अजा-अजजा के खिलाफ अपराध ने बढ़ाया सरकार पर आर्थिक भार

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  • पीड़ितों को 9 माह में ही दी गई 93 करोड़ 65 लाख की राहत राशि

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए सख्त कानून का प्रावधान है। इसके बावजूद मप्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध कम नहीं हो रहे हैं। इनके खिलाफ अपराध करने वालों पर भले ही सख्त कार्रवाई की जा रही है, लेकिन पीड़ितों को राहत राशि देने के प्रावधान के कारण सरकार पर आर्थिक भार पड़ रहा है।  इन दोनों वर्गों पर बड़े अपराधों पर इस साल जनवरी से सितंबर के 9 माह में ही 93 करोड़ 65 लाख की राहत राशि का भुगतान पीड़ितों को किया गया है।
मप्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर होने वाले अपराध को लेकर सरकार सख्त है। पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी, लोगों की काउंसिलिंग और विवाद रोकने के लिए अन्य व्यवस्थाओं के चलते अपराध में कमी आई है। लेकिन दोनों वर्ग के खिलाफ बढ़ रहे अपराध सरकार की जेब पर भी भारी बोझ डाल रहे हैं। एडीजी एजेके पीएचक्यू आशुतोष राय का कहना है कि एससीएसटी के खिलाफ किसी भी अपराध पर सख्त कार्रवाई की जाती है। राहत राशि का भुगतान सरकार के नियमों के तहत गृह विभाग से किया जाता है। मध्यप्रदेश शासन अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत राशि देता है, जो केंद्र सरकार ने तय की है। इस राहत राशि के वितरण की जिम्मेदारी एमपी में गृह विभाग एवं आदिम जाति कल्याण विभाग मिलकर संभालती है। राहत राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित अत्याचार निवारण राहत योजना से किया जाता है। यह राशि जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला स्तर समिति की अनुशंसा पर पीडि़त के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है। पीड़ित की मृत्यु हो, तो राशि परिवार के आश्रितों को दी जाती है। इस रकम के भुगतान के लिए क्रम भी तय है। अधिकांश मामलों में राहत राशि एफआईआर दर्ज होने, चार्जशीट पेश होने और अदालत में दोषसिद्ध होने के बाद तीन अलग अलग किस्तों में दी जाती है। इसके अलावा आगजनी, संपत्ति पर कब्जा और जबरन बेदखली के मामलों में आकलन के बाद सहायता राशि तय होती है।
पिछले साल के मुकाबले इस साल अपराध बढ़े
 बात अगर एससी और एसटी वर्ग की शिकायत पर दर्ज एफआईआर की करें तो पिछले साल के मुकाबले इस साल हत्या को छोडकऱ शेष सभी अपराध बढ़े हैं। इनमें सबसे ज्यादा इजाफा हत्या के प्रयास और आगजनी के अपराधों में जमकर इजाफा हुआ है। इस साल 9 माह के दौरान ही ये मामले क्रमश: 59.46 और 40.00 प्रतिशत तक बढ़े हैं। इसके अलावा बलात्कार के केस भी 9 माह के दौरान लगभग 7 फीसदी बढ़ गए हैं। आलम ये है कि इन दोनों वर्गों पर बड़े अपराधों पर इस साल जनवरी से सितंबर के 9 माह में ही 93 करोड़ 65 लाख की राहत राशि का भुगतान पीडि़तों को किया गया है। पिछले साल यह राशि केवल 50 करोड़ 31 लाख ही थी। एससीएसटी पीड़ितों को ह्त्या या मृत्यु के मामले में 8,25,000 रूपए, बलात्कार या गैंगरेप 8,25,000 रूपए, महिला को निर्वस्त्र कर घुमाना 8,25,000 रूपए, गंभीर चोट या स्थायी विकलांगता 4,12,500 रुपए, जातिगत अपमान 85,000 रुपए, आगजनी संपत्ति का नुकसान 4,12,500 रुपए तक, झूठे मुकदमे में फंसाना 4,12,500 रुपए, संपत्ति पर कब्जा 2,50,000 रूपए तक, घर से बेदखली 2,00,000 रूपए तक और सामाजिक बहिष्कार 85,000 रुपए राहत राशि का प्रावधान है।

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