
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आयोजित इंडिया-जापान फोरम के उद्घाटन सत्र में कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत और जापान की साझेदारी न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई मजबूती दे रही है, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और संतुलन कायम करने के लिए भी निर्णायक भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि यह समय दोनों देशों के लिए सामरिक, आर्थिक और प्रौद्योगिकीय क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने का है, क्योंकि दुनिया एक नए शक्ति-संतुलन की ओर बढ़ रही है।
जयशंकर ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, भारत-जापान सहयोग की प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों, खुले और मुक्त हिंद-प्रशांत तथा वैश्विक स्थिरता के प्रति साझा प्रतिबद्धता रखते हैं। उन्होंने कहा कि यही साझा दृष्टिकोण दोनों देशों को रणनीतिक साझेदारी का स्वाभाविक सहयोगी बनाता है। इंडिया-जापान फोरम को विदेश मंत्रालय और आनंदा सेंटर ने संयुक्त रूप से आयोजित किया है, जिसका उद्देश्य उभरती चुनौतियों और अवसरों पर भारत और जापान के नीति-निर्माताओं, उद्योग जगत और थिंक टैंकों को संवाद का मंच प्रदान करना है। आधिकारिक बयान के अनुसार, यह मंच पारस्परिक विश्वास बढ़ाने, विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करने और भविष्य के लिए साझा एजेंडा तैयार करने का काम करता है। जयशंकर ने कहा कि यह साझेदारी केवल क्षेत्रीय स्थिरता ही नहीं बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी आवश्यक है, क्योंकि दोनों देश नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूती देने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में यह संबंध और सशक्त होंगे तथा भारत-जापान सहयोग नए शिखर छुएगा।
भारत-जापान संबंधों में हाल के वर्षों में लगातार गति आई है। बीते शुक्रवार को जापान में भारत की राजदूत नगमा एम. मलिक ने जापान के पर्यावरण मंत्री इशीहारा हीरोताका से मुलाकात की थी और जलवायु तथा सतत विकास से जुड़े सहयोग पर चर्चा की थी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 नवंबर को जोहानिसबर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची से मुलाकात की थी, जिसमें नवाचार, रक्षा और प्रतिभा गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी थी। विदेश मंत्री जयशंकर ने 27 अक्तूबर को कुआलालंपुर में आसियान शिखर सम्मेलन के इतर अपने जापानी समकक्ष मोतेगी तोशिमित्सु से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने अगले दशक के संयुक्त विजन को लागू करने के लिए करीबी सहयोग जारी रखने पर सहमति जताई थी। यह विजन दोनों देशों के बीच रक्षा, प्रौद्योगिकी, आपूर्ति शृंखला, डिजिटल अर्थव्यवस्था और लोगों के बीच संपर्क जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत-जापान संबंधों को वर्ष 2000 में ‘ग्लोबल पार्टनरशिप’, 2006 में ‘स्ट्रैटेजिक एंड ग्लोबल पार्टनरशिप’ और 2014 में ‘स्पेशल स्ट्रैटेजिक एंड ग्लोबल पार्टनरशिप’ का दर्जा मिला। इन संबंधों का सबसे मजबूत स्तंभ रक्षा और सुरक्षा सहयोग है, जिसकी महत्ता हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच और बढ़ गई है।
