मध्यप्रदेश में मंत्रियों से बढ़ रहा अफसरों का टकराव

मध्यप्रदेश
  • माननीयों को भाव नहीं दे रहे अफसर

गौरव चौहान/भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनते ही शासन-प्रशासन को सुशासन का मंत्र दिया था। लेकिन अधिकारियों के बीच सुशासन नजर नहीं आ रहा है। इस कारण मंत्रियों और अफसरों के बीच टकराव की स्थिति बन रही है। अब मोहन सरकार के दो साल पूरे होने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को अभी तक कोई बड़ी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन प्रदेश में बढ़ रही अफसरशाही की अब चर्चा होने लगी है। विधायक तो ठीक, मोहन सरकार के कई मंत्री सार्वजनिक तौर पर अफसरों के बेलगाम होने और काम नहीं सुनने की शिकायत कर चुके हैं। जनप्रतिनिधियों की नाराजगी व समन्वय के लिए सरकार और संगठन में व्यवस्थाएं हैं। बड़े जिलों में प्रभारी मंत्री नियुक्त हैं और भाजपा संगठन ने संभाग स्तर पर प्रभारी सत्ता व संगठन के बीच समन्वय का काम देखते हैं। इसके बावजूद अफसर व जनप्रतिनिधियों का आमने-सामने होना कई सवाल खड़े कर रहा है। आलम यह है कि मंत्रियों की अपने ही विभागों के प्रमुख सचिवों से भी पटरी नहीं बैठ रही है।
13 दिसंबर 2023 में मोहन सरकार प्रदेश में काबिज हुई थी और बड़ी घटनाओं पर जिस अंदाज में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अफसरों के खिलाफ एक्शन लिया था तो यह लग रहा था कि सरकार के फैसलों में अब अफसरों का ज्यादा दखल नहीं रहेगा। लेकिन चौकाने वाली जानकारी सामने आई कि करीब एक दर्जन मंत्रियों की अपने ही विभाग के प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव या सचिव से पटरी नहीं बैठ रही है। यानी मंत्री अपने विभाग प्रमुखों के कामकाज से खुश नहीं हैं। कुछ मंत्री विभागीय अधिकारियों के तबादले के लिए नोटशीट भी लिख चुके हैं। जबकि कुछ विभाग प्रमुख ऐसे हैं, जो मंत्री बंगले को भी गंभीरता से लेते हैं।
खींचतान का असर विभागीय कामकाज पर  
मंत्री और अधिकारियों के बीच खींचतान का असर विभागीय कामकाज पर भी पड़ता है। यूं तो मंत्री और अधिकारियों के बीच तालमेल नहीं बैठने का मामला नया नहीं है। अमूमन हर सरकार में मंत्रियों की अधिकारी और अधिकारियों की मंत्रियों से पटरी नहीं बैठने की खबरें आती हैं। मौजूदा समय में कम बजट या छोटे विभागों के अधिकारी भी मंत्रियों को अनसुना कर रहे हैं। जबकि बड़े बजट वाले विभाग के कुछ मंत्री भी अधिकारियों से संतुष्ट नहीं हैं। कुछ कद्दावर मंत्री ऐसे हैं, जिनका विभाग पर पूरी तरह नियंत्रण है और अधिकारियों पर भारी पड़ रहे हैं।
ऐसा है मंत्रियों और पीएस का संबंध
कुछ मंत्री ऐसे हैं जिनकी अपने अफसरों से अच्छी बन रही है तो, कुछ की पटरी नहीं बैठ रही है। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा का वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव अमित राठौर से बेहतर संबंध है। जबकि वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव मनीष रस्तोगी से सामान्य संबंध हैं।  कैलाश विजयवर्गीय का नगरीय विकास एवं आवास विभाग अपर प्रमुख सचिव संजय दुबे से संबंध सामान्य ही हैं, लेकिन दुबे जब इंदौर संभागायुक्त थे, तब संबंध ठीक नहीं थे। प्रहलाद पटेल का पंचायत एवं ग्रामीण विकास अपर मुख्य सचिव दीपाली रस्तोगी के कामकाज से संतुष्ट नहीं है। जून में इंजीनियरों के तबादलों के बाद भी मंत्री बंगले से तबादलों में संशोधन की नोटशीट लिखी। दीपाली ने एक संशोधन नहीं किया। बताया गया कि अपर मुख्य सचिव और अन्य अधिकारी को हटाने का पत्र लिखा है। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, स्वास्थ्य विभाग प्रमुख सचिव संदीप यादव से सामान्य तालमेल है। विजय शाह का जनजातीय कार्य विभाग, प्रमुख सचिव गुलशन बमरा से सामान्य संबंध है। बमरा की छवि पारदर्शी और नियम से चलने वाले अधिकारी की है। सोफिया कुरैशी को लेकर दिए बयान में उलझने के बाद से मंत्री के तेवर ठंडे हैं। राकेश सिंह को लोक निर्माण विभाग प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह संबंध ज्यादा सामान्य नहीं है। मंत्री स्टाफ का फोकस प्रमुख अभियंता कार्यालय पर ज्यादा रहता है। उदय प्रताप सिंह का शिक्षा एवं परिवहन मंत्रालय स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव संजय गोयल से अच्छा तालमेल नहीं है। शिक्षकों के तबादलों में गोयल ने मंत्री बंगले की मनमर्जी नहीं चलने दी थी। मंत्री शिकायत लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंचे थे। हालांकि परिवहन सचिव मनीष के मंत्री से अच्छे संबंध हैं। मंत्री बंगले की हर फाइल तत्काल होती है। करण सिंह वर्मा का राजस्व विभाग प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल से अच्छी पटरी नहीं बैठती। पटवारियों के तबादलों को लेकर मंत्री ने कैबिनेट में प्रमुख सचिव अनसुनी के आरोप लगाए थे।  संपत्तिया उइके का पीएचई मंत्री प्रमुख सचिव पी नरहरि से अच्छे संबंध हैं। विभाग में प्रमुख सचिव का दखल ज्यादा है। तुलसी सिलावट का जल संसाधन अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा से बेहतर तालमेल है। एदल सिंह कंधाना को कृषि कल्याण सचिव निशांत बड़बड़े से अच्छे संबंध हैं। कृषि आयुक्त अजय गुप्ता से भी मंत्री बंगले के बेहतर तालमेल हैं। निर्मला भूरिया का महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव रश्मि सिंह सामान्य तालमेल है। विभाग में अधिकारियों का दखल ज्यादा है। गोविंद राजपूत का खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति अपर मुख्य सचिव रश्मि शमी से बेहतर तालमेल है। तबादलों से लेकर अन्य किसी काम में विभागीय अधिकारियों ने कोई रोक नहीं लगाई। विश्वास सारंग को खेल एवं सहकारिता खेल विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह और सहकारिता के डीपी आहूजा से सामान्य संबंध है। नागर सिंह चौहान का अजा कल्याण मंत्री प्रमुख सचिव ई रमेश से तालमेल ठीक नहीं है। प्रमुख सचिव मंत्री के पत्रों का भी जवाब नहीं देते हैं। नागर सिंह से वन मंत्रालय हटने के बाद प्रमुख सचिव ने मंत्री पर हावी होने की कोशिश की। प्रद्युम्न सिंह तोमर का ऊर्जा मंत्री अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई से सामान्य संबंध हैं। सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध संचालकों पर बेहतर नियंत्रण है। वहीं नारायण सिंह कुशवाह, राकेश शुक्ला, इंदर सिंह परमार, चैतन्य कुमार काश्यप, धमेन्द्र लोधी, दिलीप जायसवाल, गौतम टेटवाल, लखन पटेल, नारायण सिंह पंवार के विभाग प्रमुखों से तालमेल बेहतर हैं। पिछड़ा वर्ग मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर को भी विभाग के प्रमुख सचिव ई. रमेश गंभीरता से नहीं लेते हैं। इसके अलावा चारों राज्यमंत्रियों के भी अधिकारियों से तालमेल ठीक-ठाक हैं।

Related Articles