- मप्र में अब तक 50 बाघों की मौत, 25 साल में सबसे ज्यादा आंकड़ा

गौरव चौहान
मप्र में बिग कैट प्रजाति के चीता, तेंदुआ के बाद अब टाइगर की जान पर खतरा मंडरा रहा है। कभी सड़क हादसों तो कभी आपसी संघर्ष में इनकी लगातार जान जा रही है। मप्र में बाघों की मौत का आंकड़ा पिछले 25 सालों में सबसे ज्यादा है। प्रदेश में यह काफी लंबे समय के बाद हुआ है कि 1 साल के भीतर 50 बाघों की मौत हुई है। देश भर में बाघों की मौत के मामले में मप्र नंबर वन हो चुका है। लगातार हो रही बाघ और तेंदुए की मौत के बाद सुरक्षा पर सवाल उठ गए हैं। ऐसे में वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को लगातार लापरवाही पर वन बल प्रमुख (हाफ) व्ही एन अम्बाड़े ने सख्ती दिखाते हुए सबको अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करने की हिदायत जारी की है। हॉफ ने पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ), सीसीएफ, सभी टाइगर रिजर्व और वन विहार के संचालक, क्षेत्रीय व वाइल्ड लाइफ डीएफओ, रातापानी व रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डीएफओ को पत्र जारी कर वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
मप्र में बाघों और तेंदुओं की लगातार मौत और सुरक्षा के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने अफसर को फटकारा है। अफसर को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि वन एवं वन जीव संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता है लेकिन देखने में आया है कि पिछले कई महीनों में बाघ और तेंदुओं की मौत की घटनाएं बढ़ी है। इन घटनाक्रमों में कई वन्य जीवों की मौत बिजली, सड़क दुर्घटना और रेल के कारणों से हुई है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि निर्देश जारी करने के बाद भी वन्य जीव संरक्षण के प्रति लापरवाही बढ़ती जा रही है। सभी अधिकारी कर्मचारी वन्य जीव संरक्षण के प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए काम करें। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे और अन्य एजेंसियों से संपर्क स्थापित भविष्य में किया जाए। जैसे कि घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो। इस संबंध में कार्य योजना बनाने और अधिकारी कर्मचारी सुरक्षा योजना में जुटे रहें। प्रदेश के टाइगर रिजर्व के अंदर वन्यजीवों की पुख्ता व्यवस्था होने के बावजूद भी बाघ और वन्यजीवों का शिकार हड्डी आदि जब्त होना, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इस घटनाओं से अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही नजर आती है। इसलिए फिर से निर्देश दिए हैं कि विवेचना सभी मामलों की जाए। इसके साथ ही कर्मचारियों की लापरवाही की विरुद्ध कार्रवाई करते हुए मुख्यालय को जानकारी भेजें। वन्य जीव सुरक्षा विभाग की प्राथमिकता है। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही असहनीय होगी।
बाघों की मौत से बढ़ी विभाग की चिंता
वन बल प्रमुख (हेड ऑफ फॉरेस्ट) विजय कुमार एन अंबाड़े ने कहा कि प्रदेश भर में बाघों की मौत यह चिंता की बात है। इसलिए सभी मुख्य वन संरक्षक को निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अलावा संजय टाइगर रिजर्व की फील्ड डायरेक्टर को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है। लगातार प्रदेश भर में बाघों की मौत यह विभाग के लिए चिंता का विषय है। यही कारण है कि अफसर के खिलाफ अभी तो नोटिस जारी की है और आगे कार्रवाई की जाएगी। हाफ ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी बाघ व अन्य वन्य जीवों का शिकार ही रहा है और बाघों की हड्डियां चरामद हो रही हैं। ऐसी घटनाओं से अधिकारी व कर्मचारियों की काम के प्रति लापरवाही दिखाई देती है। अत: ऐसे सभी मामलों को विवेचना में लेकर लापरवाही करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्यवाही करते हुए मुख्यालय को भी इसकी रिपोर्ट भेजी जाए। हाफ ने वन्यजीवों की सुरक्षा पर लापरवाही करने को असहनीय बताया है। हाफ द्वारा जारी पत्र में अधिकारियों को याद दिलाया गया है कि वन्य जीव संरक्षण वन विभाग का सबसे पहला काम है। लेकिन देखने में आ रहा है कि पिछले एक महीने में बाघ व तेंदुओं की मौत की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। कई वन्यजीव बिजली, सड़क व रेल दुर्घटना सहित अन्य कारणों से मारे गए हैं। विभाग द्वारा निर्देश जारी करने के बाद भी वन्यजीवों के संरक्षण में लापरवाही बढ़ती जा रही है। ऐसे में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सभी अधिकारी व कर्मचारी अपने स्तर पर प्राथमिकता के साथ आदेश जारी करें। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे के साथ अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम करें। ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर न हों।
छिन सकता है टाइगर स्टेट व लेपर्ड स्टेट का तमगा
संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में बाघिन टी 60 के दो शावकों के क्षत विक्षत शव मिलने पर मुख्यालय ने संचालक सहित अन्य अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की है। मुख्यालय द्वारा जारी शोकॉज नोटिस में इसे कर्तव्यों के प्रति लापरवाही मानते हुए पूरे प्रकरण की रिपोर्ट बनाकर देने को कहा है। बताया जा रहा है कि यदि इस मामले में लापरवाही सामने आती है, तो मुख्यालय द्वारा संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। वहीं डीआरएम भोपाल पंकज त्यागी का कहना है कि इस ट्रैक की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए रेलवे द्वारा यहां पर 55 से 58 की गति सीमा पर ही रेल का संचालन किया जा रहा है। ट्रैक पर वन्य प्राणियों के लिए 22 अंडरपास बन दिए गए हैं, जबकि 4 ओवरपास निर्माणाधीन हैं। बारिश के बाद घास की कटाई भी करवा दी जाती है। मामले में वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि जिस गति से प्रदेश में बाघ व तेंदुओं की मौत हो रही है यदि इसी हिसाब से वन्य प्राणी मरते रहे प्रदेश का टाइगर स्टेट व लेपर्ड स्टेट तमगा छीन जाएगा।
