विधानसभा में दी जा रही महिला अपराध की गलत जानकारी

  • एनसीआरबी और पीएचक्यू के आंकड़ों में अंतर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र विधानसभा में महिला अपराधों से संबंधित जो जानकारी दी जा रही है, वह संदेह पैदा कर रही है।  विधानसभा में पुलिस मुख्यालय द्वारा दिए जा रहे आंकड़े एनसीआरबी के आंकड़ों से मेल नहीं खा रहे हैं। जिसको लेकर कहा जा रहा है कि विधायकों द्वारा पूछे जा रहे सवालों के जवाब में पीएचक्यू विधानसभा में गलत जानकारी दे रहा है। गौरतलब है कि मप्र में महिला अपराध खासकर दुष्कर्म के प्रकरण सबसे ज्यादा दर्ज होते हैं। जब महिला अपराध से जुड़े आंकड़े विधानसभा में पूछे जाते हैं, तो प्रदेश को शर्मशार करने वाले आंकड़े सामने आते हैं। ऐसे में पुलिस मुख्यालय द्वारा विधानसभा में ऐसे आंकड़े भेजे जाते हैं, जो राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से मेल नहीं खाते हैं। कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल के जवाब में गृह विभाग ने महिला अपराधों से जुड़े आंकड़े दिए हैं, वे पूर्व में दी गई जानकारी और एनसीआरबी के आंकड़ों से अलग हैं। एनसबीआरबी के अनुसार 2023 में दुष्कर्म की संख्या 6857 थी। अगस्त 2025 में विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल के जवाब में यह संख्या 8120 बताई गई। एनसीआरबी में अनुसूचित जाति तथा जनजाति की महिलाओं से दुष्कर्म के प्रकरणों की संख्या 916 है। जबकि – विधानसभा में दिए गए जवाब में यह संख्या 4279 बताई। कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने महिला अपराध से जुड़े गलत आंकड़े देने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रश्न का जवाब जुलाई 2025 में तैयार हुआ तथा एनसीआरबी ने आंकड़े सितंबर 2025 में जारी किए। जबकि मार्च 2025 में विधायक पंकज उपाध्याय के प्रश्न के जवाब में बलात्कार की संख्या 7202 और वार्षिक प्रतिवेद्रम जो फरवरी मार्च 2024 में विधानसभा में रखा गया, उसमें बलात्कार की संख्या 5346 बताई गई है।
आंकड़ों में अंतर तो सही कौन
आंकड़ों में अंतर के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सही कौन है। वर्ष 2023 में वार्षिक प्रतिवेदन में अपहरण के प्रकरण 10180 तथा एनसीआरबी में 10179 थे। अपहरण की संख्या में अंतर नहीं है। दुष्कर्म की संख्या वार्षिक प्रतिवेदन में 5346 तथा एनसीआरबी में 6857 बताई गई। 1511 का अंतर कैसे आ गया। दुष्कर्म के आंकड़ों में 2020 से 2023 तक वार्षिक प्रतिवेदन, एनसीआरबी की रिपोर्ट, मार्च और अगस्त के विधानसभा के प्रश्नों के उत्तर में हजारों का अंतर आ रहा हैं। 2020 में प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न के उत्तर में 6964, एनसीआरबी की रिपोर्ट में 5598 तथा वार्षिक पर्तिवेदन में 4574 बताए गए। यानी प्रताप ग्रेवाल तथा वार्षिक प्रतिवेदन के आंकड़ों में 2390 का अंतर है।

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