- एलोपैथी के साथ होम्योपैथी का कॉम्बो सबसे असरदार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
अगर आप भी धूल, मिट्टी या बदलते मौसम के कारण लगातार होने वाली छींकों और बहती नाक (एलर्जिक राइनाइटिस) से परेशान हैं, तो एम्स भोपाल की नई रिसर्च आपके लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आई है। एम्स के डॉक्टरों ने सिद्ध किया है कि यदि एलोपैथी (मानक इलाज) के साथ होम्योपैथी को जोड़ा जाए, तो मरीजों को न केवल जल्दी आराम मिलता है, बल्कि राहत लंबे समय तक बनी रहती है। यह अध्ययन एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में भी प्रकाशित हुआ है।
210 मरीजों पर किया क्लिनिकल ट्रायल: एम्स भोपाल के आयुष (होम्योपैथी) और ईएनटी विभाग ने मिलकर 210 वयस्क मरीजों पर यह शोध किया। मरीजों को दो श्रेणियों में बांटा गया था जिसमें पहले समूह के मरीजों को केवल सामान्य मानक उपचार दिया गया। जबकि दूसरे समूह के मरीजों को मानक उपचार के साथ उनकी व्यक्तिगत शारीरिक प्रवृत्ति के अनुसार होम्योपैथिक दवाएं दी गईं।
18 सप्ताह में दिखा 78 प्रतिशत अधिक सुधार
अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले रहे। शोधकर्ताओं ने पाया कि शुरुआती 12 हफ्तों तक दोनों समूहों में सुधार लगभग समान था, लेकिन असली अंतर 18 सप्ताह के बाद दिखा। होम्योपैथी लेने वाले मरीजों के टोटल नजल सिम्पटम स्कोर में 78 प्रतिशत तक अधिक सुधार देखा गया। इस समूह के मरीजों की लाइफ क्वालिटी में 61 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ। उन्हें नाक बंद होने, आंखों में जलन और छींक आने जैसी समस्याओं से स्थाई छुटकारा मिला।
इंटीग्रेटेड चिकित्सा की नई राह
शोधकर्ताओं के अनुसार, एलर्जिक राइनाइटिस एक पुरानी बीमारी है जो बार-बार लौटकर आती है। इस अध्ययन से यह प्रमाणित हुआ है कि होम्योपैथी लक्षणों की पुनरावृत्ति को रोकने में कारगर है। एम्स के विशेषज्ञों का मानना है कि यह शोध भविष्य में इंटीग्रेटेड मेडिसिन (एलोपैथी+आयुष) को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित होगा।
इनका कहना है
यह अध्ययन स्पष्ट करता है कि एकीकृत चिकित्सा पद्धति से मरीजों को लंबे समय तक राहत दी जा सकती है। इससे न केवल शारीरिक कष्ट कम होता है, बल्कि मरीज की कार्यक्षमता भी बढ़ती है।
– शोध टीम, एम्स भोपाल
