
- न्यायालय के निर्देश पर हुई मीटिंग बैठक में कंपनियों ने नहीं दिखाई सहमति
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट की तकदीर में अभी भी और सूनापन लिखा है। दरअसल,उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार के प्रतिनिधि, विमानन कंपनियां, डीजीसीए और याचिकाकर्ता की संयुक्त बैठक में विमानन कंपनियों ने जबलपुर एयरपोर्ट से उड़ानें बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। उल्लेखनीय है कि जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट का विस्तारीकरण करीब साढ़े 400 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है, लेकिन बावजूद विमानन कंपनियों की बेरुखी के कारण एयरपोर्ट से सिर्फ पांच शहरों के लिए 6 फ्लाइट चल रही है।
हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई उच्च स्तरीय संयुक्त बैठकों ने एयरलाइंस कंपनियों ने घाटे का सौदा बताते हुए हाथ खड़े कर दिए हैं। कानूनविदों के साथ ही शहर के कारोबारी लंबे समय से हवाई सेवाओं के विस्तार की मांग कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने भी इंदौर और भोपाल का हवाला देते हुए जबलपुर में हवाई सेवाओं की कमी पर राज्य सरकार से सवाल किया था। जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट से सिर्फ पांच शहरों के लिए 6 फ्लाइट चल रही है। नागरिक उपभोक्ता मंच की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि विमान कंपनियों, डीजीसीए और याचिकाकर्ता के साथ बैठक करे। मगर जबलपुर से हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में यह प्रयास भी नाकाम साबित हुआ है। हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई संयुक्त बैठक में निजी एयरलाइंस कंपनियों ने जबलपुर से ट्रैफिक न मिलने का हवाला देते हुए कोई नई सेवा देने में रुचि नहीं दिखाई। बैठक में राज्य सरकार की ओर से शामिल हुए सरकारी अधिवक्ता ने कहाकि सरकार जबलपुर में हवाई सेवाएं बढ़ाने के लिए तैयार है। हर सुविधा भी यहां मुहैया कराई जा रही हैं। बावजूद इसके कंपनियों की दिलचस्पी नहीं है। बैठक में शासकीय अधिवक्ता, याचिकाकर्ता, विमान कंपनी और डीजीसीए के अधिकारी मौजूद रहे।
सुनवाई के दौरान दिए थे निर्देश
नागरिक उपभोक्ता मंच की ओर से याचिका दायर करने वाले रजत वर्मा का कहना है कि देश का सबसे बड़ा विमानतल होने के बाद भी जबलपुर के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इंदौर से रोजाना 100 से ज्यादा तो भोपाल से 50 फ्लाइट्स रोज उड़ान भरती हैं, लेकिन जबलपुर से सिर्फ फ्लाइट्स ही चल रही हैं। इनमें इंडिगो एयरलाइंस की दिल्ली, मुंबई, बिलासपुर, हैदराबाद फ्लाइट्स के साथ ही एलाइंस एयर की मुंबई और दिल्ली विमान सेवा शामिल हैं। बैठक में शामिल हुए याचिकाकर्ता रजत भार्गव ने बताया कि हाल ही में जबलपुर से लगातार घटती एयर कनेक्टिवटी को लेकर नागरिक उपभोक्ता मंच ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि राज्य सरकार के साथ विमान कंपनियां, डीजीसीए और याचिकाकर्ता संयुक्त बैठक करे। हाईकोर्ट के निर्देश पर बैठक तो हुईए पर वो बेनतीजा निकली। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी निजी विमान कंपनियां जबलपुर से कोई नई सेवा शुरू करने में सहमति जताती हुई नहीं दिखीं। बैठक से जबलपुर सांसद आशीष दुबे मौजूद नहीं रहे। नागरिक उपभोक्ता मंच ने हाईकोर्ट को बताया था कि इंदौर से रोजाना लगभग 100 से ज्यादा फ्लाइट चलती हैं। भोपाल से लगभग 50 फ्लाइट्स रोज उड़ान भरती हैं, लेकिन जबलपुर से सिर्फ 6 फ्लाइट्स ही चल रही हैं। इस याचिका पर सुनवाई जारी है, बैठक का पूरा विवरण कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा।
डुमना एयरपोर्ट में सुविधाएं कम नहीं
बैठक में डुमना एयरपोर्ट अथॉरिटी के प्रतिनिधियों ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट में एक साथ 2 से 3 एयरबस या एक एयरबस और 4 छोटे विमान एक साथ यात्रियों को ला और ले जा सकते हैं। एयरपोर्ट पर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही काम होता है। यदि विमान शुरू किए जाएं तो नाइट लैंडिंग की सुविधा भी है। भारत का सबसे बड़ी एयरबस भी जबलपुर एयरपोर्ट पर उतर सकती है। एयरपोर्ट अथॉरिटी का यह भी कहना है कि हम किसी भी किस्म के हवाई जहाज को हैंडल करने के लिए तैयार हैं, कहीं, कोई कमी नहीं है।
