अब विधायकों का वेतन हो जाएगा डेढ़ लाख रुपए महीना

वेतन
  • शीतकालीन सत्र में पारित किया जाएगा वेतन में वृद्धि संबंधी प्रस्ताव

गौरव चौहान/भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के विधायकों व पूर्व विधायकों की सैलरी बढऩे वाली है। सरकार ने माननीयों के वेतन और भत्ते बढ़ाने की तैयारी पूरी कर ली है। इसको लेकर समिति की बैठक हो चुकी है। संभावना जताई जा रही है कि शीतकालीन सत्र में वेतन में वृद्धि संबंधी प्रस्ताव पारित किया जाएगा। गौरतलब है कि मप्र में काफी लंबे समय से विधायकों की तरफ से वेतन, भत्ते और विधायक निधि में बढ़ोतरी की मांग की जा रही थी।  जानकारी के अनुसार, मप्र सरकार ने नौ साल बाद विधायकों के वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं में वृद्धि करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए राज्य शासन द्वारा बनाई गई कमेटी ने दो दौर की चर्चा कर वेतन, भत्ते व पेंशन में वृद्धि संबंधी प्रस्ताव तैयार कर लिया है, लेकिन अभी इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक विधायकों के वेतन में करीब 50 हजार रुपए की वृद्धि की जा सकती है। यह वर्तमान वेतन की करीब 45 प्रतिशत होगी। इस तरह विधायकों वेतन बढकऱ 1 लाख 60 हजार रुपए हो जाएगा। इससे पहले वर्ष 2016 में प्रदेश के विधायकों के वेतन, भत्तों में वृद्धि की गई थी। कमेटी 30 नवंबर से पहले वेतन, भत्ते में वृद्धि संबंधी फायनल प्रस्ताव राज्य शासन को सौंप देगी। पूर्व विधायकों की पेंशन राशि में भी वृद्धि की जाएगी। एक दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधायकों के वेतन में वृद्धि संबंधी प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
बैठक में तैयार किया प्रस्ताव
डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा की अध्यक्षता में विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन, भत्ते, पेंशन एवं अन्य सुविधाओं के संबंध में गठित समिति की दूसरी बैठक 13 नवंबर को मंत्रालय में हुई। समिति ने महाराष्ट्र, गुजरात एवं छत्तीसगढ़ में विधायक एवं पूर्व विधायको को मिलने वाले वेतन भत्ते एवं पेंशन राशि पर विस्तार से चर्चा की गई। मप्र में विधायकों का कुल वेतन एक लाख 10 हजार रुपए है। इसमें 30 हजार रुपए बेसिक सैलरी और 80 हजार रुपए मासिक भत्तों के रूप में मिलते हैं। मप्र विधानसभा में 230 विधायक हैं। इनमें से डॉ. मोहन यादव कैबिनेट में 30 मंत्री है। मंत्रियों को वेतन सामान्य प्रशासन विभाग देता है। शेष 200 विधायकों का वेतन भुगतान विधानसभा से होता है। मुख्यमंत्री, मंत्री व विधायकों के वेतन भुगतान पर हर महीने करीब 2 करोड़ 75 लाख रुपए का खर्च आ रहा है। विधायकों के वेतन, भत्ते में वृद्धि के बाद सरकारी खजाने पर 1.50 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा।बैठक में विधायकों के वेतन में 50 हजार रुपए वृद्धि किए जाने पर सहमति बनी है। जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में विधायकों का मासिक वेतन 2.60 लाख रुपए, छत्तीसगढ़ में 1.60 लाख और गुजरात में 1.16 लाख रुपए है।
अगली बैठक में लगेगी मुहर
बैठक में मौजूद विधायक अजय विश्नोई एवं सचिन यादव ने भी विधायकों के वेतन, भत्ते की वृद्धि के संबंध में अपने सुझाव दिए। समिति ने यह निर्णय लिया कि अगली बैठक में मप्र के विधायकों/पूर्व विधायकों को मिलने वाली सुविधाओं पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। बैठक में समिति के सदस्य सचिव अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन, अपर मुख्य सचिव वित्त मनीष रस्तोगी विधानसभा के प्रमुख सचिव अरविंद शर्मा एवं अपर सचिव वीरेन्द्र कुमार उपस्थित रहे। गौरतलब है कि झारखंड में विधायकों को पूरे देश में सबसे ज्यादा वेतन मिलता है। झारखंड के विधायकों का कुल वेतन 2.88 लाख रुपए है। इसके बाद विधायकों को सबसे ज्यादा वेतन देने वाला दूसरा राज्य महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र में विधायकों को हर माह 2.60 लाख रुपए वेतन मिलता है। इस सूची में तीसरे नंबर पर तेलंगाना आता है। तेलंगाना के विधायकों का वेतन 2.5 लाख रुपए है। नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में विधायकों का वेतन सबसे कम है।
पिछली बार 2016 में  बढ़े थे वेतन
खास बात यह है कि इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के विधायक सहमत हैं. सभी ने समिति की सिफारिशों पर जल्द निर्णय लेने की मांग की है. बता दें कि मध्य प्रदेश के सभी पड़ोसी राज्य राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात में विधायकों की सैलरी मध्य प्रदेश की तुलना में ज्यादा है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के विधायक यह मांग उठा रहे हैं. बता दें कि मध्य प्रदेश में माननीयों के वेतन पिछली बार 2016 में बढ़ाए गए थे. उसी के आधार पर उन्हें अभी तक ये सैलरी और भत्ता मिल रहा है.पूर्व विधायकों को करीब 70 हजार रुपए पेंशन देने की सिफारिश की गई है. वर्तमान में पूर्व विधायकों को 35 हजार रुपए पेंशन मिलती है. सैलरी-भत्ता के अलावा विधायकों को रेल कूपन भी दिया जाता है, इससे विधायक राज्य के अंदर और बाहर रेल यात्रा कर सकते हैं. यह रेल कूपन विधायक के अकेले सफर के लिए फस्र्ट क्लास एसी के लिए होता है. वे राज्य के भीतर एक साल में 10 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं. हर महीने 10,000 रुपये का मेडिकल अलाउंस मिलता है. इसके अलावा विधानसभा की बैठक में भाग लेने के लिए अलग 2500 रुपए दैनिक मिलते हैं. इसके अलावा विधायकों को अन्य कई प्रकार की सुविधाएं मिलती हैं. विधायकों की सैलरी बढऩे से पहले से कर्ज डूबी मध्य प्रदेश सरकार पर अतिरिक्त भार बढ़ जाएगा. प्रदेश में 230 विधायकों में से 31 मंत्री हैं. मुख्यमंत्री को 2 लाख रुपए तो कैबिनेट मंत्रियों को 1.70 लाख और राज्य मंत्रियों को 1.45 लाख रुपए मिलते हैं. शेष 199 विधायकों का वेतन भुगतान विधानसभा से होता है।

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