सम्पत्तियों का किराया वसूली में लापरवाही, आर्थिक तंगी से जूझ रहे निकाय

  • मप्र स्थानीय निधि संपरीक्षा के वार्षिक प्रतिवेदन में सामने आई हकीकत

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र के नगरीय निकाय आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है नगरीय निकायों का जो बजट प्रबंधन है, वह पूरी तरह से गड़बड़ाया हुआ है। दरअसल, अधिकांश नगरीय निकाय अपनी संपत्तियों का किराया वसूली में लापरवाही कर रहे हैं। यही नहीं आय का ठीक से आकलन किए बिना बजट अनुमान लगाया जा रहा है। यही कारण है कि नगर निगम और नगरीय निकाय का व्यय आय से अधिक हो रहा है। वे आय अर्जित करने में पीछे तो हैं ही राजस्व वसूली भी नहीं कर पा रहे हैं। यह तथ्य मप्र स्थानीय निधि संपरीक्षा के वर्ष 2021-22 के वार्षिक प्रतिवेदन में सामने आए हैं, जो विधानसभा के पटल पर रखा गया।
दरअसल, संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा ने विधानसभा में पेश 2021-22 की अपनी रिपोर्ट में नगरीय निकायों की बड़ी कमियां उजागर की है। प्रदेश में विभिन्न नगरीय निकायों द्वारा दुकानों का निर्माण तो कराया गया पर वह इन्हें न तो समय पर आवंटित कर सके और न ही समय रहते इनकी नीलामी हो पाई। इन दुकानों के आवंटन से पूर्व समय पर प्रीमियम राशि भी कई मामलों में जमा नहीं कराई गई। इसके अलावा अनुबंध की शर्तों का भी पालन नहीं कराया गया। इससे नगरीय निकायों को 438 करोड़ से अधिक की आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है। इसके अलावा अधिकांश नगरीय निकाय अपनी संपत्तियों का किराया भी नहीं वसूल पा रहे हैं। इससे भी करोड़ों का नुकसान हर साल हो रहा है। रिपोर्ट में बाजार बैठकी एवं ठेकों से कम वसूली का जिक्र करते हुए कहा गया है कि कई नगरीय निकायों में तो वसूली के लिए जितने कर्मचारी लगे थे उनके वेतन के बराबर भी वसूली नहीं हो पाई। आडिट में बाजार बैठकी ठेका नहीं किया जाना, ठेका की अनुबंध शतों का पालन नहीं किया जाना, बाजार बैठकी की वसूली का अभाव, विभागीय स्तर पर वसूली करने से कम वसूली हो पाना, निर्धारित शुल्क से कम मूल्य के स्टाम्प पर अनुबंध किया जाने से निकायों को बड़ी आर्थिक क्षति हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निकायों को निरंतर हो रही वित्तीय हानि का एक बड़ा कारण यह भी है।
50 प्रतिशत भी किराया वसूल नहीं
 ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि नगर निगम छिंदवाड़ा ने निकाय के विभिन्न कांप्लेक्सों में आवंटित दुकानों के प्रीमियम बकाया राशि न वसूल करने से चार करोड़ 57 लाख से अधिक की आर्थिक क्षति संभावित है। इसी तरह नगर निगम जबलपुर ने निगम की कुछ छह खाली दुकानों को नीलमा न करने से 51 लाख से अधिकक्षति संभावित है। इसी तरह रीवा नगर निगम, इंदौर, खंडवा में नीलामी समय पर न होने से लाखों की आर्थिक क्षति का अनुमान बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नगरीय निकायों द्वारा किराए पर आवंटित स्थावर सम्पतियों के किराए की राशि शत प्रतिशत वसूल नहीं की जा रही है। संचालनालय नगरीय निकाय द्वारा इस संबंध में निर्देश जारी करने के बाद भी इसका पालन नहीं हुआ। अधिकांश नगरीय निकाय अपनी किराए पर दी सम्पत्ति का 50 प्रतिशत भी किराया वसूल नहीं कर पाए। इसके अलावा नगर निगम रीवा, नगर पालिका दमोह, नगरपालिका टीकमगढ़, शिवपुरी, कोतमा, अनूपपुर समेत 19 नगरीय निकायों में तो बीस प्रतिशत से कम किराया वसूली हो पाई। नगर पालिका निगम 33, नगरपालिकाएं 15 और नगरपरिषदे 36 प्रतिशत ही औसत किराया वसूली कर सकीं। रिपोर्ट में बैंक खातों और कैश बुक के मिलान पर भी टिप्पणियां की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्येक माह के अंत में कैश बुक की शेष राशि और बैंक पास बुक का मिलान एवं सत्यापन किया जाना निर्देशित है। 

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