गावों को आत्मनिर्भर और आदर्श बनाने में पिछड़े कलेक्टर

गावों
  • दो माह में नहीं कर पाए 75 विधानसभा क्षेत्रों में अब भी वृंदावन ग्रामों का चयन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। इस साल जुलाई में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक मेंकई बड़े निर्णय लिए गए थे। जिसमें से एक था प्रत्येक विधानसभा (230) में एक वृंदावन ग्राम विकसित किया जाएगा। जिसके 27 मानक होंगे। इस संदर्भ में सीएम डॉ. मोहन यादव ने अक्टूबर को भोपाल में आयोजित कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र से एक गांव को चयनित कर उसे वृंदावन ग्राम के रूप में विकसित किया जाए। इसके लिए सभी कलेक्टरों को एक महीने के भीतर गांवों का चयन सुनिश्चित करने को कहा गया था। लेकिन गावों को आत्मनिर्भर और आदर्श बनाने की इस योजना में कलेक्टरों ने विशेष रूचि नहीं दिखाई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि 75 विधानसभा क्षेत्रों में अब भी वृंदावन ग्रामों का चयन नहीं हो पाया है।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश के ग्रामों को आत्मनिर्भर और आदर्श बनाने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना की रफ्तार फिलहाल धीमी नजर आ रही है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने गत 7-8 अक्टूबर को भोपाल में आयोजित कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेेंस में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र से एक गांव को चयनित कर उसे वृंदावन ग्राम के रूप में विकसित किया जाए। इसके लिए सभी कलेक्टरों को एक महीने के भीतर गांवों का चयन सुनिश्चित करने को कहा गया था। सरकार का मानना है कि प्रदेश में कुछ ग्राम इस प्रकार विकसित किए जाएं, ताकि वे आत्मनिर्भर होकर प्रदेश के सभी ग्रामों के लिए उदाहरण बनें और अन्य ग्राम इन चयनित ग्रामों से प्रेरित होकर स्वयं भी आत्मनिर्भरता और समग्र विकास की ओर अग्रसर हों।
केवल 155 विधानसभा क्षेत्रों में ही वृंदावन ग्रामों का चयन
जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री के निर्देशों को दो महीने से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन अब तक प्रदेश के 230 विधानसभा क्षेत्रों में से केवल 155 विधानसभा क्षेत्रों में ही वृंदावन ग्रामों का चयन किया जा सका है। इस तरह 75 विधानसभा क्षेत्रों में अब भी वृंदावन ग्रामों का चयन किया जाना बाकी है। मुख्यमंत्री द्वारा तय समय सीमा के बावजूद अब तक सभी विधानसभा क्षेत्रों में वृंदावन ग्राम का चयन नहीं हो पाना प्रशासनिक उदासीनता की ओर इशारा करता है। सूत्रों का कहना है कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर समन्वय की कमी के कारण वृंदावन ग्रामों के चयन की प्रक्रिया अटकी हुई है। वृंदावन ग्राम के चयन के लिए निर्धारित मापदंडों के आधार पर कुछ विधानसभा क्षेत्रो में एक से ज्यादा गांव ऐसे सामने आए हैं, जिन्हें वृंदावन ग्राम के रूप में विकसित किया जा सकता है, लेकिन इनमें से किसी एक का चयन करना अफसरों को मुश्किल हो रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी अपनी पसंद के गांव को वृंदावन ग्राम के रूप में विकसित करने को लेकर अफसरों पर दबाव है।
दो हजार से अधिक जनसंख्या वाले गावों का चयन
इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक विधानसभा के एक ऐसे ग्राम का चयन किया जाना है, जिसकी वर्तमान जनसंख्या न्यूनतम 2000 हो और गौवंश की न्यूनतम संख्या 500 हो। ऐसे ग्रामों को मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम के रूप में विकसित कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना के अंतर्गत चयनित वृंदावन ग्राम में अधोसरंचना के लिए गौशाला, ग्राम पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी भवन, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल भवन, यात्री प्रतीक्षालय, सोलर स्ट्रीट लाइट, पुस्तकालय, सर्व सुविधायुक्त आजीविका भवन, पशु चिकित्सालय, ग्राम तक कनेक्टिविटी, ग्रामीण परिवारों का रोजगार /स्वरोजगार आधारित आर्थिक सुदृढ़ीकरण, आंतरिक सडक़ें / नाली, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान एवं गोडाउन, हर घर जल, ग्रामीण उद्योग आधारित आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर, बायोगैस सयंत्र, शांतिधाम निर्माण, गौ-समाधि स्थल, जल निकासी के लिए नाली, कृत्रिम गर्भाधान केंद्र, ग्राम में सौर ऊर्जा एवं गैर परंपरागत ऊर्जा क्षेत्र में विकास, सार्वजनिक उद्यान, सार्वजनिक शौचालय, सिंचाई स्रोत विकास एवं ड्रिप एरीगेशन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री के अन्य निर्देशों का भी पालन नहीं
कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि कलेक्टर, सीईओ एवं अन्य अधिकारी अनिवार्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रात्रि विश्राम करें। प्रदेश में शायद ही अब तक किसी अधिकारी ने गांव में रात रुककर ग्रामीणों की समस्याएं जानी हो। इससे पूर्व मुख्यमंत्री मंत्रियों को भी प्रभार के जिले के गांवों में रात्रि विश्राम के निर्देश दे चुके हैं, पर किसी ने इसका पालन नहीं किया। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने 28 नवंबर को सभी कलेक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंंग के जरिए चर्चा कर कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में दिए गए निर्देशों के क्रियान्वयन की समीक्षा कर कलेक्टरों को जरूरी निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा था कि कॉन्फ्रेंस में दिए गए निर्देशों के क्रियान्वयन को लेकर गंभीरता से काम करें। हर महीने कॉन्फ्रेंस के निर्देशों के क्रियान्वयन को लेकर समीक्षा की जाएगी।

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