मोहन सरकार बनाएगी सडक़ों का हेल्थ कार्ड

  • बार-बार नहीं उखड़ेंगी सडक़ें, बजट का दुरुपयोग रुकेगा

गौरव चौहान
मध्य प्रदेश के स्टेट हाईवे से लेकर सभी मार्गों का एनएचएआई की तर्ज पर सरकार पूरा डाटा तैयार कराने जा रही है। इसके लिए नेटवर्क सर्वे व्हीकल्स की मदद से प्रदेश की सडक़ों का डाटा जुटाया जाएगा और इसके बाद डाटा का एनालिसिस कर सभी सडक़ों का डिजिटल हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा। राज्य सरकार ने यह कदम बार-बार खराब होने वाली सडक़ों से छुटकारा पाने के लिए उठाया है। सडक़ों का डाटा इक_ा होने से सडक़ों के निर्माण, सुधार कार्य बेहतर होगा। साथ ही सडक़ निर्माण में खर्च होने वाली राशि में भी कमी आएगी।
जानकारी के अनुसार, मप्र लोक निर्माण विभाग में बजट का दुरुपयोग रोकने के लिए रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया है। इसके तहत पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्मित प्रदेश की 40 हजार किमी सडक़ों का डिजिटल हेल्थ कार्ड तैयार किया जाएगा। प्रोजेक्ट लागू करने में करीब 20-25 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। विभाग के अधिकारी इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि, आगामी समय में इसका कई गुना फायदा मिलेगा। क्योंकि, अभी तक सडक़ों के प्रबंधन के लिए सालाना करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम लागू होने के बाद व्यवस्थित रूप से पैसा खर्च किया जा सकेगा। रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम एक डिजिटल और वैज्ञानिक तरीका है। इसके जरिए सडक़ से संबंधित सभी संपत्तियों का प्रबंधन, रख-रखाव और सुधार समय पर, कम लागत से किया जाता है। इससे सडक़ों की मरम्मत में खर्च होने वाले बजट के सदुपयोग के लिए रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया है।
इस तरह तैयार होगा सडक़ का हेल्थ कार्ड
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरह मध्य प्रदेश में भी रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया है। इसके तहत प्रदेश की करीबन 40 हजार किलोमीटर सडक़ों का पूरा रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा। इसके तहत एनएसव्ही यानी नेटवर्क सर्वे व्हीकल की मदद ली जाएगी। इन व्हीकल्स की मदद से प्रदेश की सडक़ों का डाटा जुटाया जाएगा। इसके तहत देखा जाएगा कि सडक़ों की सतह की गुणवत्ता किस तरह की है, सडक़ कहां-कहां खराब हुई है और मार्ग पर मौजूद तकनीकि खामियां, ट्रेफिक लोड, साइन बोर्ड, सिग्नल आदि के डाटा को जुटाया जाएगा। इस डाटा का विशेषज्ञ एनालिसिस करेंगे और इसके आधार पर हर सडक़ का हेल्थ कार्ड तैयार किया जाएगा। लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह कहते हैं कि डिजिटल हेल्थ कार्ड तैयार होने से हर सडक़ों में सुधार कराना आसान होगा। जहां जिस तरह की जरूरत होगी उसे पूरा किया जाएगा, इससे सडक़ दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
पहले मुख्य मार्गों का डेटा होगा तैयार
सडक़ों का हेल्थ रिकॉर्ड तैयार करने की शुरुआत प्रदेश के हाईवे, जिलों की मुख्य सडक़ों से होगी। पहले चरण में करीबन 10 हजार किलोमीटर सडक़ों का डेटा तैयार किया जाएगा। इसके बाद जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों से जुडऩे वाली सडक़ों का एनालिसिस किया जाएगा। सडक़ों का हेल्थ कार्ड तैयार कराने में करीब 25 करोड़ की राशि खर्च होगी, लेकिन विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इससे सडक़ों के बार-बार खराब होने और गुणवत्ता को लेकर आने वाली समस्याओं पर लगाम लगेगी। सडक़ों का सर्वे कर डिजिटल हेल्थ कार्ड तैयार किया जाएगा, जिससे सडक़ें दुरूस्त रहेंगी और सडक़ हादसों में भी कमी आएगी। इससे बजट का सही दिशा में इस्तेमाल किया जा सकेगा। सडक़ों का लंबे समय तक बेहतर स्थिति में रहना संभव हो सकेगा। साथ ही सडक़ दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी। इसके अलावा योजनाबद्ध और तेजी से मरम्मत कार्य पूरा कराया जा सकेगा। साथ ही, पारदर्शिता बनेगी, जिससे जबावदेही का निर्धारण किया जा सकेगा। विशेष मशीन के जरिए सालाना सडक़ का हेल्थ कार्ड तैयार करवाया जाएगा। सडक़ की लंबाई, चौड़ाई, स्थिति, ट्रैफिक लोड, पुल, कल्वर्ट, साइन बोर्ड और सिग्नल सहित रोड की मौजूदा स्थिति आदि जानकारी एकत्रित की जाएगी। इसका हर साल सर्वे किया जाएगा। इसे पीडब्ल्यूडी द्वारा स्टेट हाईवे, मुय जिला मार्ग और अन्य जिला मार्ग सहित सभी जगह लागू कर रहा है। हेल्थ कार्ड बनाने का काम दो चरणों में होगा। पहले में अन्य जिला मार्ग, मुख्य जिला मार्ग और स्टेट हाईवे को रखा है। लगभग 10 हजार किमी ग्रामीण सडक़ें अगले चरण में कवर होंगी।
भोपाल-मंदसौर ग्रीनफील्ड फोरलेन बनना शुरू
भोपाल से लेकर पश्चिमी क्षेत्र के दूरस्थ जिले मंदसौर के बीच अब सीधी, तेज और सुगम कनेक्टिविटी होने जा रही है। इसके लिए मध्य प्रदेश सडक़ विकास निगम ने एक्सेस कट्रोल्ड ग्रीनफील्ड फोरलेन सडक़ निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रस्तावित फोरलेन करीब 258 किलोमीटर लंबा होगा, इसमें सबसे खास बात ये है कि, जो मौजूद समय में मार्गों की तुलना में 100 से 150 किलोमीटर तक दूरी घट जाएगी। यह सडक़ जमीन की सतह से लगभग 8 से 10 फीट की ऊंचाई पर बनाई जाएगी और इसमें अत्यंत कम मोड़ होंगे, जिससे वाहनों को एक समान और तेज गति मिल सकेगी। इस फोरलेन का लाभ मंदसौर और नीमच जिलों के साथ-साथ राजस्थान के प्रतापगढ़, चित्तौडगढ़़, बांसवाड़ा और उदयपुर के यात्रियों को भी मिलेगा।

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