शैक्षणिक और आर्थिक अनियमिताओं को लेकर सरकार गंभीर

  • सरकार हाथ में लेगी आरजीपीवी की कमान

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की कमान जल्द सरकार के हाथ में होगी। शैक्षणिक और आर्थिक अनियमिताओं को देखते हुए यहां धारा 54 लगाने की प्रशासनिक प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इस मामले में सरकार की गंभीरता जाहिर करते हुए इसकी पुष्टि की है। महत्वपूर्ण है कि विवि की शैक्षणिक और आर्थिक गड़बडिय़ों के खुलासे से विश्वविद्यालय प्रबंधन पर जहां सवाल खड़े हुए हैं। वहीं दूसरी ओर तकनीकि शैक्षणिक व्यवस्था व गुणवत्ता के मामले में प्रदेश की छवि भी धूमिल हुई है। यहां अध्ययनरत बच्चों के भविष्य को देखते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी आक्रामक रूख दिखाया है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और आर्थिक गडबडिय़ों की निष्पक्ष जांच की मांग संगठन पदाधिकारी उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से कर चुके है।
इसलिये रुकी कार्रवाई
बताया जाता है कि तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह के अवकाश में रहने से निर्णय नहीं हो पाया है। इसके है। पहले धारा 54 के माध्यम से विवि प्रबंधन पर कमान के लिये सरकार ने कवायद शुरू की दी है। आगामी 4 से 5 दिनों में इस संबंध में अंतिम निर्णय आ सकता है।
लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू को जा सकता है मामला
विवि की आर्थिक अनिमितताओं को देखते हुए सरकार लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू जैसी संस्थाओं से जांच करा सकती है। सूत्र बताते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने 2019-20 से 2023-24 तक की ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की, जिससे करोड़ों की वित्तीय अनियमितताओं की आशंका और गहरा गई है। सरकार का अनुमान है कि यदि जांच का जिम्मा आर्थिक अपराध जांच एजेंसियों को सौंपा जाता है तो कई बड़े अधिकारी और जिम्मेदारों की भूमिका का भी खुलासा हो जाएगा। इस मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सीबीआई जांच की मांग की है।
कार्रवाई की ओर बढ़ी सरकार
– नैक की ए प्लस प्लस ग्रेडिंग के लिए एसएसआर में गलत रिपोर्ट देना
– नैक गड़बड़ी में प्रो. राजीव त्रिपाठी के इस्तीफे के बाद कार्यवाहक कुलपति बनाये गए एससी चौबे की विवादित छवि
– यूनिवर्सिटी अधिकारियों द्वारा छात्रों के हित में उपयोग होने वाले बजट का दुरुपयोग
– बैंक द्वारा पेनल्टी काटे जाने के बावजूद विश्वविद्यालय द्वारा आपत्ति न उठाना।
– करीब 100 करोड़ रुपए से अधिक के कॉरपस फंड का संदिग्ध स्थिति में होना
– कई एफडी के रिकार्ड गायब होना और परिपक्वता से पहले भुनाना
इनका कहना है
इस पूरे मामले को सरकार ने संज्ञान में लेते हुए प्रक्रिया में ले लिया है। चूंकि शैक्षणिक के साथ आर्थिक अनियमिता पाई गई है। इसलिये सरकार गंभीर है और धारा 54 की ओर आगे बढ़ रही है।
-इंदर सिंह परमार, उच्च शिक्षा मंत्री, मप्र शासन
पहले एसएसआर में गलत आंकड़े दिखाकर नैक की ए प्लस प्लस ग्रेडिंग हासिल की। अब देखते हुए एबीवीपी धारा 54 लगाने बैंकों में जमा एफडी में भ्रष्टाचार सामने आया है। इसको की मांग कर रहा है।
– केतन चतुर्वेदी, प्रांत मंत्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

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