भाजपा के पोस्टर ब्वाय बने मोहन यादव

मोहन यादव
  • योग्य प्रशासक, चुनावी रणनीतिकार और विकास का पर्याय बने एमपी के सीएम

गौरव चौहान/भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा और संघ की प्रयोग भूमि मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव    ने अपने अब तक के दो साल के कार्यकाल में योग्य प्रशासक, चुनावी रणनीतिकार, विकास का पर्याय, सुशासन, संगठन क्षमता का ऐसा प्रदर्शन किया है कि आज वे भाजपा के पोस्टर ब्वाय बन गए हैं। देश के किसी भी राज्य में चुनाव हो या सुशासन या विकास की बात भाजपा डॉ. यादव और उनकी सरकार का प्रमाण देती है। इसका ताजा उदाहरण बिहार चुनाव में देखने को मिला। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर एनडीए प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया। इसमें से 18 सीटों पर जीत मिली है। यह इस बात का प्रतिक है कि मोहन यादव की लोकप्रियता कम समय में कितनी तेजी से बढ़ी है।
 मप्र में 13 दिसंबर 2023 को भाजपा ने डॉ. मोहन यादव को प्रदेश की कमान सौंपी। करीब दो साल के कार्यकाल में मोहन यादव ने कई मायनों में यह साबित कर दिया कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का भाजपा का फैसला दूरदर्शी था। चुनौतियां कई थीं, पर उन्होंने काल के प्रवाह में इन फैसलों को मजबूती में बदलकर नेतृत्व के फैसले को सही साबित किया। शहर से ग्रामीण व्यवस्था तक हर मोर्चे पर सरकार ने अपना विजन बनाकर काम शुरू किया। जो काम प्रदेश में 20 साल में भी नहीं हुए थे उन पर सरकार ने सबसे ज्यादा फोकस किया। यादव आज भारतीय राजनीति में उस दुर्लभ श्रेणी के नेताओं में शुमार हो चुके हैं, जो प्रशासन, संगठन और चुनावी रणभूमि,तीनों में समान दक्षता का परिचय देते हैं। एक ओर जहां उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा-एनडीए की ऐतिहासिक जीत में स्टार प्रचारक की भूमिका निभाकर निर्णायक योगदान दिया, वहीं दूसरी ओर मप्र में सुशासन और संगठन क्षमता को मजबूत करते हुए स्वयं को एक सक्षम प्रशासक के रूप में स्थापित किया। साथ ही जनता की भावनाओं को सर्वोच्च रखते हुए सिंहस्थ लैंड पूलिंग एक्ट और ममलेश्वर लोक परियोजना को स्थगित कर उन्होंने यह भी साबित किया कि सत्ता के शिखर पर होने के बावजूद संवेदनशीलता और जवाबदेही उनके प्रशासन की मूल पहचान है।
सियासी मोर्चे पर भी सफल हुए सीएम मोहन
मुख्यमंत्री मोहन यादव न केवल सरकार चलाने में सफल साबित हुए, बल्कि राजनीतिक मोर्चे पर भी सफल रहे। 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया। कांग्रेस के देश में सबसे मजबूत गढ़ों में शामिल रही छिंदवाड़ा सीट पर भी 26 साल बाद जीत दर्ज की। इससे पहले अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में जीत से पार्टी में अपना कद बता चुके थे। जहां भाजपा के सभी बड़े नेता राम पर फोकस करते रहे, वहीं मोहन यादव ने कृष्ण भक्त और उज्जैन से खुद को जोड़कर अलग छवि बनाई। वे कृष्ण जन्मभूमि की बात करते रहे तो जन्माष्टमी का आयोजन सरकारी स्तर पर कर अपनी छवि को और बेहतर किया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनावों में भी उन्हें स्टार प्रचारक के रूप में काम लेकर उनका बढ़ता कद बता दिया था। वहीं मोहन यादव ने जनता के बीच छवि भाई के रूप में गढ़ी। सभाओं में प्यारे भैया, मोहन भैया के बैनरपोस्टर इसकी गवाही देते रहे। सत्ता और भाजपा संगठन के बीच बेहतर तालमेल देखा गया है। जमीनी स्तर पर सरकार की योजनाओं और छवि को बेहतर बनाने में संगठन के पदाधिकारी बूथ से लेकर शक्ति केंद्रों तक पहुंचे। लोगों तक पहुंचने के लिए बूथ भाजपा की सबसे छोटी इकाई है। यहां संगठनात्मक कामों ने सरकार को नई ऊर्जा दी। हितग्राहियों को योजनाओं से जोडऩे और सरकार के विजन को बताने के लिए कार्यकर्ताओं को जि²मा सौंपा गया। उन्होंने सरकार की योजनाओं को घर-घर पहुंचाया।
बिहार में भाजपा की जीत में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बिहार में भाजपा के चुनाव प्रचार में जादू चला दिया है। जिन 25 विधानसभा सीटों पर उन्होंने प्रचार किया, उनमें से 18 पर एनडीए उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। यह जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि भाजपा ने यादव समुदाय के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मोहन यादव को स्टार प्रचारक बनाया था, जो बिहार में राजद का मजबूत गढ़ माना जाता है। मोहन यादव, जो भाजपा के 40 स्टार प्रचारकों में से एक थे, ने बिहार में नौ दिनों तक ताबड़तोड़ प्रचार किया। उन्होंने कुल 25 विधानसभा सीटों पर जनसभाएं कीं। इनमें से 18 सीटों परएनडीए के उम्मीदवार विजयी हुए। जिन सीटों पर जीत मिली उनमें बिक्रम, बगाहा, बख्तियारपुर, बेलहर, चिरैया, दीघा, नरकटिया, पिपरा, फुलपरास, सिकता, कटोरिया, हिसुआ, वजीरगंज, नाथनगर और आलम नगर शामिल हैं। यह कदम भाजपा के लिए एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। भाजपा ने मोहन यादव को बिहार में इसलिए भेजा था ताकि वे राजद के यादव समुदाय पर मजबूत पकड़ को कमजोर कर सकें। बिहार में यादव समुदाय की आबादी लगभग 12 प्रतिशत है। जब मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद उन्हें सीएम बनाया गया था, तब भी पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उन्हें बिहार और बाद में उत्तर प्रदेश के चुनावों में यादव चेहरे के तौर पर पेश करने का मन बनाया था। मध्य प्रदेश के सीएम को बिहार के चुनावी मैदान में उतारना 18 सीटों पर गेम-चेंजर साबित हुआ। वहीं, राजद अपने कोर वोट बैंक को बनाए रखने में कामयाब रही और बाकी सात सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत रखी। मोहन यादव की जनसभाओं में भारी भीड़ उमड़ती थी। उनके भाषणों में पौराणिक कथाओं का जिक्र होता था। वे प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व, विकास के कामों और केंद्र में हृष्ठ्र सरकार के तहत सांस्कृतिक पुनर्जागरण की खूब तारीफ करते थे। इसके साथ ही वे महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर भी बात करते थे।
 फैसले पलट जनता का मन मोहा
2 साल पूरे करने जा रही मोहन यादव सरकार ने दो बड़े फैसले पलटकर जनता की वाहवाही पाई है। सिंहस्थ लैंड पूलिंग एक्ट को वापस लेने के सरकार के फैसले के बाद किसानों ने उज्जैन में आतिशबाजी की। वहीं, ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को रद्द करने के फैसले पर ओंकारेश्वर में भी लोगों ने भी जश्न मनाया। ओंकारेश्वर तीर्थ नगरी में पिछले कई दिनों से चल रहे ममलेश्वर लोक निर्माण विवाद पर आखिरकार समाधान निकल आया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्थानीय नागरिकों, संत समाज और जनप्रतिनिधियों की मांग को स्वीकार करते हुए ममलेश्वर लोक का स्थान परिवर्तन करने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही निरंतर चल रहा आंदोलन समाप्त हुआ और पूरी नगरी ने नर्मदा तट पर भव्य महाआरती के साथ इस विजयी क्षण का उत्सव मनाया। वहीं मुख्यमंत्री ने किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सिंहस्थ लैंड पुलिंग एक्ट को निरस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि विश्व सिंहस्थ का वैभव देखेगा। दरअसल, किसान इसी बात पर अड़े हुए थे कि लैंड पूलिंग एक्ट को पूरी तरह निरस्त किया जाए। इसका आशय यह हुआ कि भूमि अधिग्रहण पूर्व की तरह अस्थायी व्यवस्था के तहत ही होगी, न कि स्थायी निर्माण के लिए। सरकार ने पहले प्रयास किया था कि किसानों की सहमति से लैंड पूलिंग की जाए, लेकिन भारतीय किसान संघ इससे असहमत था।

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