भोपाल के बड़ा तालाब में तैर रहे डल-झील वाले शिकारे

  • सीएम डॉ. मोहन यादव ने दिखाई हरी झंडी, अब आम लोग लुत्फ उठा सकेंगे

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल के बड़ा तालाब में आज से 20 शिकारा तैरेंगे। ये श्रीनगर की डल झील जैसे होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हरी झंडी दिखाई। अब आम लोग शिकारे का लुत्फ उठा सकेंगे। बोट क्लब पर हुए कार्यक्रम में सीएम डॉ. यादव के साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र लोधी शामिल हुए। कार्यक्रम में बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के विधायकों को बुलाया गया। इससे पहले नगर निगम ने 13 जून-24 में प्रायोगिक तौर पर एक शिकारा चलाया था। इसके बाद अब एक साथ 20 शिकारे बड़ा तालाब में उतारे गए। बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने करीब 10 महीने, 12 सितंबर को क्रूज और मोटर बोट पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सामान्य बोट ही चलाई जा रही है।
क्या होता है शिकारा?
शिकारा एक प्रकार की लकड़ी की नाव है, जो डल झील समेत अन्य झीलों में पाई जाती है। शिकारे अलग-अलग आकार के होते हैं और लोगों के परिवहन सहित कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं। एक सामान्य शिकारा आधा दर्जन लोगों को बैठाता है। जिसमें चालक पीछे की तरफ से ये शिकारा चलाता है। डल झील में पर्यटकों की पहली पसंद होता है। इन्हें आकर्षक तरीके से सजाया जाता है।
किराया करीब 150 रुपए हो सकता है
नगर निगम ने पिछले साल स्थानीय रजिस्टर्ड मछुआरे से एक शिकारा तैयार कराया था। नाव को शिकारे की तर्ज पर सजाया गया था। इस प्रयोग के बाद अब 20 शिकारे एक साथ बड़ा तालाब में उतारे गए। जानकारी के अनुसार, शिकारे में सुबह 7 से शाम 7 बजे तक चलाए जाएंगे। प्रति व्यक्ति किराया करीब 150 रुपए होगा। वहीं, यह 2.3 किलोमीटर का राउंड लगाएगा। ऐसे में यह बीच में स्थित टापू के करीब भी पहुंचेगा। हालांकि, अभी किराया तय नहीं हुआ है।
देशभर से आते हैं पर्यटक
श्रीनगर की डल झील में ऐसे ही शिकारे चलते हैं। चूंकि, भोपाल में मध्यप्रदेश-देश के कई हिस्सों से पर्यटक आते हैं। वहीं, स्थानीय स्तर पर भी हजारों लोग बोट क्लब में घूमने जाते हैं, इसलिए शिकारा चलाने की पहल की गई है।
एनजीटी ने यह दिए थे आदेश
दो साल पहले भोज वेटलैंड (बड़ा तालाब), नर्मदा समेत प्रदेश के किसी भी वाटर बॉडीज में क्रूज और मोटर बोट के संचालन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी थी। एनजीटी ने इसे अवैध गतिविधि ठहराते हुए बड़ा तालाब में क्रूज का संचालन बंद करने के आदेश दिए थे। आदेश में कहा गया था कि डीजल और डीजल इंजन से निकलने वाले उत्सर्जन को इंसानों समेत जलीय जीवों के लिए खतरा है, क्योंकि इससे उत्सर्जित सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड पानी को एसिडिक बना देता है। यह इंसानों और जलीय जीवों दोनों के लिए कैंसर कारी है। भोज वेटलैंड के लिए जारी यह आदेश नर्मदा नदी समेत प्रदेश की सभी प्रकार की वेटलैंड पर लागू हो गया था।
तभी से बंद लेक प्रिंसेज क्रूज और जलपरी
भोपाल के बड़ा तालाब में एनजीटी के आदेश के बाद से ही लेक प्रिंसेज क्रूज और जलपरी मोटरबोट बंद कर दी गई थी। पर्यटन विकास निगम ने क्रूज और जलपरी के साथ करीब 20 मोटर बोट का संचालन भी नहीं किया।
क्रूज नहीं चलने से लोग मायूस
क्रूज और मोटर बोट चलने के दौरान बोट क्लब में हर रोज एक हजार से ज्यादा लोग पहुंचते थे। वे क्रूज और मोटर बोट के जरिए बड़ा तालाब की लहरों को करीब से देखते थे। ये बंद होने के बाद प्राइवेट नाव से ही वे बड़ा तालाब के नजारे का लुत्फ उठाते रहे हैं। अब शिकारे चलने से नया अनुभव मिलेगा।

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