बिहार चुनाव के बाद भाजपा में होगा बड़ा बदलाव

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  • मप्र के कई नेताओं की किस्मत का होगा फैसला

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बिहार चुनाव के बाद भाजपा के राष्ट्रीय संगठन में बदलाव होगा। ऐसे में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के साथ ही भाजपा में बड़े पैमाने पर बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि संगठन में बदलाव के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी फेरबदल होगा। ऐसे में मप्र के कई नेताओं की किस्मत का भी फैसला होगा। इससे मप्र के भाजपा नेताओं में हलचल देखी जा रही है। वहीं आरएसएस से आने वाले कई संगठन मंत्रियों के राज्य बदले जाने की संभावना है। वहीं, कई नए संगठन मंत्रियों को भेजे जाने पर दोनों संगठनों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत चल रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच संगठन में व्यापक बदलाव पर सहमति बन गई है। फिलहाल विभिन्न राज्यों में तैनात सात संगठन मंत्रियों की पहचान की गई है, जिन्हें नए राज्यों का दायित्व सौंपा जाएगा। वहीं, राष्ट्रीय संगठन में शामिल कई नेताओं के दायित्व भी बदले जाएंगे। साथ ही अगर मंत्रिमंडल का विस्तार होता है कि कई नए चेहरे शामिल किए जाएंगे, वहीं पुरानों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
मप्र भाजपा के नेताओं की बढ़ी सक्रियता
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का उत्तराधिकारी कौन होगा, इसको लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे ऊपर है। वहीं  नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद राष्ट्रीय संगठन में भी बदलाव होगा। इसके अलावा मोदी-3 के पहले मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इससे मप्र पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने हमेशा मप्र के नेताओं पर भरोसा जताया है। अंदर की बात यह है कि इस संभावित बदलाव को लेकर प्रदेश के कुछ नेता उत्साहित हैं, तो कुछ आशंकित हैं। आशंकित वे हैं जो प्रदेश में जम गए हैं और यहीं अपना भविष्य देख रहे हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी बड़ी उम्मीद से हैं। पिछले कुछ वर्षों में केंद्रीय संगठन में रहते हुए प्रदेश के दो नेताओं ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इन्होंने वह कर दिखाया, जिसकी उम्मीद कम लोगों को थी। वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल के योगदान को भला कौन भूल सकता है? उधर, राष्ट्रीय संगठन में शामिल होने के लिए कई नेताओं ने सक्रियता बढ़ा दी है।
मप्र मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना
भाजपा सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय संगठन में बदलाव के साथ ही मप्र मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावना भी बन रही है। हाल ही में गुजरात और छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल में बदलाव हो गया है। सवाल यह उठ रहा है कि मध्यप्रदेश में गुजरात, छत्तीसगढ़ वाला फॉर्मूला लागू होगा या कोई और। अंदर की बात यह है कि विस्तार की अटकलों से मंत्रिमंडल में शामिल कुछ वर्तमान मंत्रियों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। कुछ इसलिए चिंतित हैं कि उनका विभाग न बदल जाए। वहीं कुछ कैबिनेट में अपनी जगह बरकरार रखने को व्याकुल हैं। मंत्रिमंडल में स्थान पाने के लिए भी कई नेता बेकरार हैं। सूचना तो यह भी है कि पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने मंत्रिमंडल से मुक्ति के लिए भी अपनी अर्जी लगाई है।
संघ, भाजपा मिलकर दूर करेंगे कमजोरी
ध्यान देने की बात भाजपा के संगठन मंत्री आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक होते हैं। आरएसएस की ओर से उन्हें भाजपा में काम करने के लिए भेजा जाता है। संगठन मंत्री को आरएसएस के स्वयंसेवकों और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच सीधा संवाद स्थापित करने वाले अहम कड़ी के रूप में देखा जाता है। पिछले एक दशक में भाजपा के तेज गति से फैलाव और बाहरी नेताओं के शामिल होने से स्वयंसेवकों के साथ भाजपा के साथ संवाद कमजोर पडऩे की आशंका जताई जाती रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षित सीटें नहीं मिलने के पीछे इसे एक मुख्य वजह भी माना जाता है। आरएसएस और भाजपा दोनों अब इस कमजोरी को दूर करने की कोशिश में जुट गए हैं। इसके लिए आरएसएस नए संगठन मंत्रियों को भाजपा में भेजने को भी सहमत हो गया है।

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