
- बेमौसम बारिश से यूरिया, डीएपी और एनपीके की मांग बढ़ी
भोपाल/ बिच्छू डॉट कॉम। धान और सोयाबीन सहित खरीफ फसलों के लिए यूरिया और डीएपी की किल्लत से अभी किसान उबर भी नहीं पाए हैं कि उन्हें रबी फसलों के लिए खाद की कमी का डर सताने लगा है। प्रदेश में बेमौसम बारिश होने से यूरिया और कांप्लेक्स खाद (डीएपी और एनपीके)की मांग शुरू हो गई है। दरअसल, प्रदेश में करीब 170 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलों की बोवनी होती है। प्रति वर्ष 35-36 लाख टन यूरिया, 12 लाख टन डीएपी और 16 से 18 लाख टन एनपीके की आवश्यकता होती है। इस वर्ष बोवनी का क्षेत्र बढऩे से लगभग 37 लाख टन यूरिया की आवश्यकता होगी।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश भर में हुई बेमौसम वर्षा की वजह से रबी सीजन में भी खाद के लिए किल्लत होगी। दरअसल, 15 अक्टूबर के आसपास शुरू होने वाली बोवनी बेमौसम वर्षा के चलते 15 नवंबर के आसपास शुरू हो पाएगी। 30 नवंबर तक 90 प्रतिशत बोवनी होने का अनुमान है, इसी के अनुसार रबी सीजन में लगने वाली खाद में से 80 प्रतिशत की आवश्यकता इसी अवधि में होगी। रबी सीजन के लिए निर्धारित कोटा में से 80 प्रतिशत खाद नवंबर में दे पाना राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष की तुलना में केंद्र से प्रतिवर्ष 10 से 15 प्रतिशत अधिक खाद राज्य को मिलती है, पर खपत बढऩे और मक्का सहित अन्य फसलों का रकबा बढऩे से मांग दोगुनी रहती है।
रबी सीजन के लिए 42 लाख टन खाद की आवश्यकता
प्रदेश को रबी सीजन के लिए पिछले वर्ष की तुलना में तीन लाख टन यूरिया और पांच लाख टन कांप्लेक्स खाद (डीएपी और एनपीके) अतिरिक्त मिलेगी। केंद्र सरकार से इसकी स्वीकृति मिल गई है। केंद्र से 23 लाख टन यूरिया और 19 लाख टन कांप्लेक्स खाद मिलेगी। अभी तक 4.53 लाख टन यूरिया 2.62 लाख टन कांप्लेक्स खाद मिल चुकी है। प्रदेश भर में एक साथ बोवनी होने से आवंटित 42 लाख टन कोटा में से 30 लाख टन से अधिक की आवश्यकता नवंबर में होगी। किसान नेता केदार सिरोही का कहना है कि प्रदेश में प्रति वर्ष 35-36 लाख टन यूरिया, 12 लाख टन डीएपी और 16 से 18 लाख टन एनपीके की आवश्यकता होती है। इस वर्ष बोवनी का क्षेत्र बढऩे से लगभग 37 लाख टन यूरिया की आवश्यकता होगी। प्रदेश में मक्का की खेती का रकबा भी बढ़ा है। इसकी बोवनी गर्मी में होगी, जिसके लिए रबी के आवंटित कोटे की खाद का ही उपयोग होगा।
