‘हम मान्यता प्राप्त संस्था हैं, पंजीकरण की जरूरत नहीं’

  • आरएसएस पर उठे सवालों का मोहन भागवत ने दिया जवाब

बंगलूरू/एजेंसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कांग्रेस नेताओं के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि संघ को व्यक्तियों के समूह के रूप में मान्यता प्राप्त है और इसका पंजीकरण कराना जरूरी नहीं है। भागवत ने एक सवाल-जवाब सत्र में कहा आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी। क्या आप उम्मीद करते हैं कि हम ब्रिटिश सरकार के साथ पंजीकृत होते? उन्होंने आगे बताया कि आजादी के बाद भारत सरकार ने ऐसे संगठनों के लिए पंजीकरण को अनिवार्य नहीं बनाया है। भागवत ने कहा हम ‘बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स’ के रूप में वर्गीकृत हैं और एक मान्यता प्राप्त संगठन हैं। मोहन भागवत ने कहा कि संघ हमेशा से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का सम्मान, श्रद्धांजलि और रक्षा करता आया है। उन्होंने बताया कि 1933 में राष्ट्रीय ध्वज तय करने वाली समिति ने भगवा रंग की सिफारिश भी की थी, लेकिन महात्मा गांधी ने तीन रंगों वाला तिरंगा चुना। भागवत ने कहा हमारा भगवा अपना है और तिरंगा हमारा राष्ट्रीय प्रतीक दोनों में कोई टकराव नहीं है।
पाकिस्तान को तब तक समझाना होगा जब तक वह न बदले
पाकिस्तान के बारे में पूछे जाने पर भागवत ने कहा कि वे मानते हैं कि कभी-कभी पाकिस्तान को वह भाषा समझानी पड़ती है जो वह समझे। उनका मानना है कि बार-बार कोशिशों का जवाब देना चाहिए ताकि उसे समझ आए और वह शान्तिप्रिय पड़ोसी बने। उन्होंने कहा कि असल इच्छा यही है कि दोनों देशों की प्रगति हो और क्षेत्र में शांति कायम रहे।
खडग़े और उनके बेटे ने की थी आरएसएस पर बैन लगाने की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और उनके बेटे तथा कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खडग़े ने हाल ही में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। प्रियंक ने सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों पर आरएसएस की गतिविधियों को बैन करने की बात कही थी और संगठन के पंजीकरण नंबर व फंडिंग स्रोत पर सवाल उठाए थे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भागवत ने कहा कि आरएसएस देश के तिरंगे का पूरा सम्मान करता है। उन्होंने कहा हमारे लिए भगवा ध्वज गुरु का प्रतीक है, लेकिन हम तिरंगे का सदैव आदर, श्रद्धांजलि और संरक्षण करते हैं।
हिंदू धर्म भी रजिस्टर्ड नहीं
संघ प्रमुख ने बताया कि आयकर विभाग और अदालतों ने भी आरएसएस को बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स के रूप में मान्यता दी है, जिसके कारण संगठन को आयकर से छूट मिली हुई है। भागवत ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा हम पर तीन बार प्रतिबंध लगाया गया। अगर हम होते ही नहीं, तो सरकार ने किस पर प्रतिबंध लगाया था? उन्होंने आगे कहा कि कई चीजें हैं जो पंजीकृत नहीं होतीं। उन्होंने अपने बयान में जोड़ा कि यहां तक कि हिन्दू धर्म भी पंजीकृत नहीं है।
संघ में आने वालों की जाति या धर्म नहीं पूछा जाता
जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से पूछा गया कि क्या मुसलमानों को संघ में शामिल होने की अनुमति है, तो उन्होंने कहा संघ में किसी ब्राह्मण, किसी दूसरी जाति, किसी मुस्लिम या ईसाई को अलग से नहीं लिया जाता। संघ में केवल हिंदू समाज के सदस्य आते हैं। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि संघ में आने वाले व्यक्ति अपनी अलग पहचान घर पर छोडक़र आते हैं। भागवत ने कहा मुस्लिम हों, ईसाई हों या किसी भी पंथ के लोग सबका स्वागत है। लेकिन शाखा में आने के बाद सब भारत माता के बेटे माने जाते हैं। भागवत ने बताया कि शाखा में आने वाले लोगों से उनकी जाति या धर्म नहीं पूछा जाता। उन्होंने जोड़ा हम यह नहीं गिनते कि कौन किस जाति या धर्म से है। हमारे लिए सब भारत माता के सपूत हैं। यही संघ की कार्यप्रणाली है।

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