गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी बनेंगे विकास की धूरी

  • मप्र को आत्मनिर्भर बनाने को मोहन सरकार का फॉर्मूला

गौरव चौहान
 मप्र में मोहन यादव सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल में राज्य के औद्योगिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन दर्ज किया गया है। उद्योग से लेकर ग्रामीण विकास तक, महिलाओं से लेकर किसानों तक हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए अनेक योजनाएं लागू की गईं।  दो वर्षों को राज्य सरकार ने विकास का स्वर्णिम दौर बताते हुए आगामी तीन साल का रोडमैप तैयार किया है, जिसमें गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी विकास की धूरी बनेंगे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत बनाने के लिए चार वर्गों गरीब, युवा, अन्नदाता (किसान) और नारी (महिला) यानी ज्ञान के सशक्तीकरण का मंत्र दिया है। अब मप्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोहन सरकार मोदी के ज्ञान को आधार बनाएगी। मोहन सरकार कार्यकाल के दो वर्ष पूरे होने पर आगामी तीन वर्षों का विकास का जो रोडमैप तय किया गया, उसके केंद्र में यही वर्ग हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में आत्मनिर्भर, विकसित और समृद्ध मध्य प्रदेश का रोडमैप प्रस्तुत किया। इसमें कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का लक्ष्य रखा है। प्राकृतिक खेती, उद्यानिकी फसलों के साथ गो-पालन के लिए किसानों को प्रेरित करने पर फोकस रहेगा। जैविक खेती का क्षेत्र प्रदेश में 17 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 20-22 लाख हेक्टेयर करना है। इससे जहां भूमि की सेहत में सुधार होगा, वहीं लागत में भी कमी आएगी। उत्पादन को बाजार तक पहुंचाने के लिए मंडियों को अपग्रेड करने के साथ ऑनलाइन मार्केटिंग पर जोर दिया जाएगा ताकि किसानों को उपज का उचित मूल्य मिले।
गरीब कल्याण
मुख्यमंत्री और उनकी सरकार का फोकस गरीब कल्याण पर रहा है। आगामी तीन सालों के दौरान सरकार इस दिशा में मिशन मोड पर काम करेगी। पिछले दो साल में गरीब कल्याण मिशन के तहत 1.33 करोड़ परिवारों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण किया गया। स्वामित्व योजना से 39.60 लाख लोगों को अधिकार पत्र मिले। संबल योजना में 6.81 लाख प्रकरणों में 6,430 करोड़ से अधिक की सहायता राशि दी गई। मजदूरों की दिव्यांगता और मृत्यु पर सहायता राशि बढ़ाकर 4 लाख की गई। मप्र को गरीबी मुक्त बनाने के लिए गरीब कल्याण मिशन शुरू किया गया है। 1 करोड़ 33 लाख परिवारों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण किया गया है। स्वामित्व योजना के माध्यम से लगभग 39 लाख 60 हजार से अधिक लोगों को स्वामित्व अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं। मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना अंतर्गत अब तक 6 लाख 81 हजार से अधिक प्रकरणों में 6,430 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता राशि का अंतरण किया गया है। मजदूरों की दिव्यांगता और मृत्यु के आधार पर मिलने वाली सहायता राशि बढ़ाकर 4 लाख रुपये की गई है।
हर युवा को रोजगार देने का लक्ष्य
आगामी तीन साल में सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश के हर युवा के पास रोजगार हो। प्रदेश में अभी पंजीकृत बेरोजगारों (आकांक्षी युवा) 35 लाख के करीब हैं। प्रदेश के युवा काम मांगने वाले नहीं बल्कि काम देने वाले बनें, इस सिद्धांत पर सरकार काम कर रही है। इसके लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का जाल बिछाने की तैयारी है। प्रदेश के हर जिले में स्थानीय मांग को देखते हुए छोटी-छोटी इकाइयां लगाने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री का रीजनल इंडस्ट्रीज कांक्लेव का उद्देश्य यही था कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर अधिक से अधिक उपलब्ध हों। निवेश के माध्यम से एक करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बीते दो साल में छह लाख करोड़ रुपये का निवेश धरातल पर उतर गया है। 25 दिसंबर को ग्वालियर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से स्थापित होने वाली इकाइयों का भूमिपूजन करेंगे। पीथमपुर में पीएम मित्र पार्क से छह लाख किसानों को सीधा लाभ होगा तो दो से तीन लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा। पांच साल में ढाई लाख सरकारी पदों पर भर्ती होगी, जिसका रोडमैप तैयार हो चुका है।
खेती-किसानी पर विशेष फोकस
मप्र सरकार का खेती-किसानी पर विशेष फोकस है। सरकार ने आगामी तीन साल में मप्र के किसानों के लिए विशेष योजना बनाई है। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्ष 2026 को कृषि वर्ष घोषित किया जा रहा है। इसमें हर वह गतिविधि संचालित की जाएगी, जिससे किसान आत्मनिर्भर बनें। युवाओं को रोजगार मांगने वाला नहीं देने वाला बनाने के लिए स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे। निवेश के माध्यम से जो औद्योगिक इकाइयां लगने जा रही हैं, उनसे रोजगार तो मिलेगा ही छोटे-छोटे उद्योग भी विकसित होंगे, जो स्वरोजगार का बड़ा माध्यम बनेंगे। इसी तरह महिला सशक्तीकरण के लिए लाड़ली बहना को स्वरोजगार से जोडऩे की तैयारी है। गरीबों के आर्थिक उत्थान के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में गो-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की तैयारी है। सिंचाई क्षमता में लगातार वृद्धि की जा रही है। बीते दो वर्ष में साढ़े सात लाख हेक्टेयर क्षेत्र बढ़ाया गया है। अगले एक वर्ष में छह लाख हेक्टेयर की वृद्धि की तैयारी है। सिंचाई क्षमता बढऩे से उत्पादन बढ़ा है लेकिन जितना लाभ किसानों को मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। बिचौलिए अभी भी लाभ कमा रहे हैं। किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है। इसके लिए सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ने कार्य योजना तैयार की है। कृषि वर्ष में प्रत्येक जिले में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का जाल बिछाने का लक्ष्य रखा गया है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बनेंगे। गरीबों के उत्थान के लिए सरकारी योजनाओं के माध्यम से सहायता तो जारी रहेगी ही स्वनिधि, मुद्रा लोन, आजीविका मिशन, एक बगिया मां के नाम, होम स्टे जैसी गतिविधियों से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास भी किया जाएगा।
महिला सशक्तिकरण में ऐतिहासिक कदम
मोहन सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। आगामी तीन साल के लिए सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए कई रणनीति बनाई है। प्रदेश में सरकार एक करोड़ 29 लाख लाड़ली बहनों को डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह दे रही है। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा भी कर दी कि यह राशि धीरे-धीरे बढ़ती जाएगी और पांच हजार तक पहुंचेगी। यह राशि महिलाओं के सशक्तीकरण का माध्यम बने, इसके लिए स्वरोजगार से जोडऩे की तैयारी है। प्रयास यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं किसी न किसी आर्थिक गतिविधि से जुड़े। इसके लिए आजीविका मिशन का विस्तार किया जाएगा। साथ ही कारखानों में महिलाओं को तीन पाली में 24 घंटे काम करने की छूट भी दे दी गई है। भर्तियों में आरक्षण की व्यवस्था पहले से है। लाड़ली बहना योजना की राशि 1,000 से बढ़ाकर 1,500 प्रतिमाह की गई। शासकीय सेवाओं में महिलाओं का आरक्षण 35 प्रतिशत हुआ। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में 9.70 लाख गर्भवती महिलाओं को 512 करोड़ का भुगतान किया गया है।  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। 57 वन स्टॉप सेंटर से 52,095 महिलाओं को सहायता मिली। 62 लाख ग्रामीण महिलाएं 5 लाख स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनीं।

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