इस्तीफा क्यों दिया…हाथ जोड़े, गाड़ी में बैठे और चले गए

जगदीप धनखड़
  • इस्तीफा देने के बाद पहली बार मप्र आए पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़
  • इस्तीफे के बाद पहली बार सार्वजनिक मंच पर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। 21 जुलाई को पद से इस्तीफा देने के बाद चार महीने तक चुप्पी साधे रहे पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को भोपाल में अंतत: संकेतों में अपनी पीड़ा व्यक्त कर दी। इस्तीफे की वजह पर उन्होंने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा, लेकिन इतना जरूर बोले- 4 माह बाद बोलने का अवसर मिला है समय कम है, पूरा गला अभी नहीं खुल पाया है। फिर आने का अवसर मिला तो बात करूंगा।’ धनखड़ ने करीब 35 मिनट का भाषण दिया। मंच पर पहुंचते ही उन्होंने गहरी सांस ली और अंतत: चार माह के बाद… कहकर हंस दिए। बोले- इस अवसर पर, पुस्तक विमोचन में और इस शहर में कुछ भी कहने में संकोच नहीं होना चाहिए।’ इस्तीफे के बाद यह उनका पहला मप्र दौरा था। दरअसल वे शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य की पुस्तक हम और यह विश्व के विमोचन पर पहुंचे थे। कार्यक्रम के अंत में जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफ क्यों दिया, तो उन्होंने हाथ जोड लिए, गाड़ी में बैठे और बिना कुछ बोले चले गए।
धनखड़ से नहीं मिले मंगुमाई…
भोपाल में होने के बाद भी राज्यपाल मंगुभाई पटेल पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ से नहीं मिले। राजभवन में सुबह 11:15 बजे मंगुभाई राज्य प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से मिले। आधे घंटे बाद वे राजभवन से रवाना हो गए। पौन घंटे के बाद धनखड़ राजभवन पहुंचे। वे वहां 3-4 घंटे रहे।
भगवान करे कोई नैरेटिव के चक्कर में न फंसे…
-धनखड़ इस्तीफे के बाद पहली बार सार्वजनिक मंच पर थे। कहा, देश ऐसे दौर में है, जहां धारणा और नैरेटिव सच तय करते हैं।
-भगवान करे कोई नैरेटिव में न फंसे, इससे निकलना आसान नहीं।
-मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा, पर मुझे नैरेटिव का शिकार बनाना चाहते हैं। उनसे व्यक्तिगत रूप से नहीं लड़ सकते, पर संस्था लड़ सकती है।’
कहा- जो सोया है उसे जगा नहीं सकते
-भाषण के दौरान धनखड़ के स्टॉफ ने फ्लाइट के समय की जानकारी दी तो पूर्व उपराष्ट्रपति ने यहां भी चुटकी ली और कहा- फ्लाइट पकडऩे की चिंता में अपने कर्तव्य को नहीं छोड़ सकता। फिर लोगों की तरफ देखकर इशारों में बोले-यह भूतकाल का प्रभाव है।
-धनखड़ ने यह भी कहा कि बात पुरानी और बड़ी मुश्किल भी है जो सोया हुआ है, उसे जगा नहीं सकते और जो जागकर भी सोया है, उसका कुछ भी कर लो। हालांकि बल प्रयोग अलग बात है।
-पुस्तक हम और यह विश्व के बारे में उन्होंने कहा, कि पुस्तक में आप डुबकी लगाएंगे तो पता चलेगा कि हमारा अतीत कितना गौरवशाली था।
-कार्यक्रम में वृंदावन मथुरा में श्रीआनंद धाम आश्रम के पीठाधीश्वर सदगुरु ऋतेश्वर महाराज, विशिष्ट अतिथि के तौर पर विष्णु त्रिपाठी और सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष राजीव तुली भी मौजूद रहे।

Related Articles