- आवासीय भू-उपयोग की जमीनों का टोटा होने के कारण मप्र हाउसिंग बोर्ड की पालिसी

गौरव चौहान
मध्यप्रदेश के हाउसिंग बोर्ड ने हाउसिंग रिडेवलपमेंट की एक पॉलिसी तैयार की है, जिसमें अब पुरानी जर्जर बहुमंजिला इमारतों की जगह नई बिल्डिंग्स बनाना आसान हो जाएगा। इस पॉलिसी के तहत प्रदेश के बड़े शहरों की 30 साल से ज्यादा पुरानी इमारतों को तोडकर नई हाई टेक बिल्डिंगें आसानी से बनाई जा सकेंगी। इस नीति के अंतर्गत डेवलपर को बढ़ा हुआ फ्लोर एरिया रेशियो(एफएआर) मिलेगा। वहीं निर्माण अधिक होने से पुरानी बिल्डिंग के मुकाबले डेवलपर को कम से कम 20 प्रतिशत ज्यादा निर्माण कर फ्लैट के मालिकों को देना होगा।
गौरतलब है कि प्रदेश में तेजी से शहरीकरण बढ़ रहा है। लेकिन कई बड़े शहरों के नए मास्टर प्लान नहीं आ पाने के चलते आवासीय भू-उपयोग की जमीन का टोटा हो गया है। इससे मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड को भी शहरों के बीच में जमीन नहीं मिल पा रही है। इससे अब बोर्ड पुरानी जर्जर इमारतों को तोड़कर उनके स्थान पर नए बहुमंजिला भवन बनाने वाली रिडेंसिफिकेशन स्कीम पर फोकस कर रहा है। इसके लिए प्रदेश के भोपाल, इंदौर के साथ 33 जिलों के 45 स्थानों पर रिडेंसिफिकेशन स्कीम के तहत प्रोजेक्ट शुरू करने पर काम चल रहा है। यहां पर हाईराइज भवन और कमर्शियल स्पेस विकसित किए जाएंगे। यह काम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर होगा। कैबिनेट ने हाल ही में रिडेंसीफिकेशन योजना के नियमों में संशोधन कर दिया है, इससे शासन को भी विकास कार्यों के लिए ज्यादा राशि मिलेगी।
35 प्रस्तावों को साधिकार समिति की मंजूरी
सूत्रों के अनुसार, अभी तक रिडेंसिफिकेशन के 35 प्रस्तावों को साधिकार समिति मंजूरी दे चुकी है। इन प्रस्तावों पर काम शुरू करने के लिए निवेशकों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। यहां जर्जर भवन तोडकऱ नए तरीके से विकास कार्य किए जाएंगे। निवेशकों को इसके बदले में भूखंड दिए जाएंगे। हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त डॉ. राहुल हरिदास फटिंग के अनुसार, कई जिलों में रिडेंसिफिकेशन प्रोजेक्ट के संबंध में कार्य योजनाएं बनाई हैं और कुछ बनाई जा रही हैं। मंजूरी मिलते ही इन पर काम शुरू किया जाएगा। इससे शहर के बीच में जर्जर भवनों को तोडकर नए सिरे से विकास किया जाएगा। राजधानी में अरेरा हिल्स पर सतपुड़ा, विंध्याचल भवनों को तोडकऱ सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर पुनर्निर्माण संबंधी प्रोजेक्ट को रीडेंसिफिकेशन के तहत नहीं किया जाएगा। साधिकार समिति ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस प्रोजेक्ट का निर्माण शासन के बजट से ही किया जाएगा। बोर्ड इसकी डीपीआर बनवा रहा है। उसके बाद बजट तय होगा। यहां पर वल्लभ भवन की वास्तुकला के अनुसार 12 टॉवर प्रस्तावित किए गए हैं। कैबिनेट ने हाल ही में रिडेंसीफिकेशन योजना 2022 में संशोधन करने की मंजूरी दी है। इसके अनुसार अब 100 प्रतिशत क्षेत्र और कलेक्टर गाइडलाइन रेट पर निवेशक को मिलने वाले प्लॉट के ऑफसेट मूल्य का निर्धारण होगा। पहले 60 प्रतिशत क्षेत्रफल और 100 फीसदी कलेक्टर गाइडलाइन रेट पर ऑफसेट मूल्य का निर्धारण होता था। इससे विकास कार्यों के लिए अधिक राशि मिल सकेगी।
प्रदेश में प्रस्तावित प्रोजेक्ट
भोपाल की प्रोफेसर कॉलोनी में 380 करोड़ का प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। एनजीटी में केस के बाद अनुमतियां लेने की प्रक्रिया चल रही है। इंदौर में ओल्ड पलासिया, होल्कर कॉलेज, आईटीआई कॉलेज की जमीन पर 150 करोड़ के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। रतलाम में जिला जेल की जमीन पर 170 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट आ रहा है। सागर जिले में सेंट्रल जेल की जमीन पर 260 करोड़ के प्रोजेक्ट का प्रस्ताव है। खरगोन में लोक निर्माण विभाग की जमीन पर 315 करोड़ का प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। रीवा जिले में सेंट्रल जेल की जमीन पर 300 करोड़ का प्रस्ताव है। दमोह में जिला जेल की जमीन पर 62 करोड़ का प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। कटनी में पीडब्ल्यूडी की जमीन पर 33 करोड़ का प्रोजेक्ट चल रहा है। सतना में पुराना पॉलिटेक्निक परिसर में 88 करोड़ का प्रोजेक्ट, कटनी में पीडब्ल्यूडी की जमीन पर 33 करोड़ का प्रोजेक्ट, सतना में पुराना पॉलीटेक्निक परिसर में 88 करोड़ का प्रोजेक्ट और रायसेन में जिला अस्पताल के सामने की जमीन पर विकास कार्य चल रहा है।
महाराष्ट्र व गुजरात की पॉलिसी का अध्ययन
मध्यप्रदेश की यह हाउसिंग स्कीम दो योजनाओं के अध्ययन के बाद बनाई गई गई है। एक महाराष्ट्र की रिडेवलपमेंट ऑफ को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटीज और ग्रेटर मुंबई के डेवलपमेंट कंट्रोल एंड प्रमोशन रेगुलेशन। इस पॉलिसी के नए निर्माण में फ्लोर एरिया रेशियो 0.5 करना तय किया गया है। जो जमीन के एरिया, एप्रोच और सड़क की चौड़ाई पर देपेंद होगा। वर्तमान में ज्यादातर जगहों पर 1.5 से 2 एफएआर पर इमारतें बनी हुई हैं। इससे नागरिकों को नया फ्लैट भी मिलेगा वहीं डेवलपर को भी फायदा होगा। इस नीति में यह कहा गया है कि प्लाट का एरिया 2500 वर्ग मीटर होना चाहिए। वहीं सड़क 12 मीटर चौड़ी होनी चाहिए। नए कंस्ट्रक्शन में व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए एफएआर का दस फीसदी किये जाने का प्राविधान है। जो कि अभी यह मात्र 0.5 प्रतिशत है। यही नहीं नगर निगम व राजस्व के चार्जेस और स्टांप ड्यूटी में भी छूट का प्राविधान बनाया गया है।
