि राजस्व और व्यय के बीच संतुलन कमजोर है। लाड़ली बहना जैसी लोक-कल्याणकारी योजनाएं सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, पर उनके दीर्घकालिक वित्तीय बोझ का स्पष्ट रोडमैप सामने नहीं है। सरकार के एसेट्स का मूल्य सार्वजनिक न करना भी पारदर्शिता की कमी दर्शाता है। कर्ज विकास का साधन हो सकता है, पर असीमित कर्ज भविष्य की पीढिय़ों पर भारी बोझ बन सकता है। वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि यह कर्ज नहीं है, निवेश है। हम राज्य के पूंजीगत विकास के लिए भविष्य में और कर्ज लेंगे। आप लोग इसे दूसरे ढंग से देखते हैं, लेकिन यह हमारे लिए गर्व का विषय है। मप्र सरकार हर कर्ज का ब्याज समय पर चुका रही है। मप्र सरकार द्वारा लगातार बढ़ते कर्ज को उपलब्धि और निवेश के रूप में प्रस्तुत करना कई सवाल खड़े करता है। यह सच है कि पूंजीगत व्यय के लिए लिया गया कर्ज भविष्य की परिसंपत्तियां खड़ी करता है, लेकिन जब कुल कर्ज राज्य के कुल बजट से भी अधिक हो जाए, तो वित्तीय अनुशासन पर चिंता स्वाभाविक है।
विकास कार्यों में खर्च हो रही कर्ज की राशि
वित्त विभाग के अधिकारी ने बताया कि सभी तरह के कर्ज राज्य के विकास और भविष्य के लिए फायदेमंद एसेट्स बनाने के लिए गए हैं। जिसमें बांध, नहरों, भवन, कुआं, तालाब, सडक़ आदि का निर्माण शामिल हैं। साथ ही तकनीक, संचार, यातायात, सहकारी बैंकों, अन्य को-ऑपरेटिव सोसाइटियों की शेयर कैपिटल में इन्वेस्टमेंट, तीसरे पक्ष की संस्थाओं आदि को कर्जा देने के लिए, जो किस्तों में ब्याज के साथ कर्ज चुकाएंगे और मप्र के ऊर्जा विभाग की बिजली उत्पादन, बिजली ट्रांसमिशन और बिजली वितरण कंपनियों को कर्जा देने के लिए लिए गए। यह एक तरह का निवेश है। जानकारी के अनुसार, मौजूदा स्थिति में मप्र सरकार की बड़े वित्तीय भार वाली योजना लाडली बहना है। सरकार ने इस योजना के तहत मासिक भुगतान को 1250 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 1500 रुपए प्रति माह कर दिया है। पहले इस योजना में मासिक भुगतान के लिए 1540 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि की जरूरत थी, अब बढ़ाकर 1850 करोड़ खर्च हो रहे हैं। सरकार ने 2028 तक इस योजना के तहत मासिक भुगतान को 3 हजार रुपये प्रति माह तक ले जाने का वादा किया है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री लाडली बहनों (महिला लाभार्थियों) को 5000 रुपए प्रति माह देने की इच्छा भी जताई है, हालांकि इसके के लिए कोई समय सीमा घोषित नहीं की गई है।

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