1100 शिक्षकों को बनाया बीएलओ कई स्कूल टीचर विहीन

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  • एक्सट्रा क्लासेस लगाने की जगह एसआईआर में लगे शिक्षक

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल। मप्र में सरकारी स्कूलों का रिजल्ट सुधारने के लिए स्कूलों में एक्सट्रा क्लासेस लगाने का निर्देश शिक्षा विभाग ने दिया है। लेकिन विडंबना यह है कि इसी दौरान 2 नवंबर से वोटर लिस्ट के गहन परीक्षण यानी, स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) की शुरुआत हो गई है। इसमें कलेक्टर से लेकर एसडीएम, तहसीलदार-नायब तहसीलदार के साथ शिक्षक भी बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर)बन डोर-टू-डोर जाकर वोटर्स को फॉर्म देने में लगे हैं। सरकारी स्कूलों के एसआईआर में लगने से एक्सट्रा क्लासेस का अभियान रूक गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि स्कूलों का रिजल्ट कैसे सुधरेगा।
    गौरतलब है कि मप्र बोर्ड के स्कूलों में 3 नवंबर से अद्र्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गई हैं, पर स्थिति यह है कि बीएलओ ड्यूटी में लगे कुल कर्मचारियों-अधिकारियों में से 60 फीसदी से अधिक संख्या शिक्षकों की है। इनमें 35 प्रतिशत प्राचार्यों को सुपरवाइजर बनाया गया है। ऐसे में शिक्षा विभाग का वह आदेश प्रभावित हो रहा है जिसमें रिजल्ट सुधारने एक्सट्रा क्लास लगाने का आदेश दिया गया था। मालूम हो कि तिमाही परीक्षा में राजधानी के 65 स्कूलों का रिजल्ट 30 फीसदी से कम रहा है। इस पर 3 नवंबर को सभी प्राचार्यों को भोपाल बुलाकर परिणाम सुधारने के आदेश दिए गए, ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
    भोपाल में 1100 शिक्षक बनाए गए बीएलओ
    भोपाल में एसआईआर के लिए 2029 बीएलओ तैनात किए गए हैं। इनमें से करीब 1100 शिक्षक हैं। वहीं 205 सुपरवाइजरों में से करीब 71 प्राचार्य शामिल हैं। ये काम 4 दिसंबर तक चलेगा। ऐसे में छमाही परीक्षा पर तो असर पड़ा ही, साथ फरवरी में वार्षिक परीक्षाएं हैं। ऐसे में सिलेबस पूरा करना एक चुनौती होगा। शासकीय प्राइमरी स्कूल की शिक्षक आरती शास्त्री का कहना है कि मेरे स्कूल में नर्सरी से लेकर पांचवीं तक 48 बच्चे दर्ज हैं। मैं अकेली शिक्षक हूं, लेकिन मुझे बीएलओ ड्यूटी के आदेश मिले हैं। बैरसिया ब्लॉक स्थित प्रायमरी स्कूल में पहली से पांचवीं तक 33 बच्चे दर्ज हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए दो शिक्षक पदस्थ हैं और दोनों की बीएलओ ड्यूटी लगा दी गई है। जिला शिक्षा अधिकारी एनके अहिरवार का कहना है कि शिक्षकों के बीएलओ ड्यूटी में जाने से स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। अद्र्धवार्षिक परीक्षाएं भी शुरू हो गई हैं। वार्षिक बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनजर 10वीं और 12वीं के शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त करने के लिए पत्र लिखा है। संभवत: शिक्षकों को मुक्त कर दिया जाएगा।
    नहीं सुनी गई शिक्षकों की गुहार
    एसआईआर के काम से नाम हटवाने और स्कूलों के नजदीकी क्षेत्रों ड्यूटी लगाने के लिए शिक्षक कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा चुके हैं। इतना ही नहीं अपने परिचित के अधिकारियों से फोन भी करा रहे हैं, लेकिन कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और उप निर्वाचन अधिकारी भुवन गुप्ता ने बीएलओ की ड्यूटी से किसी का नाम नहीं हटाया है। एमपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षा के स्टूडेंट्स को पढ़ाने वाले लेक्चरर प्राचार्य, उच्चतर माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षक मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य से मुक्त हो सकते हैं। दरअसल भोपाल डीईओ ने इस संबंध में पत्र लिखा है। यदि ऐसे आदेश होते हैं तो हाईस्कूल और हासे स्कूलों के एक भी टीचर निर्वाचन संबंधी कोई कार्य नहीं करेगा। उप निर्वाचन अधिकारी भुवन गुप्ता का कहना है कि जिन शिक्षकों को बीएलओ का काम दिया गया है, उनको स्कूलों के कामकाज से मुक्त किया गया है। जिन प्राचार्यों को सुपरवाइजर की जिम्मेदारी दी है, उन्हें भी स्कूलों के कार्य से अलग रखा गया है। स्कूलों से सूची मंगवाकर शिक्षकों को बीएलओ बनाया गया है, जिससे एसआईआर का काम भी समय पर हो सके।

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